आजीविका में सफलता

आजिविका के क्षेत्र में सफलता व उन्नति प्राप्त करने के लिये व्यक्ति में अनेक गुण होने चाहिए, सभी गुण एक ही व्यक्ति में पाये जाने संभव नहीं है. किसी के पास योग्यता है तो किसी व्यक्ति के पास अनुभव पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. कोई व्यक्ति अपने आजिविका क्षेत्र में इसलिये सफल है कि उसमें स्नेह पूर्ण व सहयोगपूर्ण व्यवहार है.कोई अपनी वाकशक्ति के बल पर आय प्राप्त कर रहा है. तो किसी को अपनी कार्यनिष्ठा के कारण सफलता की प्राप्ति हो पाई है. अपनी कार्यशक्ति व दक्षता के सर्वोतम उपयोग करने पर ही इस गलाकाट प्रतियोगिता में आगे बढने का साहस कर सकता है. आईये देखे की ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कौन से ग्रह से व्यक्ति में किस गुण का विकास होता है.

1. कामकाज की जानकारी व समझ

काम छोटा हों या बडा हों, उसे करने का तरीका सबका एक समान हों यह आवश्यक नहीं, प्रत्येक व्यक्ति कार्य को अपनी योग्यता के अनुसार करता है. जब किसी व्यक्ति को अपने कामकाज की अच्छी समझ न हों तो उसे कार्यक्षेत्र में दिक्कतों का सामना करना पड सकता है. व्यक्ति के कार्य को उत्कृ्ष्ट बनाने के लिये ग्रहों में गुरु ग्रह को देखा जाता है.

कुण्डली में जब गुरु बली होकर स्थिति हो तथा वह शुभ ग्रहों के प्रभाव में हों तो व्यक्ति को अपने क्षेत्र का उतम ज्ञान होने की संभावनाएं बनती है गुरु जन्म कुण्डली में नीच राशि में वक्री या अशुभ ग्रहों के प्रभाव में हों तो व्यक्ति में कामकाज की जानकारी संबन्धी कमी रहने की संभावना रहती है. सभी ग्रहों में गुरु को ज्ञान का कारक ग्रह कहा गया है. गुरु ग्रह व्यक्ति की स्मरणशक्ति को प्रबल करने में भी सहयोग करता है. इसलिये जब व्यक्ति की स्मरणशक्ति अच्छी होंने पर व्यक्ति अपनी योग्यता का सही समय पर उपयोग कर पाता है.

2. कार्यक्षमता व दक्षता

किसी भी व्यक्ति में कार्यक्षमता का स्तर देखने के लिये कुण्डली में शनि की स्थिति देखी जाती है कुण्डली में शनि दशम भाव से संबन्ध रखते हों तो व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में अत्यधिक कार्यभार का सामना करना पड सकता है. कई बार ऎसा होता है कि व्यक्ति में उतम योग्यता होती है. परन्तु उसका कार्य में मन नहीं लगता है.इस स्थिति में व्यक्ति अपनी योग्यता का पूर्ण उपयोग नहीं कर पाता है. या फिर व्यक्ति का द्वादश भाव बली हों तो व्यक्ति को आराम करना की चाह अधिक होती है. जिसके कारण वह आराम पसन्द बन जाता है. इस स्थिति में व्यक्ति अपने उतरदायित्वों से भागता है. यह जिम्मेदारियां पारिवारिक, सामाजिक व आजिविका क्षेत्र संबन्धी भी हो सकती है. शनि बली स्थिति में हों तो व्यक्ति के कार्य में दक्षता आती है.

3. कार्यनिष्ठा:
जन्म कुण्डली के अनुसार व्यक्ति में कार्यनिष्ठा का भाव देखने के लिये दशम घर से शनि का संबन्ध देखा जाता है अपने कार्य के प्रति अनुशासन देखने के लिये सूर्य की स्थिति देखी जाती है. शनि व सूर्य की स्थिति के अनुसार व्यक्ति में अनुशासन का भाव पाया जाता है. शनि व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सजग बनाता है. कुण्डली में शनि जब बली होकर स्थित होंने पर व्यक्ति अपने कार्य को समय पर पूरा करने का प्रयास करता है.

4. स्नेह, सहयोगपूर्ण व्यवहार

कई बार व्यक्ति योग्यता भी रखता है उसमें दक्षता भी होती है. परन्तु वह अपने कठोर व्यवहार के कारण व्यवसायिक जगत में अच्छे संबध नहीं बना पाता है. व्यवहार में मधुरता न हों तो कार्य क्षेत्र में व्यक्ति को टिक कर काम करने में दिक्कतें होती है. चन्द्र या शुक्र कुण्डली में शुभ भावों में स्थित होकर शुभ प्रभाव में हों तो व्यक्ति में कम योग्यता होने पर भी उसे सरलता से सफलता प्राप्त हो जाती है. अपनी स्नेहपूर्ण व्यवहार के कारण वह सबका शीघ्र दिल जीत लेता है. बिगडती बातों को सहयोगपूर्ण व्यवहार से संभाल लेता है. चन्द्र पर किसी भी तरह का अशुभ प्रभाव होने पर व्यक्ति में सहयोग का भाव कम रहने की संभावनाएं बनती है.

