विदेश में नौकरी और आजीविका के योग-

विदेश में नौकरी और आजीविका के योग-

विदेश में नौकरी एवं आजीविका की चाहत आज के युवाओं की पहली पसंद बन गई है. ऊँची डिग्रियां लेने के बाद ख्वाहिश यही होती है कि वह विदेश जाकर खूब कमाएं. लेकिन, विदेश जाने का अवसर मिलेगा अथवा नहीं यह आपकी किस्मत पर निर्भर करता है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार व्यक्ति की कुण्डली में ग्रहों की स्थिति एवं योग यह तय करते हैं कि वह विदेश जाएगा या नहीं. अगर विदेश यात्रा के योग बलशाली नहीं हैं तो व्यक्ति के विदेश जाने की संभावना कम रहती है. जिनकी कुण्डली में विदेश यात्रा के योग कमज़ोर होते हैं उन्हें विदेश में वह सफलता नहीं मिलती है जिनकी ख्वाहिश वह रखते हैं.

विदेश में जाकर धन कमाने के योग (Yogas for job in a foreign country)
ज्योतिषशास्त्र में विदेश यात्रा या यूं कहिए विदेश जाकर धन कमाने के लिए कुछ ग्रह स्थितियों का उल्लेख किया गया है. कुण्डली में ग्रह स्थितियों की जांच करके यह पता किया जा सकता है कि आपको विदेश जाने का मौका मिलेगा या नहीं हैं. ज्योतिष के नियम के मुताबिक दूसरे भाव का स्वामी विदेश भाव यानी बारहवें घर में होने पर व्यक्ति अपने जन्म स्थान से दूर जाकर अपनी प्रतिभा से कामयाबी प्राप्त करता है (The lord of the second house gives migration to foreign land if it is in the twelfth house). यही स्थिति तब भी बनती है जब तीसरे घर का मालिक अर्थात तृतीयेश द्वादश स्थान में होता है.

कुण्डली के बारहवें घर में पाचवें घर का स्वामी बैठा है तो इसे भी विदेष यात्रा का योग बनता है. पंचम भाव में तृतीयेश अथवा द्वादशेश बैठा हो एवं बारहवें भाव में पंचमेश विराजमान है या फिर बारहवें या पांचवें भाव में इन ग्रहों की युति बन रही हो तो विदेश में धन कमाने की अच्छी संभावना रहती है. भग्य भाव का स्वामी जन्म कुण्डली में बारहवें घर में हो एवं दूसरे शुभ ग्रह नवम भाव को देख रहे हों तो जन्म स्थान की अपेक्षा विदेश में आजीविका की संभावना को बल मिलता है.

चतुर्थ अथवा बारहवें भाव में से किसी में चर राशि हो (A moveable sign placed in the fourth or the 12th house and conjunction of Moon and Sun in the tenth house) और चन्द्रमा से दशवें घर में सूर्य एवं शनि की युति हो तो विदेश जाकर धन कमाने के लिए यह योग भी काफी अच्छा माना जाता है. आपका जन्म मकर लग्न में हुआ है और लग्नेश शनि छठे भाव में बैठा है तो विदेश में जाकर धन कमा सकते हैं अथवा विदेशी स्रोतों से धन का लाभ हो सकता है. इसी प्रकार का फल उन मेष लग्न वालों को मिलता है जिनकी कुण्डली में लग्नेश मंगल छठे घर में विराजमान होता है.

विदेश जाकर धन कमाने के लिए एक सुन्दर योग यह है कि शुक्र दूसरे घर में मेष, वृश्चिक, मकर, कुम्भ अथवा सिंह राशि में हो तथा बारहवें घर का स्वामी शुक्र के साथ युति अथवा दृष्टि सम्बन्ध बनाये. इनमें से कोई भी योग आपकी कुण्डली में बनता है तो विदेश जाने का आपको मौका मिल सकता है तथा विदेश में आप धन कमा सकते हैं.

विदेश यात्रा योग का फल (Judging the result of the yoga for foreign travel)
कुण्डली में विदेश यात्रा के योग होने पर भी जरूरी नहीं कि आपको विदेश जाने का अवसर मिलेगा. इस विषय में ज्योतिषीयों का मत है कि योग अगर कमज़ोर हैं तो विदेश में आजीविका की संभावना कम रहती है इस स्थिति में हो सकता है कि व्यक्ति अपने जन्म स्थान से दूर जाकर अपने ही देश में नौकरी अथवा कोई व्यवसाय करे.

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कपूर के वैदिक करामाती उपाय

कपूर के वैदिक करामाती उपाय

शास्त्रों के अनुसार देवी-देवताओं के समक्ष कर्पूर जलाने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। अत: प्रतिदिन सुबह और शाम घर में संध्यावंदन के समय कर्पूर (कपूर) जरूर जलाएं।

पितृदोष और कालसर्पदोष से मुक्ति हेतु: कपूर जलाने से देवदोष व पितृदोष का शमन होता है। अक्सर लोग शिकायत करते हैं कि हमें शायद पितृदोष है या काल सर्पदोष है। दरअसल, यह राहु और केतु का प्रभाव मात्र है। इसको दूर करने के लिय प्रतिदिन सुबह, शाम और रात्रि को तीन बार घी में भिगोया हुआ कपूर जलाएं। घर के शौचालय और बाथरूप में कपूर की 2-2 टिकियां रख दें। बस इतना उपाय ही काफी है।

