रंक से राजा बनना है तो घर में ज़रूर लगाएं ये पौधे

फेंग शुई के इन पौधों को लगाने से आती है सुख समृद्धि

  1. मनी प्लांट (Golden Pathos): यह एक समृद्धि सूचक पौधा है जिसकी हरी पत्तियां बीच में कुछ-कुछ सफेद भी हो सकती हैं। इस पौधे को बढ़ने के लिए किसी विशेष देख भाल की आवश्यकता नहीं होती। किसी जार या बोतल में पानी डाल कर भी इसे उगाया जा सकता है। मनी प्लांट का संपूर्ण विकास समृद्धि का सूचक है। लेकिन ज़मीन पर फैलकर बढ़ने वाला मनी प्लांट दोषकारक होता है। इसलिए अगर आप इसे किसी गमले या ज़मीन में लगा रहे हैं तो इसे किसी ऊंचे स्थान पर रखें। आपका मनी प्लांट अगर ऊपर की ओर बढ़ता है और आस पास की चीज़ों से लिपट जाता है तो यह शुभ संकेत है। यह पौधा टूटे हुए रिश्तों को जोड़ता है और वातावरण को स्वच्छ और शुद्ध करने के लिए जाना जाता है।
  2. बांस (Lucky Bamboo): बांस का पौधा घर में शांति बनाए रखता है और सकारात्मक ऊर्जा लाता है। यह पौधा बुद्धि, स्वास्थ्य और प्रेम का प्रतीक है। इसके अलावा यह घर में आने वाले किसी भी तरह के संकट को दूर रखता है। आप घर में इसे अलग अलग तरह से लगा सकते हैं। घर में अगर धन और शांति चाहिए तो इसे पूर्व या दक्षिण दिशा में रखें। अगर आप सादा जीवन पसंद करते हैं तो कांच के बर्तन में इसके डंठल को रखें। वैवाहिक जीवन में रोमांस बरकरार रखने के लिए दो बांस के डंठल का प्रयोग करें। लंबी उम्र के लिए तीन बांस के बीच में एक टेढ़ा बांस लगाएं। लेखन और अधय्यन से जुड़े लोग चार बांस लगाएं। बेहतर होगा कि आप इसे अपने स्टडी टेबल पर रखें। रिश्तों में मधुरता और स्वास्थ्य लाभ के लिए 7 बांस के डंठल का प्रयोग करें।
  3. जेड प्लांट (Crassula ovata): गोल पत्ते वाला यह पौधा भी बेहद शुभ माना जाता है। कार्यस्थल पर इसे लगाने से धन की कमी नहीं होती। इस पौधे को आपको मुख्य दरवाज़े पर लगाना चाहिए। इससे शांति और संपन्नता बनी रहती है। क्योंकि यह पौधा आकार में छोटा और इसे उगाना आसान होता है इसलिए इसे दोस्तों, रिश्तेदारों को तोहफ़े में भी दिया जाता है और इसी कारण इसे फ्रेंडशिप प्लांट भी कहा जाता है।
  4. कमल (Lotus): क्योंकि यह पौधा दलदल या पानी में उगने के बावजूद ऊपर की ओर बढ़ता है इसलिए फेंग शुई में इसे पवित्रता का प्रतीक माना गया है। घर में इसे लगाने से शुद्धता और सकारात्मकता बनी रहती है। दफ्तर में कमल को लिली के साथ लगाने से गुडलक बना रहता है और कारोबार में तरक्की होती है। लेकिन ध्यान रहे यह पौधा सूखे ना! समय-समय पर इसकी सूखी पंखुड़ियों को काटते रहें। इस पौधे की एक ख़ासियत यह भी है कि इसका हर एक अंग उपयोग में लाया जा सकता है। आप इसके डंठल से सब्ज़ी बना सकते हैं। इसके पत्तों को व्यंजनों में इस्तेमाल कर सकते हैं। इसकी जड़ का प्रयोग सूप में और फूल का प्रयोग दवाइयों में किया जाता है।
  5. रबड़ (Ficus Elastica): इस पौधे को धन-वृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसलिए इसे आपको उस जगह के पास रखना चाहिए जहां आप अपना धन रखते हैं। इसकी बड़ी और गोलाकार पत्तियां अशुद्धियों को दूर कर हवा को साफ और स्वच्छ बनाती हैं। इस पौधे को आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को उपहार में भी दे सकते हैं। यकीनन यह पौधा उनके जीवन में सुख- समृद्धि लाएगा।
  6. तुलसी (Ocimum Sanctum): भारत के लगभग हर एक घर में आपको यह पौधा मिल जाएगा। औषधीय गुणों वाले इस पौधे को हिंदू धर्म में पूजनीय माना गया है। इसे मां लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। घर में इस पौधे को लगाने से धन और समृद्धि बनी रहती है। नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। अपने कई औषधीय गुणों के साथ-साथ यह विटामिन्स और मिनरल से भी भरपूर होता है। ऐसा माना जाता है कि घर में इस पौधे को लगाने भर से ही कई बीमारियों से दूर रहा जा सकता है। इसकी पत्तियों से बनी चाय आपकी रोग प्रतिरोधक प्रणाली को मज़बूत करती है। आपको अस्थमा जैसे श्वसन रोग से दूर रखती है। इसके अलावा आप इसकी पत्तियों को व्यंजनों में स्वाद के लिए भी प्रयोग कर सकते हैं।
  7. नाग पौधा (Snake Plant): इस पौधे को घर या बाहर दोनों जगह लगाया जा सकता है। लेकिन इसे सही जगह पर लगाना ज़रूरी है। क्योंकि इसे बेहद आक्रामक प्रवृत्ति का माना जाता है इसलिए इसे किसी शांत जगह पर रखना चाहिए। बेहतर होगा अगर आप इसे दक्षिण-पूर्व, दक्षिण या पूर्व दिशा में रखें। इससे नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं कर पाएंगी और सकारात्मकता बनी रहेगी। यह पौधा आपके स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है क्योंकि यह हवा में मौजूद अशुद्धियों को दूर करता है। इसे ऑक्सीजन का महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता है। आप इसे अपने सोने के कमरे में भी लगा सकते हैं। इससे आपको नींद अच्छी आएगी।
  8. लेमन बाम (Mellissa Officinalis): लेमन बाम पुदीने की प्रजाति का एक पौधा है जिसमें कई औषधीय गुण होते हैं। यह डायबिटीज़ और थायरॉइड के रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद हैं। इसके अलावा यह सिरदर्द, तनाव और बेचैनी को भी दूर करता है। आपकी रोग प्रतिरोधक प्रणाली को मज़बूत करता है। फेंग शुई (Feng Shui) के अनुसार घर में इसे लगाने से शांति और खुशहाली आती है।
  9. लिली प्लांट (Lilium): फेंग शुई के अनुसार लिली का पौधा शांति, समृद्धि और शुद्धता का प्रतीक है। इसलिए इसे ऑफिस और घर में लगाना बेहद शुभ माना जाता है। इससे परिवार के सदस्यों में कलह की स्थिति नहीं उत्पन्न होती और आपस में प्रेम बना रहता है। घर में सकारात्मक ऊर्जा के लिए आप इसे अपने लिविंग या स्टडी रूम में लगा सकते हैं।
  10. ऑर्किड (Orchids): फेंग शुई के अनुसार घर में ऑर्किड का पौधा लगाते समय उसके रंग पर विशेष ध्यान देना चाहिए। गुलाबी या नारंगी रंग का ऑर्किड जुनून और रचनात्मकता का प्रतीक है जबकि सफेद ऑर्किड स्पष्टता और शांति का प्रतीक है। अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय के बनाने के लिए आप अपने बेडरूम में गुलाबी या नारंगी रंग का ऑर्किड लगा सकते हैं जबकि स्टडी रूम में सफेद ऑर्किड लगाना बेहतर होगा।

