पुखराज गुरु गृह का रत्न है , जब गुरु ग्रह कमजोर होता है या जन्म कुंडली में लग्न का स्वामी गुरु हो तो पुखराज रत्न पहनना चाहिये| पुखराज का उपरत्न या सस्ता रत्न सुनैला है जिसको पुखराज की जगह पहना जा सकता है| यह व्यक्ति के बल, बुद्धि, ज्ञान, यश, व् मान तथा धन में वृद्धि करता है| एवं पुत्र रूप में संतान देता है| बुरे कर्म करने से रोकता है तथा हमारी सुरक्षा करता है| यह रत्न अजीर्ण , कब्ज, आमवात, श्वेत प्रदर, कैंसर व् चर्मरोग से मुक्ति दिलाता है| पुखराज को सोने की अँगूठी में फिट करवा कर गुरूवार के दिन गुरु की होरा के समय पूजा घर में जाकर अँगूठी को दूध में व् गंगाजल में स्नान करवा कर वृहस्पति देव के मंत्र “ ॐ ब्रीं ब्रहष्पताय नमः “ का उच्चारण 108 बार करके अँगूठी को सिद्ध करके उँगली में पहनना चाहिए| पुखराज को खूब अच्छी तरह से परख कर एवं विश्वस्त दूकान से ही खरीदें क्योंकि पुखराज की जितनी अच्छी गुणवत्ता होगी उतना ही अच्छा लाभ देगा|