प्रेम विवाह करने वाले लडके व लडकियों को एक-दुसरे को समझने के अधिक अवसर प्राप्त होते है. इसके फलस्वरुप दोनों एक-दूसरे की रुचि, स्वभाव व पसन्द-नापसन्द को अधिक कुशलता से समझ पाते है. प्रेम विवाह करने वाले वर-वधू भावनाओ व स्नेह की प्रगाढ डोर से बंधे होते है. ऎसे में जीवन की कठिन परिस्थितियों में भी दोनों का साथ बना रहता है.पर कभी-कभी प्रेम विवाह करने वाले वर-वधू के विवाह के बाद की स्थिति इसके विपरीत होती है. इस स्थिति में दोनों का प्रेम विवाह करने का निर्णय शीघ्रता व बिना सोचे समझे हुए प्रतीत होता है. आईये देखे कि कुण्डली के कौन से योग प्रेम विवाह की संभावनाएं बनाते है.
राहु के योग से प्रेम विवाह की संभावनाएं
1) जब राहु लग्न में हों परन्तु सप्तम भाव पर गुरु की दृ्ष्टि हों तो व्यक्ति का प्रेम विवाह होने की संभावनाए बनती है. राहु का संबन्ध विवाह भाव से होने पर व्यक्ति पारिवारिक परम्परा से हटकर विवाह करने का सोचता है. राहु को स्वभाव से संस्कृ्ति व लीक से हटकर कार्य करने की प्रवृ्ति का माना जाता है.
2.) जब जन्म कुण्डली में मंगल का शनि अथवा राहु से संबन्ध या युति हो रही हों तब भी प्रेम विवाह कि संभावनाएं बनती है. कुण्डली के सभी ग्रहों में इन तीन ग्रहों को सबसे अधिक अशुभ व पापी ग्रह माना गया है. इन तीनों ग्रहों में से कोई भी ग्रह जब विवाह भाव, भावेश से संबन्ध बनाता है तो व्यक्ति के अपने परिवार की सहमति के विरुद्ध जाकर विवाह करने की संभावनाएं बनती है.
3) जिस व्यक्ति की कुण्डली में सप्तमेश व शुक्र पर शनि या राहु की दृ्ष्टि हो, उसके प्रेम विवाह करने की सम्भावनाएं बनती है.
4) जब पंचम भाव के स्वामी की उच्च राशि में राहु या केतु स्थित हों तब भी व्यक्ति के प्रेम विवाह के योग बनते है.
प्रेम विवाह के अन्य योग
1) जब किसी व्यक्ति कि कुण्ड्ली में मंगल अथवा चन्द्र पंचम भाव के स्वामी के साथ, पंचम भाव में ही स्थित हों तब अथवा सप्तम भाव के स्वामी के साथ सप्तम भाव में ही हों तब भी प्रेम विवाह के योग बनते है.
2) इसके अलावा जब शुक्र लग्न से पंचम अथवा नवम अथवा चन्द लग्न से पंचम भाव में स्थित होंने पर प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती है.
3) प्रेम विवाह के योगों में जब पंचम भाव में मंगल हों तथा पंचमेश व एकादशेश का राशि परिवतन अथवा दोनों कुण्डली के किसी भी एक भाव में एक साथ स्थित हों उस स्थिति में प्रेम विवाह होने के योग बनते है.
4) अगर किसी व्यक्ति की कुण्डली में पंचम व सप्तम भाव के स्वामी अथवा सप्तम व नवम भाव के स्वामी एक-दूसरे के साथ स्थित हों उस स्थिति में प्रेम विवाह कि संभावनाएं बनती है.
5) जब सप्तम भाव में शनि व केतु की स्थिति हों तो व्यक्ति का प्रेम विवाह हो सकता है.
6) कुण्डली में लग्न व पंचम भाव के स्वामी एक साथ स्थित हों या फिर लग्न व नवम भाव के स्वामी एक साथ बैठे हों, अथवा एक-दूसरे को देख रहे हों इस स्थिति में व्यक्ति के प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती है.
7) जब किसी व्यक्ति की कुण्डली में चन्द्र व सप्तम भाव के स्वामी एक -दूसरे से दृ्ष्टि संबन्ध बना रहे हों तब भी प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती है.
8) जब सप्तम भाव का स्वामी सप्तम भाव में ही स्थित हों तब विवाह का भाव बली होता है. तथा व्यक्ति प्रेम विवाह कर सकता है.
9) पंचम व सप्तम भाव के स्वामियों का आपस में युति, स्थिति अथवा दृ्ष्टि संबन्ध हो या दोनों में राशि परिवर्तन हो रहा हों तब भी प्रेम विवाह के योग बनते है.
10) जब सप्तमेश की दृ्ष्टि, युति, स्थिति शुक्र के साथ द्वादश भाव में हों तो, प्रेम विवाह होता है.
11) द्वादश भाव में लग्नेश, सप्तमेश कि युति हों व भाग्येश इन से दृ्ष्टि संबन्ध बना रहा हो, तो प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती है
12) जब जन्म कुण्डली में शनि किसी अशुभ भाव का स्वामी होकर वह मंगल, सप्तम भाव व सप्तमेश से संबन्ध बनाते है. तो प्रेम विवाह हो सकता है.
3 Comments
admin
Posted at 01:10h,Apr 15, 2017
Thanks for Reading us. Regards, Team Acharya
Anu
Posted at 08:55h,Apr 01, 2017
Good one
Post a comment