फेंग शुई (Feng Shui) के इन पौधों को लगाने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह ज़रूर लें। वे आपको सही तरह से गाइड कर पाएंगे कि इन पौधों को घर के किन हिस्सों में लगाने से बेहतर परिणाम मिलेंगे।

धन और वैभव का कारक शुक्र का 15 दिसंबर को राशि परिवर्तन,जानिए आपकी राशि पर प्रभाव

ज्योतिष में शुक्र को धन, वैभव, कला, कामवासना, ऐश्वर्य आदि का कारक माना जाता है। यह 15 दिसंबर को शनि ग्रह की राशिमकर में प्रवेश कर रहा है जो 8 जनवरी तक इसमें रहेगा। शुक्र एक शुभ ग्रह है, लेकिन इस गोचर का प्रभाव सभी राशियों परशुभाशुभ रूप में पड़ेगा। आइए जानते हैं शुक्र के गोचर का सभी 12 राशियों पर प्रभाव

मेष

किसी भी तरह की सरकारी सर्विस में आवेदन करना चाह रहे हों तो अच्छा अवसर है। विदेशी व्यक्ति अथवा विदेशी कंपनियों से भीलाभ होगा। 

वृष

कामयाबी के नए अवसर तो उपलब्ध होंगे ही, साथ में भाग्य वृद्धि के भी द्वार खुलेंगे। विदेश यात्रा हेतु वीजा आदि आवेदन करना चाहरहे हो तो संयोग अच्छा है। स्वास्थ्य अनुकूल रहेगा और कार्य बाधाओं से मुक्ति मिलेगी। 

मिथुन

कार्यक्षेत्र में षड्यंत्र का शिकार होने से बचे और व्यर्थ के विवादों में उलझें। यहां पर शुक्र प्रतापी योग भी बनाएंगे जिसके परिणामस्वरूप आपके मान सम्मान की वृद्धि भी होगी।

कर्क

विलासिता संबंधी वस्तुओं की पूर्ति तो होगी ही साथ ही मकान अथवा वाहन का क्रय भी करना चाह रहे हों तो अवसर अच्छा है, व्यापारिक वर्ग के लिए यह परिवर्तन अति अनुकूल रहेगा। 

सिंह

आपके अपने ही लोग आप को नीचा दिखाने की कोशिश करेंगे इसलिए विवादों से बचते रहें और कोर्ट कचहरी के मामले बाहर हीनिपटा लें तो बेहतर रहेगा।

कन्या

शुक्र का गोचर कार्यव्यापार की दृष्टि से बेहतर परिणाम वाला सिद्ध होगा। नवदंपत्ति के लिए संतान संबंधी चिंता तो दूर होगी साथही प्राप्ति अथवा प्रादुर्भाव का भी योग बन रहा है। विदेश यात्रा से संबंधित संकल्प पूर्ण होंगे।

तुला

आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। किसी भी महंगी वस्तु अथवा हीरे जवाहरात का क्रयविक्रय करना चाह रहे हों तोपरिस्थितियां अनुकूल है माता पिता के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें

वृश्चिक

अपनी ऊर्जा शक्ति का पूर्ण उपयोग करते हुए कार्य में लगे रहेंगे तो किसी बड़ी कामयाबी से आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।अत्यधिक यात्रा और अपव्यय के योग बन रहे हैं, सावधान रहें अन्यथा आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है।

धनु

आपको लेनदेन में डूबा पैसा भी वापस मिल सकता है। लाभ के एक से अधिक साधन बनेंगे किंतु आपके द्वारा कुछ ऐसे निर्णय लिएजा सकते हैं जिसके कारण आपके अपने ही लोग विरोध के लिए आगे सकते हैं।

मकर

काफी दिनों से प्रतीक्षित पड़े हुए कार्यो का निपटारा होगा। केंद्र अथवा राज्य सरकार से संबंधित कोई भी कार्य होगा तो उसमें हीसफलता मिलेगी। महिला वर्ग के लिए यह परिवर्तन और भी शुभ फलदाई सिद्ध होगा। 

कुंभ

विलासिता संबंधी वस्तुओं एवं यात्राओं पर अत्यधिक व्यय होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। किसी भी तरह का चुनाव आदि भीलड़ना चाह रहे हों तो उसमें भी सफलता के योग बनेंगे।