5. यान्त्रिक योग्यता

आज के समय में सफलता प्राप्त करने के लिये व्यक्ति को कम्प्यूटर जैसे: यन्त्रों का ज्ञान होना भी जरूरी हो. किसी व्यक्ति में यन्त्रों को समझने की कितनी योग्यता है. यह गुण मंगल व शनि का संबन्ध बनने पर आता है. केतु को क्योकि मंगल के समान कहा गया है. इसलिये केतु का संबन्ध मंगल से होने पर भी व्यक्ति में यह योग्यता आने की संभावना रहती है. इस प्रकार जब जन्म कुण्डली में मंगल, शनि व केतु में से दो का भी संबन्ध आजिविका क्षेत्र से होने पर व्यक्ति में यन्त्रों को समझने की योग्यता होती है!

6. वाकशक्ति

बुध जन्म कुण्डली में सुस्थिर बैठा हों तो व्यक्ति को व्यापारिक क्षेत्र में सफलता मिलने की संभावनाएं बनती है. इसके साथ ही बुध का संबन्ध दूसरे भाव / भावेश से भी बन रहा हों तो व्यक्ति की वाकशक्ति उतम होती है. वाकशक्ति प्रबल होने पर व्यक्ति को इस से संबन्धित क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने में सरलता रहती है.

प्रेम विवाह

प्रेम विवाह करने वाले लडके व लडकियों को एक-दुसरे को समझने के अधिक अवसर प्राप्त होते है. इसके फलस्वरुप दोनों एक-दूसरे की रुचि, स्वभाव व पसन्द-नापसन्द को अधिक कुशलता से समझ पाते है. प्रेम विवाह करने वाले वर-वधू भावनाओ व स्नेह की प्रगाढ डोर से बंधे होते है. ऎसे में जीवन की कठिन परिस्थितियों में भी दोनों का साथ बना रहता है.पर कभी-कभी प्रेम विवाह करने वाले वर-वधू के विवाह के बाद की स्थिति इसके विपरीत होती है. इस स्थिति में दोनों का प्रेम विवाह करने का निर्णय शीघ्रता व बिना सोचे समझे हुए प्रतीत होता है. आईये देखे कि कुण्डली के कौन से योग प्रेम विवाह की संभावनाएं बनाते है.

राहु के योग से प्रेम विवाह की संभावनाएं

1) जब राहु लग्न में हों परन्तु सप्तम भाव पर गुरु की दृ्ष्टि हों तो व्यक्ति का प्रेम विवाह होने की संभावनाए बनती है. राहु का संबन्ध विवाह भाव से होने पर व्यक्ति पारिवारिक परम्परा से हटकर विवाह करने का सोचता है. राहु को स्वभाव से संस्कृ्ति व लीक से हटकर कार्य करने की प्रवृ्ति का माना जाता है.

2.) जब जन्म कुण्डली में मंगल का शनि अथवा राहु से संबन्ध या युति हो रही हों तब भी प्रेम विवाह कि संभावनाएं बनती है. कुण्डली के सभी ग्रहों में इन तीन ग्रहों को सबसे अधिक अशुभ व पापी ग्रह माना गया है. इन तीनों ग्रहों में से कोई भी ग्रह जब विवाह भाव, भावेश से संबन्ध बनाता है तो व्यक्ति के अपने परिवार की सहमति के विरुद्ध जाकर विवाह करने की संभावनाएं बनती है.

3) जिस व्यक्ति की कुण्डली में सप्तमेश व शुक्र पर शनि या राहु की दृ्ष्टि हो, उसके प्रेम विवाह करने की सम्भावनाएं बनती है.
4) जब पंचम भाव के स्वामी की उच्च राशि में राहु या केतु स्थित हों तब भी व्यक्ति के प्रेम विवाह के योग बनते है.

प्रेम विवाह के अन्य योग

1) जब किसी व्यक्ति कि कुण्ड्ली में मंगल अथवा चन्द्र पंचम भाव के स्वामी के साथ, पंचम भाव में ही स्थित हों तब अथवा सप्तम भाव के स्वामी के साथ सप्तम भाव में ही हों तब भी प्रेम विवाह के योग बनते है.

2) इसके अलावा जब शुक्र लग्न से पंचम अथवा नवम अथवा चन्द लग्न से पंचम भाव में स्थित होंने पर प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती है.

3) प्रेम विवाह के योगों में जब पंचम भाव में मंगल हों तथा पंचमेश व एकादशेश का राशि परिवतन अथवा दोनों कुण्डली के किसी भी एक भाव में एक साथ स्थित हों उस स्थिति में प्रेम विवाह होने के योग बनते है.

4) अगर किसी व्यक्ति की कुण्डली में पंचम व सप्तम भाव के स्वामी अथवा सप्तम व नवम भाव के स्वामी एक-दूसरे के साथ स्थित हों उस स्थिति में प्रेम विवाह कि संभावनाएं बनती है.

5) जब सप्तम भाव में शनि व केतु की स्थिति हों तो व्यक्ति का प्रेम विवाह हो सकता है.

6) कुण्डली में लग्न व पंचम भाव के स्वामी एक साथ स्थित हों या फिर लग्न व नवम भाव के स्वामी एक साथ बैठे हों, अथवा एक-दूसरे को देख रहे हों इस स्थिति में व्यक्ति के प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती है.

7) जब किसी व्यक्ति की कुण्डली में चन्द्र व सप्तम भाव के स्वामी एक -दूसरे से दृ्ष्टि संबन्ध बना रहे हों तब भी प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती है.

8) जब सप्तम भाव का स्वामी सप्तम भाव में ही स्थित हों तब विवाह का भाव बली होता है. तथा व्यक्ति प्रेम विवाह कर सकता है.

