ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से जीवन की बारीक से बारीक घटना को देखने का प्रयास किया जाता है। वार्षिक राशिफल में एक पूरे वर्ष में होने वाली मुख्य घटनाओं का आकलन किया जाता है। राशिफल का आधार जन्म राशि (जन्म कुण्डली में चन्द्रमा जिस राशि में स्थित हो) उस राशि को लग्न भाव में रखकर आने वाले वर्ष की घटनाओं का फलित किया जता है। प्राचीन काल में जन्म राशि के वर्ण के अनुसार नाम रखे जाते थें, इसलिये नाम को प्रथम वर्ण को ध्यान में रखकर भी लोग अपना राशिफल जान लेते थे। इसलिये कह दिया जाता था कि इस वर्ण से नाम शुरु हो रहा है तो आने वाला वर्ष इस प्रकार का रहेगा। जन्म समय का विचार किये बिना आज भी जब जन्म कुण्डली में ग्रह योग, दशा लगाये बिना अनेक व्यक्तियों के जीवन में आने वाले वर्ष की मुख्य घटनाओं को निकालना हों, तो चन्द्र राशि को केन्द्र में रख कर अन्य गोचर के अन्य ग्रहों को कुण्डली में बिठाया जाता है। उदाहरण के लिये अगर किसी व्यक्ति की जन्म राशि मेष हों, तो कुण्डली के लग्न में चन्द्रमा मेष राशि में स्थापित करने के बाद, अन्य ग्रहों को यथाराशि, यथा भाव में स्थित कर दिया जाता है। वर्तमान 2010 में शनि कन्या राशि में गोचर कर रहे है, तो कुण्डली में चन्द्र की स्थिति कन्या राशि में छठे भाव में होगी। गुरु दिसम्बर प्रथम माह में मीन राशि में गोचर कर रहे है, इसके कारण गुरु मेष राशि के द्वादश भाव में स्थित होगें। इसी प्रकार अन्य सभी ग्रहों को भी स्थापित कर लिया जाता है।
वार्षिक एवं राशिफल शनि व गुरु
वार्षिक राशिफल एवं लग्न केन्द्र में चन्द्र राशि