मीन

आपके स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ सकता है इसलिए सजग रहें। कार्यक्षेत्र में भी षड्यंत्र का शिकार होने से भी बचें। शासन सत्ताका भरपूर सहयोग मिलेगा फिर भी उच्चाधिकारियों से भी मेलजोल बनाकर रखें। 

26 दिसंबर को सूर्य ग्रहण,जानें इससे जुड़ी धार्मिक, वैज्ञानिक और ज्योतिषीय मान्यताएं

वैज्ञानिक नजरिए से जानते हैं कैसे लगता है सूर्य ग्रहण

विज्ञान के अनुसार पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करता है जबकि चंद्रमा पृथ्वी के चारो ओर घूमती है। पृथ्वी और चंद्रमा घूमते-घूमते एक समय पर ऐसे स्थान पर आ जाते हैं जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा तीनो एक सीध में रहते हैं। जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाती है और वह सूर्य को ढ़क लेता है तो इसे सूर्य ग्रहण कहते हैं।

ग्रहण की धार्मिक मान्यताएं

पौराणिक मान्यता के अनुसार जब समुद्र मंथन चल रहा था तब उस दौरान देवताओं और दानवों के बीच अमृत पान के लिए विवाद पैदा शुरू होने लगा, तो इसको सुलझाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया। मोहिनी के रूप से सभी देवता और दानव उन पर मोहित हो उठे तब भगवान विष्णु ने देवताओं और दानवों को अलग-अलग बिठा दिया। लेकिन तभी एक असुर को भगवान विष्णु की इस चाल पर शक पैदा हुआ। वह असुर छल से देवताओं की लाइन में आकर बैठ गए और अमृत पान करने लगा।देवताओं की पंक्ति में बैठे चंद्रमा और सूर्य ने इस दानव को ऐसा करते हुए देख लिया। इस बात की जानकारी उन्होंने भगवान विष्णु को दी, जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से दानव का सिर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन उस दानव ने अमृत को गले तक उतार लिया था, जिसके कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई और उसके सिर वाला भाग राहू और धड़ वाला भाग केतू के नाम से जाना गया। इसी वजह से राहू और केतु सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मानते हैं। इसलिए राहु केतु सूर्य और चंद्रमा का ग्रास कर लेते हैं। इस स्थिति को ग्रहण कहा जाता है।

ग्रहण को क्यों अशुभ कहा जाता है 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के समय हमारे देव कष्ट में होते हैं और राहु ब्रह्मांड में अपना पूरा जोर लगा रहा होता है, इसलिए ग्रहण को देखने से विपरीत प्रभाव पड़ते हैं।

ज्योतिष में राहु और केतु को छाया ग्रह माना जाता है।

अगर किसी की कुंडली में राहु- केतु बुरे भाव में जाकर बैठ जाता है तो उसको जीवन में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इनकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सूर्य और चंद्रमा भी इसके प्रभाव से नहीं बच पाते।

सौंदर्य वॄद्धि का अचूक उपाय

सुंदर दिखने की चाह भला किसे नहीं होती। प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि वो खूबसुरत दिखे, जहां भी जाए सभी के आकर्षण का केंद्र बना रहा। महिलाएं तो विशेष रुप से सुंदर दिखना चाहती है। इसके लिए महिलाएं जो संभव हो वह करती भी हैं। अपने सौंदर्य की प्रशंसा सुनने के लिए सदैव आतुर रहती हैं। अगर यह कहा जाए कि महिलाओं का सबसे पसंदीदा कार्य अपनी प्रशंसा सुनना है तो अतिशोक्ति नहीं होगी। महंगे से महंगे सौंदर्य सामग्रियों का प्रयोग और सोलह श्रृंगार कर स्वयं को सुंदर बनाए रखती हैं।

आज के आधुनिक समय में स्वयं को सुंदर और आकर्षक बनाए रखना सहज कार्य नहीं है, एक तो समय की कमी दूसरे उपलब्ध सामग्री में शुद्धता का अभाव होने के कारण सौंदर्य में बढ़ोतरी कम, कमी अधिक होती है। सुंदर छवि के साथ लोगों के दिलों में घर करने की चाह लिए इधर उधर प्रयासरत रहते हैं। बहुत प्रयास करने पर भी यदि यह संभव न हो पा रहा हो तो निराशा और हताशा होना स्वभाविक है। आज हम आपको कुछ ऐसे ही ज्योतिषीय उपायों की जानकारी देने जा रहे हैं जिनके द्वारा आप अपने खूबसूरती में चार चांद लगाने में सफल रहेंगे। इन उपायों से आप अपने रुप में निखार करने में सफल रहेंगे।

जन्मपत्री का पहला भाव जिसे लग्न भाव के नाम से जाना जाता है। लग्न भाव व्यक्तित्व और शारीरिक रचना का भाव है। व्यक्ति के रुप, सौंदर्य और चेहरे का विश्लेषण लग्न भाव से ही किया जाता है। पहला भाव मुख, मुखाकॄति, सिर, मस्तिष्क और रुप का प्रतिनिधित्व करता है। लग्न भाव का शुभ ग्रहों से युक्त होना जातक को सौंदर्यपूर्ण बनाता है। इस भाव के ग्रह स्वामी की वस्तुओं को धारण करना और उपाय करना व्यक्तित्व और रुप में सुधार करता है।

जन्मकुंडली के आधार पर स्वास्थ्य सुख और सुंदरता पाने के लिए लग्न भाव को बल दिया जाता है। लग्न भाव मजबूत हो जाए तो व्यक्ति का सौंदर्य स्वयं खिल उठता है। लग्न भाव को बल्देने के लिए लग्नेश ग्रह का मंत्रोच्चारण, हवन, अभिषेक और यंत्र पूजन किया जाता है। इन उपायों से व्यक्तित्व उभर कर आता है और व्यक्ति प्रत्येक स्थान पर प्रशंसा का पात्र बनता है। सुंदरता और लोकप्रियता दोनों का प्रत्यक्ष संबंध है। सुंदर व्यक्ति को सहजता के साथ लोकप्रियता प्राप्त होती है।
सौंदर्य वॄद्धि का अचूक उपाय – देवी लक्ष्मी का पूजन