9) पंचम व सप्तम भाव के स्वामियों का आपस में युति, स्थिति अथवा दृ्ष्टि संबन्ध हो या दोनों में राशि परिवर्तन हो रहा हों तब भी प्रेम विवाह के योग बनते है.

10) जब सप्तमेश की दृ्ष्टि, युति, स्थिति शुक्र के साथ द्वादश भाव में हों तो, प्रेम विवाह होता है.

11) द्वादश भाव में लग्नेश, सप्तमेश कि युति हों व भाग्येश इन से दृ्ष्टि संबन्ध बना रहा हो, तो प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती है

12) जब जन्म कुण्डली में शनि किसी अशुभ भाव का स्वामी होकर वह मंगल, सप्तम भाव व सप्तमेश से संबन्ध बनाते है. तो प्रेम विवाह हो सकता है.

शनि की साढ़ेसाती

शनि की साढ़ेसाती
शनि साढेसाती में शनि तीन राशियों पर गोचर करते है।तीन राशियों पर शनि के गोचर को साढेसाती के तीन चरण के नाम से भी जाना जाता है।अलग- अलग राशियों के लिये शनि के ये तीन चरण अलग-अलग फल देते है।शनि कि साढेसाती के नाम से ही लोग भयभीत रहते है।
जिस व्यक्ति को यह मालूम हो जाये की उसकी शनि की साढेसाती चल रही है, वह सुनकर ही व्यक्ति मानसिक दबाव में आ जाता है. आने वाले समय में होने वाली घटनाओं को लेकर तरह-तरह के विचार उसके मन में आने लगते है. शनि की साढेसाती को लेकर जिस प्रकार के भ्रम देखे जाते है. वास्तव में साढेसाती का रुप वैसा बिल्कुल नहीं है. आईये शनि के चरणों को समझने का प्रयास करते है-

साढेसाती चरण-फल विभिन्न राशियों के लिये
साढेसाती का प्रथम चरण वृ्षभ, सिंह, धनु राशियों के लिये कष्टकारी होता है. द्वितीय चरण या मध्य चरण- मेष, कर्क, सिंह, वृ्श्चिक, मकर राशियों के लिये अनुकुल नहीं माना जाता है. व अन्तिम चरण- मिथुन, कर्क, तुला, वृ्श्चिक, मीन राशि के लिये कष्टकारी माना जाता है.
इसके अतिरिक्त तीनों चरणों के लिये शनि की साढेसाती निम्न रुप से प्रभाव डाल सकती है-

प्रथम चरण
इस चरणावधि में व्यक्ति की आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है. आय की तुलना में व्यय अधिक होते है. विचारें गये कार्य बिना बाधाओं के पूरे नहीं होते है. धन विषयों के कारण अनेक योजनाएं आरम्भ नहीं हो पाती है. अचानक से धन हानि होती है. व्यक्ति को निद्रा में कमी का रोग हो सकता है. स्वास्थय में कमी के योग भी बनते है. विदेश भ्रमण के कार्यक्रम बनकर -बिगडते रह्ते है. यह अवधि व्यक्ति की दादी के लिये विशेष कष्टकारी सिद्ध होती है. मानसिक चिन्ताओं में वृ्द्धि होना सामान्य बात हो जाती है. दांम्पय जीवन में बहुत से कठिनाई आती है. मेहनत के अनुसार लाभ नहीं मिल पाते है.

द्वितीय चरण
व्यक्ति को शनि साढेसाती की इस अवधि में पारिवारिक तथा व्यवसायिक जीवन में अनेक उतार-चढाव आते है. उसे संबन्धियों से भी कष्ट होते है. व्यक्ति को अपने संबन्धियों से कष्ट प्राप्त होते है. उसे लम्बी यात्राओं पर जाना पड सकता है. घर -परिवार से दूर रहना पड सकता है. व्यक्ति के रोगों में वृ्द्धि हो सकती है. संपति से संम्बन्धित मामले परेशान कर सकते है. मित्रों का सहयोग समय पर नहीं मिल पाता है. कार्यो के बार-बार बाधित होने के कारण व्यक्ति के मन में निराशा के भाव आते है. कार्यो को पूर्ण करने के लिये सामान्य से अधिक प्रयास करने पडते है. आर्थिक परेशानियां भी बनी रह सकती है.

तीसरा चरण
शनि साढेसाती के तीसरे चरण में व्यक्ति के भौतिक सुखों में कमी होती है. उसके अधिकारों में कमी होती है. आय की तुलना में व्यय अधिक होते है. स्वास्थय संबन्धी परेशानियां आती है. परिवार में शुभ कार्यो बाधित होकर पूरे होते है. वाद-विवाद के योग बनते है. संतान से विचारों में मतभेद उत्पन्न होते है. संक्षेप में यह अवधि व्यक्ति के लिये कल्याण कारी नहीं रह्ती है. जिस व्यक्ति की जन्म राशि पर शनि की साढेसाती का तीसरा चरण चल रहा हों, उस व्यक्ति को वाद-विवादों से बचके रहना चाहिए.

पंचक विचार

धनिष्ठा का उतरार्ध, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उतरा भाद्रपद व रेवती इन पांच नक्षत्रों ( सैद्धान्तिक रुप से साढेचार) को पंचक कहते है. पंचक का अर्थ ही पांच का समूह है. सरल शब्दों में कहें तो कुम्भ व मीन में जब चन्द्रमा रहते है. तब तक की अवधि को पंचक कहते है. इन्ही को कहीं-कहीं पर धनिष्ठा पंचक भी कहा जाता है.एक अन्य मत से पंचकों में धनिष्ठा नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति को अंग दोष होने का विचार किया जाता है. धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम आधे भाग को भी कुछ स्थानों पर शुभ नहीं समझा जाता है.

