ग्रहों का दिग्बल –
दिग्बली ग्रह जातक को अपनी दिशा में ले जाकर कई प्रकार से लाभ देने में सहायक बनते हैं. यह जातक को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने में सहायक होते हैं तथा आभूषणों, भूमि-भवन एवं वाहन सुख देते हैं. व्यक्ति को वैभवता की प्राप्ति हो सकती है. जातक यशस्वी तथा सम्मानित व्यक्ति बनता है.
सूर्य
सूर्य के दिगबली होने पर व्यक्ति को आत्मिक रूप से मजबूत अंतर्मन की प्राप्ति होती है. वह अपने फैसलों के प्रति काफी सदृढ़ होता है. व्यक्ति में कार्यों को पूर्ण करने की जो स्वेच्छा उत्पन्न होती है वह बहुत ही महत्वपूर्ण होती है. व्यक्ति अन्य लोगों के लिए भी मार्गदर्शक बनकर उभरता है. सभी के लिए एक बेहतर उदाहरण रूप में वह समाज के लिए सहायक सिद्ध होता है. जन समाज कल्याण की चाह उसमें रहती है. व्यक्ति अपने निर्देशों का कडा़ई से पालन कराने की इच्छा रखता है. वह अपने कामों में सुस्ती नहीं दिखाता है उसकी यह प्रतिभा उसे आगे रखते हुए सभी के समक्ष सम्मानित कराती है.
चंद्रमा
चंद्रमा के दिग्बली होने पर व्यक्ति का मन शांत भाव से सभी कामों को करने की ओर लगा रहता है. जातक के मन में अनेक भावनाएं हर पल जन्म लेती रहती हैं. वह अपने मन को नियंत्रित करना जानता है जिस कारण वह उचित रूप से दूसरों के समक्ष स्वयं को प्रदर्शित करने की कला का जानकार होता है. जातक धन वैभव से युक्त होता है. रत्नों एवं वस्त्राभूषणों का सुख प्राप्त होता है. सरकार की कृपा प्राप्त होती है तथा समानित स्थान मिलता है. व्यक्ति का आकर्षण एवं दूसरों के साथ आत्मिक रूप से जुड़ जाना बहुत प्रबल होता है, इसी कारण यह जल्द ही दूसरों के चहेते बन जाते हैं. बंधु-बांधवों के चहेते होते हैं उनसे स्नेह प्राप्त करते हैं. जातक मान मर्यादा का पालन करने वाला होता है.
मंगल
मंगल ग्रह के दिग्बली होने पर व्यक्ति का साहस और शौर्य बढ़ता है. व्यक्ति भय की भावना से मुक्त होता है और वह किसि भी कार्य को करने से भय नहीं खाता है. जातक अपने मार्ग को स्वयं सुनिश्चित करने वाला होता है वह अपने नियमों तथा वचनों का पक्का होता है. वह विद्वान लोगों का आदर करने वाला होता है तथा दूसरों के लिए मददगार सिद्ध होता है. उसके कामों में स्वेच्छा अधिक झलकती है. किसी अन्य के कथनों को मानने में उसे कष्ट होता है. वह अपने नेतृत्व क चाह रखने वाला होता है वह चाहता है की दूसरे भी उसकी इच्छा का आदर करें और उसके निर्देशों का पालन करने वाले हों. जातक में धर्मिकता का आचरण करने की इच्छा रहती है वह अनेक व्यक्तियों को आश्रय देने वाला होता है.
बुध
बुध के दिग्बली होने पर जातक का स्वभाव काफी प्रभावशाली बनता है. उसमें स्वयं के लिए विशेष अनुभूति प्रकट होती है. वह अपने अनुसार जीवन जीने की चाह रखने वाला होता है तथा किसी के आदेशों को सुनने की चाह उसमें नहीं होती है. व्यक्ति में चातुर्य का गुण प्रबल होता है, अपनी वाणी के प्रभाव द्वारा लोगों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है. जातक में स्नेह और सौहार्दय भी होता है वह दूसरों को अपने साथ जोड़ने वाला होता है तथा प्रेम की चाह रखता है. जातक जीवन में सुख सुविधाओं की चाह रखने वाला होता है वह जीवन को सामर्थ्य पूर्ण जीना चाहता है. हास-परिहास में पारंगत होता है और प्रसन्नचित रहने वाला वाक-कुशलता से युक्त होता है.
बृहस्पति
बृहस्पति के दिग्बली होने पर जातक को सुखों की प्राप्ति होती है. देह से स्वस्थ रहता है तथा मन से मजबूत होता है. हितकारी होता है तथा विद्वेष की भावना से मुक्त रहते हुए काम करने वाला होता है. जातक दूसरों के सहयोग के लिए प्रयासरत रहता है और मददगार होता है. जातक को विद्वान लोगों की संगति मिलती है तथा गुरूजनों की सेवा करके प्रसन्न रहता है. अन्न वस्त्र इत्यादि का सुख भोगने वाला होता है आर्थिक रूप से संतुष्ट रहता है. शत्रुओं के भय से मुक्त रहता है तथा निर्भयता से काम करने वाला होता है. जातक के विचारों को सभी लोग बहुत सम्मान देते हैं तथा प्रजा की दृष्टि में उसे सम्मान की प्राप्ति होती है.
शुक्र
शुक्र के दिगबली होने पर जातक के जीवन में सौंदर्य का आकर्षण प्रबल होता है. साजो सामान के प्रति उसे बहुत लगाव रहता है तथा वह अपने रहन सहन को भी बहुत उन्नत किस्म का जीने की चाहत रखने वाला होता है. व्यक्ति को स्वयं को सजाने संवारने की इच्छा खूब होती है वह अपने बनाव श्रृंगार पर खूब समय व्यतीत कर सकता है. जातक दूसरों के आकर्षण का आधार भी होता है. लोग इनकी ओर स्वत: ही खिंचे चले आते हैं. जातक देश-विदेश में प्रतिष्ठित होता है और धनार्जन करता है. उदार मन का तथा दूसरों के लिए समर्पण का भाव भी रखता है.
शनि
शनि के दिग्बली होने पर जातक ब्राह्मण व देवताओं का भक्त तथा सेवक होता है. वह दूसरों के लिए सेवाकार्य करने वाला होता है. सहायक बनता है. भोग-विलास की इच्छा करने वाला होता है. गीत संगीत तथा नृत्य इत्यादि में व्यक्ति की की रूचि होती है. चतुरता पूर्ण कार्यों को अंजाम देने की कला का जानकार होता है तथा व्यापार कार्यों में निपुण रहता है.
पूर्व दिशा लग्न बुध व गुरु को दिग्बली हो जाते है बौधिक क्षमता ज्यादा होगी व्यकित्व अच्छा होगा /
दशम भाव में सूर्य व मंगल को दिग्बल प्राप्त है जो कैरियर के लिए है
सप्तम भाव शनि को दिग्बल प्राप्त है विवाह के लिए
चतुर्थ भाव चन्द्र व शुक्र को दिग्बल प्राप्त है भौतिक सुख के लिए
4 Comments
Badar singh k chauhan
Posted at 05:57h,Mar 28, 2018
Sani ki dhai ke bare me kya solution he
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