देवी लक्ष्मी न केवल धन की देवी हैं, अपितु उन्हें सौंदर्य के लिए भी जाना जाता है और नवग्रहों में शुक्रवार का दिन साज-सज्जा और सौंदर्य प्रसाधन प्रयोग करने का दिन है। जो व्यक्ति शुक्रवार के दिन सुसज्जित होकर मां लक्ष्मी का पूजन और श्रृंगार करता है उसे देवी धन, सुख और सौंदर्य सभी कुछ प्रदान करती है। मां लक्ष्मी को गुलाबी रंग के वस्त्र अतिप्रिय है। धन की देवी का प्रतिदिन गुलाबी रंग के वस्त्र पहन कर करने से मुख पर तेज और सुंदरता का भाव विराजित होता है। सौंदर्य से जुड़े सभी कार्य करने के लिए शुक्रवार के दिन का प्रयोग विशेष माना गया है।

शुक्र ग्रह को सौंदर्य प्रदान करने वाले ग्रह हैं। शुक्र ग्रह से संबंधित उपाय करने से न केवल खूबसूरती में निखार आता है अपितु वैवाहिक और प्रेम संबंधों में भी स्नेह बढ़ता है। किसी के दिल में जगह बनाने के लिए शुक्र ग्रह के उपाय करना कारगर उपाय है। इसके लिए शुक्र ग्रह की वस्तुओं का प्रयोग किया जा सकता है साथ ही शुक्र ग्रह का मंत्र जाप भी करना चाहिए।

शुक्रवार के दिन सफेद वस्त्र और दही धारण करना भी सौंदर्य वृद्धि करने में सहयोगी साबित होता है। ये सभी वस्तुएं क्योंकि शुक्र ग्रह से संबंधित है अत: यह रुप निखार करने के साथ साथ भाग्य और धन बढ़ाने का कार्य भी करती हैं।

शुक्रवार के व्रत का पालन करने से भी धन की देवी लक्ष्मी जी प्रसन्न होती है और सौंदर्य में चमत्कारिक निखार आता है।

6 मुखी रुद्राक्ष भी सौंदर्य के कारक ग्रह शुक्र ग्रह का रुद्राक्ष है। इस रुद्राक्ष को नियमित रुप से धारण करने पर धारक के व्यक्तित्व बेहतर होता है।

शुक्र रत्न ओपल अपने खूबसूरती के लिए जाना जाता है। 84 रत्नों में यह एकमात्र रत्न है जो आकर्षण में वॄद्धि करने के लिए जाना जाता है। इस रत्न के विषय में कहा जाता है कि जो व्यक्ति इसे धारण करता है उसके रुप, रंग और व्यक्तित्व में एक नई छ्टा देखने में आती है।

पितृपक्ष में क्या उपाय करना चाहिए?

पितृदोष की शांति के लिए पितृपक्ष सबसे उत्तम दिन माने गए हैं। माना जाता है कि पितृपक्ष के दौरान पितृ अपने परिजनों से धूप के रूप में अन्न्-जल ग्रहण करने आते हैं और संतुष्ट होने पर अच्छे आशीर्वाद देकर जाते हैं। इसलिए पितृदोष की शांति के लिए कुछ विशेष उपाय इस दौरान किए जाना चाहिए।

  • पितृपक्ष में पितरों के नाम से श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान अवश्य करें। यदि पितरों की मृत्यु तिथि ज्ञात है तो उसी तिथि पर श्राद्ध करें, अन्यथा सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध किया जा सकता है।
  • पंचमी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा को पितरों के नाम से गरीबों, जरूरतमंदों को अन्न्, वस्त्र, जरूरत की वस्तुएं इत्यादि दान दें।
  • पितृपक्ष में नियमित रूप से भागवत महापुराण कथा का पाठ करना पितृदोष शांत करने का सबसे बड़ा उपाय है। स्वयं नहीं पढ़ सकते तो कहीं सुनने जाएं।
  • पीपल के पेड़ में पितरों का वास माना गया है। इसलिए पितृपक्ष में प्रतिदिन पीपल के पेड़ में मीठी कच्चा दूध जल मिलाकर अर्पित करें।
  • पीपल के पेड़ में प्रतिदिन शाम के समय आटे के पांच दीपक जलाएं।
  • पितरों के नाम से किसी वेदपाठी ब्राह्मण को भोजन करवाकर यथाशक्ति दान-दक्षिणा भेंट करें।
  • पितृपक्ष में प्रतिदिन गायों को हरी घास खिलाएं।
  • गाय को घी-गुड़ रखकर ताजी रोटी खिलाएं।
  • पितृदोष निवारण के लिए महामृत्युंजय के मंत्र से शिवजी का अभिषेक करें।
  • प्रतिदिन पितृ कवच का पाठ करने से पितृदोष की शांति होती है।
  • पितृपक्ष में पितरों के नाम से फलदार, छायादार वृक्ष लगवाएं।
  • भविष्य के लिए यह संकल्प करें कि घर के बुजुर्गों की सेवा करेंगे, घर की स्त्री, पत्नी, बेटी का अपमान नहीं करेंगे। वृक्षों को हानि नहीं पहुंचाएंगे।

2019 श्राद्ध पक्ष- जानिए कब से होंगे शुरू

पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों की आत्‍मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है. हिंदू धर्म में इस माह का काफी महत्व है. ऐसा कहा जाता है कि अगर घर के पितृ नाराज हो जाएं तो घर की खुशहाली खत्म हो जाती है. इसीलिए पितृ पक्ष को मनाने और उनकी शांति के लिए इस माह में श्राद्ध किया जाता है. श्राद्ध माह में पिंड दान और तर्पण कर पितृ की शांति की कामना की जाती है.