पांच वर्जित कार्य
पंचक में पांच कार्य करने सर्वथा वर्जित माने जाते है. इसमें दक्षिण दिशा की यात्रा, ईंधन एकत्र करना, शव का अन्तिम संस्कार, घर की छत डालना, चारपाई बनवाना शुभ नहीं माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन नक्षत्र समय में इनमें से कोई भी कार्य करने पर, उक्त कार्य को पांच बार दोहराना पड सकता है.

पंचक शास्त्रीय विचार
ज्योतिष के प्रसिद्ध शास्त्र “राजमार्त्तण्ड” के अनुसार ईंधन एकत्र करने, चारपाई बनाने, छत बनवाने, दक्षिण दिशा की यात्रा करने में घनिष्टा नक्षत्र में इनमें से कोई काम करने पर अग्नि का भय रहता है. शतभिषा नक्षत्र में कलह, पूर्वा भाद्रपद में रोग, उतरा भाद्रपद में जुर्माना, रेवती में धन हानि होती है. एक अन्य प्रसिद्ध ग्रन्थ के अनुसार “मुहूर्तगणपति” के अनुसार उक्त कामों के अतिरिक्त स्तम्भ बनवाना या स्तम्भ खडा करना भी इस अवधि में वर्जित होता है.

इसके अतिरिक्त “ज्योतिसागर” के अनुसार उक्त पांचों, छहों कार्य श्रवण नक्षत्र की अवधि में भी वर्जित किये गये है. लेकिन ज्योतिसागर के इस मत से अधिक विद्वान एकमत नहीं रखते है. “निर्णयसिन्धु’ में श्रवण नक्षत्र को ईंधन संग्रह करने की सहमति दी गई है.

ऋषि गर्ग ने कहा है कि शुभ या अशुभ जो भी कार्य पंचकों में किया जाता है. वह पांच गुणा करना पडता है. इसलिये अगर किसी व्यक्ति की मृ्त्यु पंचक अवधि में हो जाती है. तो शव के साथ चार या पांच अन्य पुतले आटे या कुशा से बनाकर अर्थी पर रख दिये जाते है. इन पांचों का भी शव की भांति पूर्ण विधि-विधान से अन्तिम संस्कार किया जाता है.

पंचक समय में अन्य वर्जित कार्य
पंचक नक्षत्र समयावधि में लकडी तोडना, तिनके तोडना, दक्षिण दिशा की यात्रा, प्रेतादि- शान्ति कार्य, स्तम्भारोपन, तृ्ण, ताम्बा, पीतल, लकडी आदि का संचय , दुकान, पद ग्रहण व पद का त्याग करना शुभ नहीं होता है. इसके अलावा मकान की छत, चारपाई, चटाई आदि बुनना त्याज्य होता है. विशेष परिस्थितियों में ये कार्य करने आवश्यक हो तो किसी योग्य विद्वान पंडित से पंचक शान्ति करवाने का विधान है.

पंचक निषेध काल
मुहूर्त ग्रन्थों के अनुसार विवाह, मुण्डन, गृहारम्भ, गृ्ह प्रवेश, वधू- प्रवेश, उपनयन आदि में इस समय का विचार नहीं किया जाता है. इसके अलावा रक्षा -बन्धन, भैय्या दूज आदि पर्वों में भी पंचक नक्षत्रों का निषेध के बारे में नहीं सोचा जाता है.

चींटियों को आटा देने से मिलती है मां लक्षमी की अपार कृपा….

चींटियों को आटा देने से मिलती है मां लक्षमी की अपार कृपा….

घर में धन-संपत्ति बनाए रखने के लिए घर पर देवी लक्ष्मी की कृपा होना बहुत जरूरी होता हैं। यदि घर में कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखा जाए तो धन-लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है। जानिए घर-परिवार पर देवी लक्ष्मी की कृपा बनाए रखने और धन लाभ पाने के कुछ अचूक उपाय-

1. घर की धन संबंधी परेशानियां दूर करने के लिए आटे में शक्कर मिला कर काली चींटियों को खिलाएं।

2. खाने के लिए बनाई जा रही पहली रोटी या चावल का कुछ भाग गाय को खिलाए, ऐसा करने से घर में दरिद्रता नहीं रहती।

3. आटे के लिए गेहूं शनिवार को पिसवाने का नियम बनाएं, हो सके तो गेहूं में थोड़े से काले चने भी मिला दें। इसके अलावा शनिवार के दिन खाने में किसी न किसी तरीके से काले चने का प्रयोग करें।

4. सुबह घर के किसी भी सदस्य के नाश्ता करने से पहले घर की झाड़ू जरूर लगा लें।

5. घर में शाम के समय झाड़ू-पोंछा नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से लक्ष्मी रूठ जाती है।

6. घर पर स्थापित भगवान की मूर्तियों या तस्वीरों पर रोज सुबह स्नान करके कुंकुम, चंदन और फूल चढ़ाएं।

7. लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए हर गुरुवार को किसी एक सुहागन स्त्री को सुहाग की साम्रगी दान देने का नियम बनाएं।

8. सफेद रंग की सामान जैसे दूध, खीर, सफेद फूल, चावल आदि का दान करने से धन प्राप्ति के योग बनते हैं।
9. धन के लेन-देन संबंधी कोई भी काम करने के लिए सोमवार और बुधवार का चुनें। इस दिन किया गया धन का लेन-देन फायदेमंद माना जाता है।

