रक्षाबंधन के दिन भद्राकाल होने पर राखी नहीं बांधी जाती है। भद्राकाल को अशुभ समय माना गया है। भद्राकाल में किसी भी तरह काशुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।
रक्षाबंधन का त्योहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह सबसे बड़े त्योहारों में से एक होता है। पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन का पर्वहर साल सावन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इसे राखी और राखी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। रक्षाबंधन भाई–बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक होता है। इस पर्व पर बहनें अपने भाई के माथे पर टीका और आरती उतारते हुए कलाई पर राखीबांधती हैं। राखी बांधते समय बहनें भगवान से भाईयों की लंबी और सेहतमंद आयु, सुख–समृद्धि, धन,वैभव और ऐशोआराम की कामनाकरती हैं। बहन के राखी बांधने के बदले में भाई उसे तोहफे और जीवन भर रक्षा का वचन देता है। इस बार रक्षाबंधन का पावन त्योहार11 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा।
ज्योतिष मुहूर्त के अनुसार रक्षाबंधन पर राखी हमेशा शुभ मुहूर्त का विचार करके ही बांधना शुभ होता है। रक्षाबंधन के दिन बहनों कोभाईयों की कलाई पर राखी बांधते वक्त भद्राकाल का विशेष ध्यान रखना चाहिए। रक्षाबंधन के दिन भद्राकाल होने पर राखी नहीं बांधीजाती है। भद्राकाल को अशुभ समय माना गया है। भद्राकाल में किसी भी तरह का शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है। भद्राकाल मेंशुभ कार्य को करने पर उसमें सफलता नहीं प्राप्त होती है। इस बार रक्षाबंधन पर भद्राकाल का साया मौजूद रहेगा। इस लिए भद्राकालके समय पर भाई की कलाई पर भूलकर भी राखी न बांधे। ऐसे में आइए जानते इस साल रक्षाबंधन के पर्व पर भद्राकाल कब से शुरू होजाएगा ,राखी बांधने का शुभ समय क्या होगा और भद्रा काल में क्यों नहीं बांधी जाती है राखी?
रक्षाबंधन पर भद्राकाल का साया
वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार 11 अगस्त के दिन शाम के 5 बजकर 17 मिनट पर भद्रा पुंछ शुरू हो जाएगा जो शाम के 6 बजकर18 मिनट पर समाप्त होगा। फिर 6 बजकर 18 मिनट से भद्रा मुख शुरू हो जाएगा जो रात्रि के 8 बजे तक रहेगा। भद्राकाल के खत्महोने पर राखी बांधी जा सकती है। अगर आपको भद्रा काल में राखी बांधनी बहुत जरूरी हो तो इस दिन प्रदोषकाल में शुभ,लाभ,अमृत मेंसे कोई एक चौघड़िया देखकर राखी बांधी जा सकती है।
रक्षाबंधन तिथि– 11 अगस्त 2022, गुरुवार
पूर्णिमा तिथि आरंभ– 11 अगस्त, सुबह 10 बजकर 38 मिनट से
पूर्णिमा तिथि की समाप्ति– 12 अगस्त. सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर
शुभ मुहूर्त– 11 अगस्त को सुबह 9 बजकर 28 मिनट से रात 9 बजकर 14 मिनट
अभिजीत मुहूर्त– दोपहर 12 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक
अमृत काल– शाम 6 बजकर 55 मिनट से रात 8 बजकर 20 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 29 मिनट से 5 बजकर 17 मिनट तक
रक्षाबंधन 2022 भद्रा काल का समय
रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल की समाप्ति– रात 08 बजकर 51 मिनट पर
रक्षाबंधन के दिन भद्रा पूंछ– 11 अगस्त को शाम 05 बजकर 17 मिनट से 06 बजकर 18 मिनट तक
रक्षाबंधन भद्रा मुख – शाम 06 बजकर 18 मिनट से लेकर रात 8 बजे तक
रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त
रक्षा बंधन प्रदोष मुहूर्त :20:52:15 से 21:14:18 तक
भद्राकाल में राखी बांधना वर्जित क्यों?
भद्राकाल का समय अशुभ होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भद्रा शनिदेव की बहन हैं। ऐसी मान्यता है जब माता छाया के गर्भ सेभद्रा का जन्म हुआ तो समूची सृष्टि में तबाही होने लगी और वे सृष्टि को तहस–नहस करते हुए निगलने लगीं। सृष्टि में जहां पर भी किसीतरह का शुभ और मांगलिक कार्य संपन्न होता भद्रा वहां पर पहुंच कर सब कुछ नष्ट कर देती। इस कारण से भद्रा काल को अशुभ मानागया है। ऐसे में भद्रा काल होने पर राखी नहीं बांधनी चाहिए। इसके अलावा भी एक अन्य कथा है। रावण की बहन ने भद्राकाल में राखीबांधी जिस कारण से रावण के साम्राज्य का विनाश हो गया है। इस कारण से जब भी रक्षा बंधन के समय भद्राकाल होती है उस दौरानराखी नहीं बांधी जाती है।
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