अकाल मृत्यु से बचने का दिन है- नरक चतुर्दशी

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11 Nov
2023

नरक चतुर्दशी

पुराणों के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था इसी खुशी में प्रजा ने दीपक जलाए थे । आचार्य एसटलोजरस के अध्यक्ष पंडित गौरव आचार्य अनुसार नरक चौदस यानी की छोटी दीपावली के दिन श्री कृष्ण, शक्ति, हनुमान जी, यम का पूजन करने का विधान है यह यमराज को प्रसन्न करने का भी दिन है। जिसका उद्देश्य नर्क से मुक्ति पाना भी है क्योंकि यमराज के रुष्ट होने से प्राणी को नर्क में दी जाने वाली यातनाओं को भी भोगना पड़ता है दैत्यराज बली के वामन भगवान से मांगे वरदान के अनुसार उस दिन जो भी व्यक्ति यमराज को दीपदान करता है उसको यम यातना नहीं होती

चतुर्दशी को महरात्रि माना गया है इसलिए इसमें शक्ति के उपासक शक्ति की पूजा करते हैं तथा मंत्र भी सिद्ध करते हैं। इस दिन शरीर पर तिल के तेल की मालिश करने का विधान है तथा अपामार्ग मिश्रित जल से स्नान करने से यम का भय नहीं होता है यद्यपि कार्तिक स्नान करने वाले भक्तों को कार्तिक मास में तेल का स्नान नहीं करना चाहिए परंतु नरक चतुर्दशी को इसका दोष नहीं लगता है आज ही के दिन कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को अर्धरात्रि में अंजना के गर्भ से हनुमान जी का जन्म हुआ था । शास्त्रों में चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को भी हनुमान जन्म का उल्लेख मिलता है परंतु आज के दिन सीता जी ने हनुमान जी को सिंदूर देकर आशीर्वाद दिया था कि इसको धारण करो और अजय अमर रहो इसी कारण से भी हनुमान जी को आज सिंदूर चढ़ाकर विधि विधान से पूजा की जाती है और हनुमान चालीसा सुंदरकांड पंचमुखी कवच आदि का पाठ किया जाता

आज ही के दिन प्रदोष काल में तेल से भरे हुए 14 दीपक पूजन कर मंदिर बाग बगीचा आज में दीपदान करें इससे यमराज संतुष्ट होते हैं तथा दीपकों में तिल भी रखें। इससे यमराज संतुष्ट होते हैं 

लिंग पुराण के अनुसार चार बत्तियों का दीपक प्रचलित करके दीपदान करना चाहिए तथा इस समय प्रज्वलित शलाका (आतिशबाजी में प्रयुक्त फुलझड़ी आदि) लेकर दान करने से अकाल मृत्यु हुई परिजनों को सद्गति प्राप्त होती है।

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