10. घर की दीवारों यो फर्श पर पैंसिल या चाक आदि के निशान न बनाने दें, इससे कर्ज बढ़ने की संभावना रहती है।

11. चेकबुक, पासबुक या पैसे के लेन-देन से जुड़े कागजों को श्रीयंत्र, कुबेर यंत्र आदि के पास रखें।

12.
घर की तिजोरी में लक्ष्मी यंत्र या कुबेर यंत्र जरूर रखें। ऐसा करने से तिजोरी में धन हमेशा बना रहता है।

ज्योतिष और रंग (Colour Therepy in astrology)

सूर्य की लाल (Infra red), पराबैंगनी (Ultravoilet) किरणों की कीटाणुनाशक क्षमता से हमारे वैदिक ऋषि भलीभांति परिचित थे। वास्तु नियमों में पूर्व दिशा स्नानागार के लिए प्रशस्त मानी गई है। वैदिक काल में उषा काल में स्नान का प्रावधान था।

इस प्रकार विटामिन डी से भरपूर बाल सूर्य की किरणों का सेवन व्यक्ति करता था और स्वस्थ रहता था। योग में सूर्य नमस्कार और आसन का भी यही उद्देश्य है। त्राटक विधा में बाल सूर्य को एकटक देखे जाने का प्रावधान है। सूर्य की धातु सोना और ताँबा होती है। आयुर्वेदाचार्य ताँबे के पात्र में रात भर रखा हुआ पानी सुबह पीने की सलाह देते हैं अत: सूर्य की सप्त रश्मियां पूर्ण स्वास्थ्य प्रदान करने वाली हैं।

हमारे ऋषि-मुनि भी सूर्य की किरणों में निहित असीम रोगनाशक शक्तियों से अवगत थे। ऋग्वेद और अथर्ववेद में सूर्य भगवान से आरोग्य के आशीर्वाद की कामना के लिए अनेक श्लोक हैं।

“ह्वद्रोगं मम सूर्य हरिमागं च नाशम नम: सूर्यात्र शातात्र सर्व रोग विनाशने आयु: आरोग्यमैश्वर्य देहि देव नमोùस्तुते।” ”
हे सूर्य नारायण! मेरे ह्वदय रोग का नाश करो। सर्व रोगों का विनाश कर शांति प्रदान करने वाले, हे, सूर्य देव! आपको शत्-शत् नमस्कार है। हे सूर्य भगवान् आप हमें आयु, आरोग्य और ऎश्वर्य दें।”

रंग चिकित्सा में विभिन्न रंगों वाली बोतलों में तैयार किए गए जल के प्रयोग से इलाज किया जाता है। एक विशिष्ट रंग की बोतल में पानी भरकर उसे धूप में रखा जाता है और फिर इस जल का सेवन किया जाता है। इस विधि में बीमारी और अंग विशेष की पुष्टि के लिए प्रयुक्त रंग की तुलना, ज्योतिष में ग्रहों और उन्हें प्रदत्त रंगों से की जाए तो आश्चर्यजनक तारतम्य देखने को मिलता है।

लाल रंग :
लाल रंग की बोतल में तैयार जल का प्रयोग शरीर पर ऊष्ण प्रभाव के लिए होता है। यह बलदायक होता है तथा विद्युत प्रभाव के कारण शरीर को शक्ति प्रदान करता है।
ज्योतिष में लाल रंग मंगल का प्रतीक होता है। जन्म पत्रिका में यदि मंगल सुदृढ़ स्थिति में नहीं हो तो इसका तात्पर्य है मंगल ग्रह की रश्मि की कमी। ऎसा व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर होता है।
एक लाल रंग की कांच की बोतल लेकर उसमें साफ पानी भरकर धूप में रख दें और शाम को उस जल को पी लें। यही प्रयोग रात में करें। लाल रंग की कांच की बोतल में पानी भरकर रात को अपने घर की छत पर रख दें और सुबह इस जल को पी लें। इससे कमजोर ग्रह की स्थिति में सुधार होगा और आपको लाभ मिलेगा।

पीला रंग :
पीले रंग की बोतल में तैयार पानी विशेष रूप से यकृत और प्लीहा पर होता है। यह यकृत की शिथिलता को दूर करता है। ज्योतिष में पीला रंग बृहस्पति देव का माना जाता है। मेडिकल एस्ट्रोलॉजी में बृहस्पति का यकृत (रूi1er) पर आधिपत्य माना गया है। यदि जन्म पत्रिका में दुर्बल बृहस्पति छठे भाव में (छठा भाव रोग का भाव है) स्थित हों तो व्यक्ति यकृत की बीमारी से पीç़डत होता है। पीलिया की शिकायत भी जन्मपत्रिका में पीç़डत बृहस्पति के कारण होती है।
एक पीले रंग की कांच की बोतल लेकर उसमें साफ पानी भरकर धूप में रख दें और शाम को उस जल को पी लें। यही प्रयोग रात में करें। पीले रंग की कांच की बोतल में पानी भरकर रात को अपने घर की छत पर रख दें और सुबह इस जल को पी लें। इससे कमजोर ग्रह की स्थिति में सुधार होगा और आपको लाभ मिलेगा।