2019 में पितृ पक्ष कब से हो रहे हैं शुरू-

हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार पितृ पक्ष अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ते हैं. पितृ पक्ष की शुरूआत हर साल पूर्णिमा तिथि से शुरू होकर अमावस्या पर ये खत्म होते हैं. पितृ पक्ष इस बार 15 दिनों के होंगे. इस वर्ष 2019 में पितृ पक्ष 13 सितंबर से शुरू होकर 28 सितंबर को खत्म होंगे. पितृ पक्ष में नए कपड़ों व आयोजनों की मनाही होती हैं. हिंदू धर्म में इन 15 दिन किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।

पितृ पक्ष का महत्‍व –

पौराणिक ग्रंथों में वर्णित किया गया है कि देवपूजा से पहले जातक को अपने पूर्वजों की पूजा करनी चाहिये, पितरों के प्रसन्न होने पर देवता भी प्रसन्न होते हैं, यही कारण है कि भारतीय संस्कृति में जीवित रहते हुए घर के बड़े बुजूर्गों का सम्मान और मृत्योपरांत श्राद्ध कर्म किये जाते हैं, इसके पिछे यह मान्यता भी है कि यदि विधिनुसार पितरों का तर्पण न किया जाये तो उन्हें मुक्ति नहीं मिलती और उनकी आत्मा मृत्यु लोक में भटकती रहती है, पितृ पक्ष को मनाने का ज्योतिषीय कारण भी है, ज्योतिष शास्त्र में पितृ दोष काफी अहम माना जाता है, जब जातक सफलता के बिल्कुल नज़दीक पंहुचकर भी सफलता से वंचित होता हो, संतान उत्पत्ति में परेशानियां आ रही हों, धन हानि हो रही हों तो ज्योतिषाचार्य पितृदोष से पीड़ित होने की प्रबल संभावनाएं बताते हैं, इसलिये पितृदोष से मुक्ति के लिये भी पितरों की शांति आवश्यक मानी जाती है, पितृ पक्ष के 15 दिन काफी महत्वपूर्ण होते हैं. हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि मृत्‍यु के बाद मृत व्‍यक्ति का श्राद्ध करना बेहद जरूरी होता है. पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए इन दिनों में पूजा व पिंडदान किए जाते हैं. कहा जाता है कि अगर इस माह में श्राद्ध न किया जाए तो मरने वाले पूर्वजों को मुक्ति नहीं मिलती और वह नाराज हो जाते हैं. पितरों का श्राद्ध करने से वे प्रसन्‍न होते हैं।

किस दिन करना चाहिए पूर्वज़ों का श्राद्ध-

वैसे तो प्रत्येक मास की अमावस्या को पितरों की शांति के लिये पिंड दान या श्राद्ध कर्म किये जा सकते हैं लेकिन पितृ पक्ष में श्राद्ध करने का महत्व अधिक माना जाता है, पितृ पक्ष में किस दिन पूर्वज़ों का श्राद्ध करें इसके लिये शास्त्र सम्मत विचार यह है कि जिस पूर्वज़, पितर या परिवार के मृत सदस्य के परलोक गमन की तिथि याद हो तो पितृपक्ष में पड़ने वाली उक्त तिथि को ही उनका श्राद्ध करना चाहिये। यदि देहावसान की तिथि ज्ञात न हो तो आश्विन अमावस्या को श्राद्ध किया जा सकता है इसे सर्वपितृ अमावस्या भी इसलिये कहा जाता है समय से पहले यानि जिन परिजनों की किसी दुर्घटना अथवा सुसाइड आदि से अकाल मृत्यु हुई हो तो उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को किया जाता है, पिता के लिये अष्टमी और माता के लिये नवमी की तिथि श्राद्ध करने के लिये उपयुक्त मानी जाती है।

पितृ को श्राद्ध देना क्यो जरूरी है-

मान्यता के अनुसार अगर पितृ गुस्सा हो जाए तो मनुष्य के जीवन मे अनेक समस्याया का सामना करना पड सकता है, पितृ जब अशांत हो तो उसके कारण धन हानि, परिजनो मे स्वास्थय मे गिरवट ओर संतान की बाबत मे समस्या का भी सामना करना पडता है, संतान – हीनता के मामलो मे ज्योतिष पितृ दोष को अवश्य देखते है, यह लोगो को पितृ के दौरान श्राद्ध जरूरी है।

पितृ के श्राद्ध मे क्या दिया जाता है-

पितृ श्राद्ध मे तेल, चावल, जौ आदि वस्तु को अधिक महत्व दिया जाता है ओर वेद पूराण मे यह बात का भी ज्रिक है कि श्राद्ध करने का अधिकार केवल योग्य ब्राह्मणो को है, श्राद्ध करने मेतिल और कुशा का सवाधिक महत्व होता है, श्राद्ध के दिन पितृ को अर्पित किए जाने वाले भोज्य पदाथॅ को पिड रूप मे अर्पित कराना चाहिए, श्राद्ध का अधिकार पुत्र, भाई, पौत्र, पपुत्र के साथ महिलाओं को भी होता है।

श्राद्ध मे पितृ के रूप मे कौओ का महत्व-

मान्यता के अनुसार श्राद्ध ग्रहन करने के लिए हमेशा पितृ कौए का रूप धारण कर वह तिथि पर दोपहर के समय हमारे घरकी छत आते हे अगर उन्हे श्राद्ध भोजन नही मिलता तो वो नाराज हो जाता है यह कारण श्राद्ध का पहेला भाग कौओ को दिया जाता है।

पितृ पक्ष 2019 श्राद्ध की तिथियां-

  • 13 सितंबर- पूर्णिमा श्राद्ध
  • 14 सितंबर- प्रतिपदा
  • 15 सितंबर- द्वितीया
  • 17 सितंबर– तृतीया
  • 18 सितंबर- चतुर्थी
  • 19 सितंबर- पंचमी, महा भरणी
  • 20 सितंबर- षष्ठी
  • 21 सितंबर- सप्तमी
  • 22 सितंबर- अष्टमी
  • 23 सितंबर -नवमी
  • 24 सितंबर – दशमी
  • 25 सितंबर – एकादशी
  • 26 सितंबर- द्वादशी,
  • 27 सितंबर- त्रयोदशी
  • 28 सितंबर-चतुर्दशी (सर्वपित्र अमावस्या)