हरा रंग :
जल चिकित्सा में हरे रंग को राजा माना गया है। यह रंग गर्मी और सर्दी को संतुलित करता है। इसका प्रयोग रोगाणुनाशक के रूप में और विजातीय पदार्थ को शरीर से बाहर निकालने में होता है, जो एलर्जी का कारण बनते हैं। ज्योतिष में हरा रंग बुध ग्रह का रंग है। बुध शरीर की प्रतिरोधक क्षमता, एलर्जी आदि के कारक हैं।
जन्म पत्रिका में बुध यदि कमजोर हो या पूर्ण अस्त हों तो व्यक्ति सर्दी, जुकाम आदि का शिकार जल्दी-जल्दी होता है तथा धूल, पराग आदि आदि कणों से एलर्जी की शिकायत रहती है। एक हरे रंग की कांच की बोतल लेकर उसमें साफ पानी भरकर धूप में रख दें और शाम को उस जल को पी लें। यही प्रयोग रात में करें। हरे रंग की कांच की बोतल में पानी भरकर रात को अपने घर की छत पर रख दें और सुबह इस जल को पी लें। इससे कमजोर ग्रह की स्थिति में सुधार होगा और आपको लाभ मिलेगा।

नीला रंग :
रंग चिकित्सा में नीले रंग से आवेशित जल का प्रयोग स्नायु तंत्र में दुर्बलता, डिप्रेशन (Depression), मिर्गी, कुष्ठ रोगादि के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है। मेडिकल एस्ट्रोलॉजी में शनि को स्नायु तंत्र, मिर्गी आदि का कारक माना गया है। जन्मपत्रिका में शनि यदि पीç़डत अवस्था में हों तो व्यक्ति को स्नायु तंत्र से संबंधित रोगों का सामना करना प़डता है। यदि शनि बलवान हो एवं बुध से संयोग कर लें तो व्यक्ति (Neuro Surgeon) हो सकता है। एक नीले रंग की कांच की बोतल लेकर उसमें साफ पानी भरकर धूप में रख दें और शाम को उस जल को पी लें। यही प्रयोग रात में करें।
नीले रंग की कांच की बोतल में पानी भरकर रात को अपने घर की छत पर रख दें और सुबह इस जल को पी लें। इससे कमजोर ग्रह की स्थिति में सुधार होगा और आपको लाभ मिलेगा।

इस तथ्य से सामान्यजन अनजान हो सकते हैं परन्तु वैदिक काल में ही वैद्यों को ज्योतिष का पर्याप्त ज्ञान होता था। जिस प्रकार आयुर्वेद में ज्योतिष का उल्लेख है, उसी प्रकार ज्योतिष शास्त्र में भी कुछ श्लोकों में आयुर्वेद के नुस्खों का सुंदर प्रयोग किया गया है। आधुनिक व्यक्ति, वैदिक कालीन इस तथ्य को जानकर भी इससे अनजान बने हुए हैं। रात्रि में देर से सोना और सुबह देर से उठना, उन्होंने अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाया हुआ है। वे यह तो चाहते हैं कि स्वस्थ रहें परन्तु बाल सूर्य की किरणों के अभाव को ब्यूटी पार्लर में जाकर Sauna Bath से पूरा करते हैं। आधुनिकता का एक और उदाहरण ब़डे होटलों में रूपये देकर सूर्य स्नान का आनन्द लिया जाना भी है। हमें समझना होगा, अपने ऋषियों के ज्ञान की पराकाष्ठा को।

जानिए आपके नाम का मतलब-दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची

राशि स्वरूप- मछली जैसा, राशि स्वामी- बृहस्पति।

1. मीन राशि का चिह्न मछली होता है। मीन राशि वाले मित्रपूर्ण व्यवहार के कारण अपने कार्यालय व आस पड़ोस में अच्छी तरह से जाने जाते हैं।

2. आप कभी अति मैत्रीपूर्ण व्यवहार नहीं करते हैं। बल्कि आपका व्यवहार बहुत नियंत्रित रहता है। ये आसानी से किसी के विचारों को पढ़ सकते हैं।

3. अपनी ओर से उदारतापूर्ण व संवेदनाशील होते हैं और व्यर्थ का दिखावा व चालाकी को बिल्कुल नापसंद करते हैं।

4. एक बार किसी पर भी भरोसा कर लें तो यह हमेशा के लिए होता है, इसीलिये आप आपने मित्रों से अच्छा भावानात्मक संबंध बना लेते हैं।

5. ये सौंदर्य और रोमांस की दुनिया में रहते हैं। कल्पनाशीलता बहुत प्रखर होती है। अधिकतर व्यक्ति लेखन और पाठन के शौकीन होते हैं। आपको नीला, सफेद और लाल रंग-रूप से आकर्षित करते हैं।

6. आपकी स्तरीय रुचि का प्रभाव आपके घर में देखने को मिलता है। आपका घर आपकी जिंदगी में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

7. अपने धन को बहुत देखभाल कर खर्च करते हैं। आपके अभिन्न मित्र मुश्किल से एक या दो ही होते हैं। जिनसे ये अपने दिल की सभी बातें कह सकते हैं। ये विश्वासघात के अलावा कुछ भी बर्दाश्त कर सकते हैं।

8. मीन राशि के लड़के भावुक हृदय व पनीली आंखों वाले होते हैं। अपनी बात कहने से पहले दो बार सोचते हैं। आप जिंदगी के प्रति काफी लचीला दृटिकोण रखते हैं।

9. अपने कार्य क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के लिये परिश्रम करते हैं। आपको बुद्धिमान और हंसमुख लोग पसंद हैं।

10. आप बहुत संकोचपूर्वक ही किसी से अपनी बात कह पाते हैं। एक कोमल व भावुक स्वभाव के व्यक्ति हैं। आप पत्नी के रूप में गृहणी को ही पसंद करते हैं।

11. ये खुद घरेलू कार्यों में दखलंदाजी नहीं करते हैं, न ही आप अपनी व्यावसायिक कार्य में उसका दखल पसंद करते हैं। आपका वैवाहिक जीवन अन्य राशियों की अपेक्षा सर्वाधिक सुखमय रहता है।

12. मीन राशि की लड़कियां भावुक व चमकदार आंखों वाली होती हैं। ये आसानी से किसी से मित्रता नहीं करती हैं, लेकिन एक बार उसकी बातों पर विश्वास हो जाए तो आप अपने दिल की बात भी उससे कह देती हैं।

13. ये स्वभाव से कला प्रेमी होती हैं। एक बुद्धिमान व सभ्य व्यक्ति आपको आकर्षित करता है। आप शांतिपूर्वक उसकी बात सुन सकती हैं और आसानी से अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं करती हैं।

14. अपनी मित्रता और वैवाहिक जीवन में सुरक्षा व दृढ़ता रखना पसंद करती हैं। ये अपने पति के प्रति विश्वसनीय होती है और वैसा ही व्यवहार अपने पति से चाहती हैं।

15. आपको ज्योतिष आदि में रुचि हो सकती है। आपको नई-नई चीजें सीखने का शौक होता है।

नाम के पहले अक्षर से जानिए ………गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा

नाम के पहले अक्षर से जानिए अपने और दुसरों के बारे में ………

कुंभ- गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा

राशि स्वरूप- घड़े जैसा, राशि स्वामी- शनि।

1. राशि चक्र की यह ग्यारहवीं राशि है। कुंभ राशि का चिह्न घड़ा लिए खड़ा हुआ व्यक्ति है। इस राशि का स्वामी भी शनि है। शनि मंद ग्रह है तथा इसका रंग नीला है। इसलिए इस राशि के लोग गंभीरता को पसंद करने वाले होते हैं एवं गंभीरता से ही कार्य करते हैं।

2. कुंभ राशि वाले लोग बुद्धिमान होने के साथ-साथ व्यवहारकुशल होते हैं। जीवन में स्वतंत्रता के पक्षधर होते हैं। प्रकृति से भी असीम प्रेम करते हैं।

3. शीघ्र ही किसी से भी मित्रता स्थपित कर सकते हैं। आप सामाजिक क्रियाकलापों में रुचि रखने वाले होते हैं। इसमें भी साहित्य, कला, संगीत व दान आपको बेहद पसंद होता हैं।

4. इस राशि के लोगों में साहित्य प्रेम भी उच्च कोटि का होता है।

5. आप केवल बुद्धिमान व्यक्तियों के साथ बातचीत पसंद करते हैं। कभी भी आप अपने मित्रों से असमानता का व्यवहार नहीं करते हैं।

6. आपका व्यवहार सभी को आपकी ओर आकर्षित कर लेता है।

7. कुंभ राशि के लड़के दुबले होते हैं। आपका व्यवहार स्नेहपूर्ण होता है। इनकी मुस्कान इन्हें आकर्षक व्यक्तित्व प्रदान करती है।

8. इनकी रुचि स्तरीय खान-पान व पहनावे की ओर रहती है। ये बोलने की अपेक्षा सुनना ज्यादा पसंद करते हैं। इन्हें लोगों से मिलना जुलना अच्छा लगता है।

9. अपने व्यवहार में बहुत ईमानदार रहते हैं, इसलिये अनेक लड़कियां आपकी प्रशंसक होती हैं। आपको कलात्मक अभिरुचि व सौम्य व्यक्तित्व वाली लड़कियां आकर्षित करती हैं।

10. अपनी इच्छाओं को दूसरों पर लादना पसंद नहीं करते हैं और अपने घर परिवार से स्नेह रखते हैं।

11. कुंभ राशि की लड़कियां बड़ी-बड़ी आंखों वाली व भूरे बालों वाली होती हैं। यह कम बोलती हैं, इनकी मुस्कान आकर्षक होती है।

12. इनका व्यक्तित्व बहुत आकर्षक होता है, किन्तु आसानी से किसी को अपना नहीं बनाती हैं। ये अति सुंदर और आकर्षक होती हैं।

13.
आप किसी कलात्मक रुचि, पेंटिग, काव्य, संगीत, नृत्य या लेखन आदि में अपना समय व्यतीत करती हैं।

14. ये सामान्यत: गंभीर व कम बोलने वाले व्यक्तियों के प्रति आकर्षित होती हैं।

15. इनका जीवन सुखपूर्वक व्यतित होता है, क्योंकि ये ज्यादा इच्छाएं नहीं करती हैं। अपने घर को भी कलात्मक रूप से सजाती हैं।

नाम के पहले अक्षर से जानिए ………भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी

नाम के पहले अक्षर से जानिए अपने और दुसरों के बारे में ………

मकर- भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी

राशि स्वरूप- मगर जैसा, राशि स्वामी- शनि।

1. मकर राशि का चिह्न मगरमच्छ है। मकर राशि के व्यक्ति अति महत्वाकांक्षी होते हैं। यह सम्मान और सफलता प्राप्त करने के लिए लगातार कार्य कर सकते हैं।

2. इनका शाही स्वभाव व गंभीर व्यक्तित्व होता है। आपको अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए बहुत कठिन परिश्रम करना पड़ता है।