जीवनसाथी से तलाक़

हमारे समाज में अलगाव की संख्या तेजी से बढ़ रही है। बहुत से लोग वैवाहिक जीवन में परेशानी का सामना कर रहे हैं। शादियां स्वर्ग में होती हैं लेकिन तलाक का फैसला धरती पर लिया जाता है। एक सुखी वैवाहिक जीवन हमारे जीवन में हर तरह की समृद्धि, पारिवारिक वृद्धि और खुशी लाता है। लेकिन हर एक इस विषय में लकी नहीं होता। तलाक या अलग होने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन यहां हम केवल ज्योतिष तलाक के संकेतों पर चर्चा करेंगे। कुंडली में अशुभ ग्रहों के बाद भी तलाक या अलगाव से बचने में उचित विवाह मिलान बहुत प्रभावी सिद्ध होता है।

तलाक – ग्रह और भाव

अशुभ ग्रह विशेष रूप से मंगल, राहु, शनि और सूर्य पृथक् प्रकृति के हैं। वास्तव में ये ग्रह कुंडली में तलाक के एजेंट के रूप में कार्य करते है। इनमें से दो या दो से अधिक ग्रहों का सप्तम, सप्तमेश और कारक गुरु को पीड़ित करना तलाक का कारण बनता है। शुक्र ग्रह प्रेम, रोमांस, सेक्स और विवाह का मुख्य ग्रह है। पुरुष कुंडलियों में यह जीवन साथी को इंगित करता है। इसलिए यदि शुक्र पीड़ित है, मार्गी होकर कमजोर है तो यह वैवाहिक जीवन में परेशानी का संकेत है। महिला कुंडली में बृहस्पति को पति का कारक ग्रह माना जाता है। इसलिए जब बृहस्पति कमजोर या पीड़ित होता है तो पति नाखुश रहता है।

कुंडली में तलाक के भाव

  • ज्योतिष शास्त्र में वैवाहिक सौहार्द्र, विडंबना और तलाक को आंकने के लिए मुख्य रुप से चतुर्थ, सप्तम, आठवें और द्वादश भाव का विचार किया जाता है।
  • चतुर्थ भाव परिवार से सुख का भाव है। इसलिए जब चतुर्थ भाव या चतुर्थेश पीड़ित हो तो परिवार में सुख की कमी रहती है। इसके विपरीत चतुर्थ भाव मजबूत हो या चतुर्थेश सुस्थित हो तो तलाक योग अंतिम परिणाम नहीं होता है।
  • सातवां घर विवाह का मुख्य भाव है। यह भाव न केवल शादी के विषय में बल्कि सभी प्रकार के संबंधों के लिए भी देखा जाता है। इसलिए जब 7 वां भाव पीड़ित होता है और सातवें भाव का स्वामी भी पीड़ित होता है, तो यह इंगित करता है कि व्यक्ति को एक अच्छा वैवाहिक जीवन नहीं मिलेगा।
  • 8 वां भाव किसी भी व्यक्ति के यौन जीवन को नियंत्रित करता है। सभी भावों में यह सबसे अशुभ भाव है। यह सभी प्रकार की छिपे हुए विषयों, गुप्त चीजों, बाधाओं और संघर्षों आदि को प्रकट करता है। इसके अलावा 7 वें भाव से दूसरा होने के कारण यह वैवाहिक जीवन में वृद्धि के लिए भी जिम्मेदार है। यदि 8 वां भाव पीड़ित है, और 8 वें भाव का स्वामी सातवें भाव से संबंध बनाता हैं तो यह विवाह में नकारात्मक फल ला सकता है। यह ज्योतिष में विवाहेतर संबंधों के लिए मुख्य भाव है।
  • 12 वें भाव शयन सुख या यौन सुख के भाव के रूप में जाना जाता है। यदि 12 वां भाव पीड़ित है तो यह खराब यौन जीवन को दर्शाता है और यदि 12 वें भाव का स्वामी पीड़ित है तो यह यौन जीवन में रुचि की कमी दर्शाता है।
  • यदि 7 वें भाव का स्वामी 12 वें भाव के स्वामी और राहु के साथ लग्न भाव में स्थित हो तो यह वैवाहिक कलह का कारण बनता है।

    उपाय

  • श्रावण मास के दौरान लड़कियां हरे रंग की चूड़ियाँ पहनें।
  • गुरुवार को सफेद कपड़े पहनें। ये दोनों ग्रह प्रेम, संबंध और शीघ्र विवाह को नियंत्रित करता है।
  • दीया / दीपक जलाएं और इसे अपने घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में रखें।
  • सुपारी या पान लें। उस पर अपने प्रिय का नाम लिखें और उसे शहद की बोतल में डुबोएं। यह उस व्यक्ति को आपके करीब लाएगा।
  • आप दोनों के बीच प्रेम के बंधन को मजबूत करने के लिए पूर्णिमा पर अपने प्रेमी से मिलें।
  • 108 मनकों से बनी स्फटिक मनकों की माला पर “ओम लक्ष्मी नारायण नमः” का 3 बार जप करें। 3 महीने तक भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के सामने मंत्र जाप करें। यह आपके और आपके जीवनसाथी के बीच एक मजबूत पैदा करेगा।
  • अपने प्यार को जीतने के लिए अपने घर के पास किसी भी भगवान कृष्ण मंदिर में बांसुरी अर्पित करें।
  • दुर्गा माता को लाल शॉल चढ़ाएं और अपने प्यार के सफल होने की प्रार्थना करें। इससे आपको आपका मनचाहा प्यार मिलेगा।
  • शहद के साथ “रुद्र अभिषेक” करें। शिव लिंग की यह पूजा विवाहित और अविवाहित लड़कियों के लिए लाभदायक है।
  • लड़कियों को एक सुंदर और प्यार करने वाला पति पाने के लिए 16 सोमवार या सोलह सोमवार का व्रत करना चाहिए।
  • अपने इच्छित व्यक्ति से विवाह करने के लिए गौरी-शंकर रुद्राक्ष पहनें।
  • अपने जीवन में प्यार को आकर्षित करने के लिए डायमंड या ओपल या जिरकॉन (हीरे के विकल्प) पहनें।
  • खुशहाल शादी सफल जीवन की कुंजी है। एक प्यार करने वाला जीवनसाथी आपको सफलता की बुलंदियों तक पहुंचा सकता है। कई कारक विवाहित जीवन की सफलता को निर्धारित करते हैं।