3. इन्हें यात्रा करना पसंद है। गंभीर स्वभाव के कारण आसानी से किसी को मित्र नहीं बनाते हैं। इनके मित्र अधिकतर कार्यालय या व्यवसाय से ही संबंधित होते हैं।

4. सामान्यत: इनका मनपसंद रंग भूरा और नीला होता है। कम बोलने वाले, गंभीर और उच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों को ज्यादा पसंद करते हैं।

5. ईश्वर व भाग्य में विश्वास करते हैं। दृढ़ पसंद-नापसंद के चलते इनका वैवाहिक जीवन लचीला नहीं होता और जीवनसाथी को आपसे परेशानी महसूस हो सकती है।

6. मकर राशि के लड़के कम बोलने वाले होते हैं। इनके हाथ की पकड़ काफी मजबूत होती है। देखने में सुस्त, लेकिन मानसिक रूप से बहुत चुस्त होते हैं।

7. प्रत्येक कार्य को बहुत योजनाबद्ध ढंग से करते हैं। गहरा नीला या श्वेत रंग प्रधान वस्त्र पहने हुए लड़कियां इन्हें बहुत पसंद आती हैं।

8. आपकी खामोशी आपके साथी को प्रिय होती है। अगर आपका जीवनसाथी आपके व्यवहार को अच्छी तरह समझ लेता है तो आपका जीवन सुखपूर्वक व्यतीत होता है।

9. आप जीवन साथी या मित्रों के सहयोग से उन्नति प्राप्त कर सकते हैं।

10. मकर राशि की लड़कियां लम्बी व दुबली-पतली होती हैं। यह व्यायाम आदि करना पसंद करती हैं। लम्बे कद के बाबजूद आप ऊंची हिल की सैंडिल पहनना पसंद करती हैं।

11. पारंपरिक मूल्यों पर विश्वास करने वाली होती हैं। छोटे-छोटे वाक्यों में अपने विचारों को व्यक्त करती हैं।

12. दूसरों के विचारों को अच्छी तरह से समझ सकती हैं। इनके मित्र बहुत होते हैं और नृत्य की शौकिन होती हैं।

13. इनको मजबूत कद कठी के व्यक्ति बहुत आकर्षित करते हैं। अविश्वसनीय संबंधों में विश्वास नहीं करती हैं।

14. अगर आप करियर वुमन हैं तो आप कार्य क्षेत्र में अपना अधिकतर समय व्यतीत करती हैं।

15. आप अपने घर या घरेलू कार्यों के विषय में अधिक चिंता नहीं करती हैं।

नाम के पहले अक्षर से जानिए ………ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे

नाम के पहले अक्षर से जानिए अपने और दुसरों के बारे में ………

धनु- ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे

राशि स्वरूप- धनुष उठाए हुए, राशि स्वामी- बृहस्पति।

1. धनु द्वि-स्वभाव वाली राशि है। इस राशि का चिह्न धनुषधारी है। यह राशि दक्षिण दिशा की द्योतक है।

2. धनु राशि वाले काफी खुले विचारों के होते हैं। जीवन के अर्थ को अच्छी तरह समझते हैं।

3. दूसरों के बारे में जानने की कोशिश में हमेशा करते रहते हैं।

4. धनु राशि वालों को रोमांच काफी पसंद होता है। ये निडर व आत्म विश्वासी होते हैं। ये अत्यधिक महत्वाकांक्षी और स्पष्टवादी होते हैं।

5. स्पष्टवादिता के कारण दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचा देते हैं।

6. इनके अनुसार जो इनके द्वारा परखा हुआ है, वही सत्य है। अत: इनके मित्र कम होते हैं। ये धार्मिक विचारधारा से दूर होते हैं।

7. धनु राशि के लड़के मध्यम कद काठी के होते हैं। इनके बाल भूरे व आंखें बड़ी-बड़ी होती हैं। इनमें धैर्य की कमी होती है।

8. इन्हें मेकअप करने वाली लड़कियां पसंद हैं। इन्हें भूरा और पीला रंग प्रिय होता है।

9. अपनी पढ़ाई और करियर के कारण अपने जीवन साथी और विवाहित जीवन की उपेक्षा कर देते हैं। पत्नी को शिकायत का मौका नहीं देते और घरेलू जीवन का महत्व समझते हैं।

10. धनु राशि की लड़कियां लंबे कदमों से चलने वाली होती हैं। ये आसानी से किसी के साथ दोस्ती नहीं करती हैं।

11. ये एक अच्छी श्रोता होती हैं और इन्हें खुले और ईमानदारी पूर्ण व्यवहार के व्यक्ति पसंद आते हैं। इस राशि की स्त्रियां गृहणी बनने की अपेक्षा सफल करियर बनाना चाहती है।

12. इनके जीवन में भौतिक सुखों की महत्ता रहती है। सामान्यत: सुखी और संपन्न जीवन व्यतीत करती हैं।

13. इस राशि के जातक ज्यादातर अपनी सोच का विस्तार नहीं करते एवं कई बार कन्फयूज रहते हैं। एक निर्णय पर पंहुचने पर इनको समय लगता है एवं यह देरी कई बार नुकसान दायक भी हो जाती है।

14. ज्यादातर यह लोग दूसरों के मामलों में दखल नहीं देते एवं अपने काम से काम रखते हैं।

15. इनका पूरा जीवन लगभग मेहनत करके कमाने में जाता है या यह अपने पुश्तैनी कार्य को ही आगे बढाते हैं।