मोर पंख – एक अनूठी शक्ति

मोर बेहद खूबसूरत पंछी है। ज्योतिष, वास्तु, धर्म, पुराण और संस्कृति में मोर का अत्यधिक महत्व माना गया है। मोर पंख घर में रखने से अमंगल टल जाता है। आइए जानें 25 अनूठी बातें मोर पंख के बारे में…

1. मोर, मयूर, पिकॉक कितने खूबसूरत नाम है इस सुंदर से पक्षी के। जितना खूबसूरत यह दिखता है उतने ही खूबसूरत फायदे इसके पंखों के भी हैं। हमारे देवी -दवताओं को भी यह अत्यंत प्रिय हैं। मां सरस्वती, श्रीकृष्ण, मां लक्ष्मी, इन्द्र देव, कार्तिकेय, श्री गणेश सभी को मोर पंख किसी न किसी रूप में प्रिय हैं। पौराणिक काल में महर्षियों द्वारा इसी मोरपंख की कलम बनाकर बड़े-बड़े ग्रंथ लिखे गए हैं।

2. मोर के विषय में माना जाता है कि यह पक्षी किसी भी स्थान को बुरी शक्तियों और प्रतिकूल चीजों के प्रभाव से बचाकर रखता है। यही वजह है कि अधिकांश लोग अपने घरों में मोर के खूबसूरत पंखों को लगाते हैं।

3. मोर पंख की जितनी महत्ता भारत के लोगों के लिए है शायद ही किसी अन्य देश के लोगों के लिए हो। हमारे यहां माना जाता है कि मोर नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में सबसे प्रभावशाली है।

4. हालांकि 20वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में पश्चिमी देशों के लोग मोरपंख को दुर्भाग्य का सूचक मानते थे। लेकिन मोर पंख की शुभता का अनुभव होने के बाद उसे शुभ चिन्ह के रूप में स्वीकार कर लिया गया।

5. ग्रीक पौराणिक कथाओं के अनुसार मोर को ‘हेरा’ के साथ संबंधित किया जाता है। मान्यता के अनुसार आर्गस, जिसकी सौ आंखें थीं, उसके द्वारा हेरा ने मोर की रचना की।

6. यही वजह है कि ग्रीक लोग मोर के पंखों को स्वर्ग और सितारों की निगाहों के साथ जोड़ते हैं।

7. हिंदू धर्म में मोर को धन की देवी लक्ष्मी और विद्या की देवी सरस्वती के साथ जोड़कर देखा जाता है।

 

8. लक्ष्मी सौभाग्य, खुशहाली और धन धान्य व संपन्नता के लिए पूजी जाती हैं। मोर के पंखों का प्रयोग लक्ष्मी की इन्हीं विशेषताओं को हासिल करने के लिए किया जाता है। मोर पंख को बांसुरी के साथ घर में रखने से रिश्तों में प्रेम रस घुल जाता है।

9. एशिया के बहुत से देशों में मोर के पंखों को अध्यात्म के साथ संबंधित किया जाता है। क्वान-यिन जो कि अध्यात्म का प्रतीक है का मोर से खास रिश्ता माना गया है। क्वान यिन : क्वान-यिन प्रेम, प्रतिष्ठा, धीरज और स्नेह का सूचक है। इसलिए संबंधित देशों के लोगों के अनुसार मोर पंख से नजदीकी अर्थात क्वान-यिन से समीपता मानी गई है।

10. अगर आपके वैवाहिक जीवन में तनाव है तो अपने शयनकक्ष में मोरपंख रखें, इससे पति पत्नी के बीच प्यार बढ़ता है।

11. यदि शत्रुता समाप्त करनी हो या कि शत्रु तंग कर रहे हो, तो मोरपंख पर हनुमान जी के मस्तक के सिंदूर से उस शत्रु का नाम मंगलवार या शनिवार रात्रि में लिखकर उसे घर के पूजा स्थल में रखें व सुबह उठकर उसे चलते पानी मे प्रवाहित कर आएं।

12. वास्तुशास्त्र के अनुसार मोरपंख को घर की दक्षिण दिशा में स्थित तिजोरी में खड़ा करके रखने से कभी भी धन की कमी नहीं होती है।

13. राहु का दोष होने पर मोरपंख घर की पूर्वी और उत्तर पश्चिम की दीवार पर लगाएं।

14. अगर आपके घर में मोरपंख है तो आपके घर में कोई भी बुरी शक्ति प्रवेश नहीं कर पाती है। यह घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करके सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है।

15. वास्तुशास्त्र के अनुसार मोरपंख को घर में रखने से आपके घर के सारे दोष दूर हो जाते है।

16. यदि मोर का पंख घर के पूर्वी और उत्तर-पश्चिम दीवार मे या अपनी जेब व डायरी मे रखा हो तो राहू कभी भी परेशान नहीं करता है। मोरपंख की पूजा करे या हो सके तो उसे हमेशा अपने पास रखे। मोरपंख को घर में रखने से परिवार के सदस्यों की सेहत भी अच्छी रहती है।

17. ग्रहों के अशुभ प्रभाव होने पर मोरपंख पर 21 बार ग्रह का मंत्र बोलकर पानी का छींटें दें, और इसे श्रेष्ठ स्थान पर स्थापित करें जहां से यह दिखाई दे।

18. आर्थिक लाभ के लिए किसी मंदिर में जाकर मोरपंख को राधा कृष्ण के मुकुट में लगाएं और 40 दिन बाद इसे लॉकर या तिजोरी में रख दें।

19. बुरी नजर से बच्चों को बचाने के लिए नवजात बालक को मोरपंख चांदी के ताबीज में पहनाएं।

20. घर के मुख्य द्वार पर 3 मोरपंख लगाकर ॐ द्वारपालाय नम: जाग्रय स्थापयै स्वाहा मंत्र लिखें और नीचे गणेश जी की मूर्ति लगाएं।

21. आग्नेय कोण में मांरपंख लगाने से घर के वास्तु दोष को ठीक किया जा सकता है। इसके अलावा ईशान कोण में कृष्ण भगवान की फोटो के साथ मोरपंख लगाएं।

22. बौद्ध धर्म के अनुसार मोर अपनी अपने सारे पंखों को खोल देता है, इसलिए उसके पंख विचारों और मान्यताओं में खुलेपन का ही प्रतीक माने जाते हैं।

23. ईसाई धर्म में मोर के पंख, अमरता, पुनर्जीवन और अध्यात्मिक शिक्षा से संबंध रखते हैं।

24. इस्लाम धर्म में मोर के खूबसूरत पंख जन्नत के दरवाजे के बाहर अद्भुत शाही बगीचे का प्रतीक माने जाते हैं।

25. यह भी विशेष गौर करने लायक तथ्य है कि घरों में मोरपंख रखने से कीड़े-मकोड़े घर में दाखिल नहीं होते।

13 अचूक मंत्र जिनसे मिलेगी हर कार्य में सफलता

1 . ॐ मंगलम् भगवान विष्णु: मंगलम् गरूड़ध्वज:।
मंगलम् पुण्डरीकांक्ष: मंगलाय तनो हरि।।

2 . कराग्रे वसते लक्ष्मी: कर मध्ये सरस्वती।
करमूले गोविन्दाय, प्रभाते कर दर्शनम्।

 
3 . गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवो महेश्वर:।
गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम:

 4 . करारविन्देन पदारविन्दं, मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम्।
वटय पत्रस्य पुटेशयानं, बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि।।
 
5. सीताराम चरण कमलेभ्योनम: राधा-कृष्ण-चरण कमलेभ्योनम:।

6 . राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमै: सहस्त्रनाम तत्तुल्यं श्री रामनाम वरानने।

7 . माता रामो मम् पिता रामचन्द्र: 
स्वामी रामो ममत्सखा सखा रामचन्द्र: 
सर्वस्व में रामचन्द्रो दयालु नान्यं जाने नैव जाने न जाने।।।
 
8. दक्षिणे लक्ष्मणो यस्त वामेच जनकात्मजा, 
पुरतोमारुतिर्यस्य तं वंदे रघुनंदम्।

 
9 . लोकाभिरामं रण रंग धीरं राजीव नेत्रम् रघुवंश नाथम्।
कारुण्य रूपम् करुणा करम् श्री रामचंद्रम शरणं प्रपद्ये।

 
10. आपदा मम हरतारं दातारम् सर्व सम्पदाम् 
लोकाभिरामम् श्री रामम् भूयो भूयो नमाम्यहं।

 
11. रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे
रघुनाथाय नाथाय सीतापतये नम:।

 
12. श्री रामचंद्र चरणौ मनसास्मरासि,
श्री रामचंद्र चरणौ वचसा गृणोमि।
श्री रामचंद्र चरणौ शिरसा नमामि,
श्री रामचंद्र चरणौ शरणम् प्रपद्धे:।।

 
13. त्वमेव माता च पिता त्वमेव। त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव। त्वमेव सर्वम् ममदेव देव।

कुंडली में कब बनते हैं तलाक के योग?

कुंडली में तलाक योग कैसे बनता है?

आपके वैवाहिक जीवन में उछल-पुथल मची है तो आपको समझ जाना चाहिए कि आपकी कुंडली में प्रेम कारक ग्रह तथा वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने वाले ग्रह की दशा बिगड़ रही है। यदि समय रहते इस ध्यान न दिया जाए तो परिणाम काफी गंभीर हो सकते हैं। जैसे की- जोड़े एक दूसरे से अगल हो जाएं या तलाक की बात करें। ऐसे में उन्हें योग्य ज्योतिषाचार्य से सलाह लेकर अपने वैवाहिक जीवन को बचाने की कोशिश करना चाहिए। तो आइए जानते हैं कुंडली में कैसे बनता है तलाक योग?

कुंडली में तलाक योग

किसा भी कुंडली में लग्नेश, सप्तमेश तथा चंद्रमा विपरीत स्थिति में हो तो पत्रिका के अंदर तलाक की स्थिति उत्पन्न होती है। सप्तम भाव का स्वामी छठे भाव या बारहवें भाव में विराजमान है तो पति-पत्नी के बीच में अलग होने की स्थिति बनती है जो तलाक करवाता है। सूर्य, राहु व शनि सातवें भाव में हो और इन पर शुक्र का प्रभाव पड़ रहा हो या शुक्र की दृष्टि बारहवें भाव पर पड़ रही हो तो भी तलाक के योग बनते हैं। इसके अलावा सप्तमेश व बारहवें भाव का स्वामी आपस में राशि संबंध बनाते हैं तो कुंडली में तलाक योग का निर्माण होता है। तलाक योग चतुर्थ भाव के स्वामी या सप्तम भाव के स्वामी का छठे, आठवें और बारहवें भाव में विराजमान होने पर भी बनता है। इसके अतिरीक्त चतुर्थ भाव पर पाप ग्रह की दृष्टि पड़ना या पाप ग्रह का विराजमान होना भी वैवाहिक जीवन का अंत करने वाला योग बनाता है। जातक के जन्म कुंडली में शुक्र के साथ छठे, आठवें व बारहवें स्थान में पाप ग्रह विद्धमान है तो यह योग संबंध को तोड़ने का काम करता है। इसके इतर सप्तमेश, लग्नेश व अष्टमेश तथा बारहवें घर में विराजमान हैं तो भी तलाक की स्थिति बनती है। यदि पत्रिका में प्रेम के कारक ग्रह शुक्र नीच राशि का या वक्र राशि का होकर के छठे, आठवें तथा बारहवें घर में स्थित है तो यह अलगाव का योग बनाता है।