आकस्मिक घटना या दुर्घटना से बचाव : आकस्मिक घटना या दुर्घटना का कारण राहु, केतु और शनि होते हैं। इसके अलावा हमारी तंद्रा और क्रोध भी दुर्घटना का कारण बनते हैं। इसके लिए रात्रि में हनुमान चालीसा का पाठ करने के बाद कपूर जलाएं।
हालांकि प्रतिदिन सुबह और शाम जिस घर में कर्पूर जलता रहता है उस घर में किसी भी प्रकार की आकस्मिक घटना और दुर्घटना नहीं होती। रात्रि में सोने से पूर्व कपूर जलाकर सोना तो और भी लाभदायक है।

सकारात्मक उर्जा और शां‍ति के लिए : घर में यदि सकारात्मक उर्जा और शांति का निर्माण करना है तो प्रतिदिन सुबह और शाम कपूर को घी में भिगोकर जलाएं और संपूर्ण घर में उसकी खुशबू फैलाएं। ऐसा करने से घर की नकारात्मक उर्जा नष्ट हो जाएगी। दु:स्वप्न नहीं आएंगे और घर में अमन शांति बनी रहेगी है।
वैज्ञानिक शोधों से यह भी ज्ञात हुआ है कि इसकी सुगंध से जीवाणु, विषाणु आदि बीमारी फैलाने वाले जीव नष्ट हो जाते हैं जिससे वातावरण शुद्ध हो जाता है तथा बीमारी होने का भय भी नहीं रहता।

अचानक धन प्राप्ति का उपाय:- गुलाब के फूल में कपूर का टुकड़ा रखें। शाम के समय फूल में एक कपूर जला दें और फूल को देवी दुर्गा को चढ़ा दें। इससे आपको अचानक धन मिल सकता है।
यह कार्य आप कभी भी शुरू करके कम से कम 43 दिन तक करेंगे तो लाभ मिलेगा। यह कार्य नवरात्रि के दौरान करेंगे तो और भी ज्यादा असरकारक होगा।

वास्तु दोष मिटाने के लिए : यदि घर के किसी स्थान पर वास्तु दोष निर्मित हो रहा है तो वहां एक कपूर की 2 टिकियां रख दें। जब वह टिकियां गलकर समाप्त हो जाए तब दूसरी दो टिकिया रख दें। इस तरह बदलते रहेंगे तो वास्तुदोष निर्मित नहीं होगा।

भाग्य चमकाने के लिए : पानी में कपूर के तेल की कुछ बूंदों को डालकर नहाएं। यह आपको तरोताजा तो रखेगा ही आपके भाग्य को भी चमकाएगा। यदि इस में कुछ बूंदें चमेली के तेल की भी डाल लेंगे तो इससे राहु, केतु और शनि का दोष नहीं रहेगा, लेकिन ऐसे सिर्फ शनिवार को ही करें।

पति-पत्नी के बीच तनाव को दूर करने हेतु : रात को सोते समय पत्नी अपने पति के तकिये में सिंदूर की एक पुड़िया और पति अपनी पत्नी के तकिये में कपूर की 2 टिकियां रख दें। प्रातः होते ही सिंदूर की पुड़िया घर से बाहर कही उचित स्थान पर फेंक दें तथा कपूर को निकाल कर शयन कक्ष में जला दें।
यदि ऐसा नहीं करना चाहते हैं तो प्रतिदिन शयनकक्ष में कपूर जलाएं और कपूर की 2 टिकियां शयनकक्ष के किसी कोने में रख दें। जब वह टिकियां गलकर समाप्त हो जाए तो दूसरी रख दें।

धन-धान्य के लिए : रात्रि काल के समय रसोई समेटने के बाद चांदी की कटोरी में लौंग तथा कपूर जला दिया करें। यह कार्य नित्य प्रतिदिन करेंगे तो धन-धान्य से आपका घर भरा रहेगा। धन की कभी कमी नहीं होगी।

विवाह बाधा हेतु : विवाह में आ रही बाधा को दूर करना चाहते हैं तो यह उपाय बहुत ही कारगर है। 36 लौंग और 6 कपूर के टुकड़े लें, इसमें हल्दी और चावल मिलाकर इससे मां दुर्गा को आहुति दें।

मनचाही भूमि या भवन पाने के लिए : यह उपाय नवरात्रि के दिन करने का है। सबसे पहले उस स्थान की थोड़ी-सी मिट्टी लाकर एक कांच की शीशी में उसे डालें। उसमें गंगा जल और कपूर डालकर उसे पूजा में जौ के ढेर पर स्थापित कर दें। नवरात्र भर उस शीशी के आगे नवार्ण मन्त्र ‘ऐं हीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे’ का पांच माला जप करें और जौ में रोज गंगा जल डालें। नवमी के दिन थोड़े से अंकुरित जौ निकाल लें और ले जाकर मनचाही जगह पे डाल दें। कांच की शीशी को छोड़कर शेष सामग्री को नदी में डाल दें। देवी की कृपा हुई तो आपको मनचाहा घर मिल जाएगा।

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घर की सुख शान्ति हेतु 10 अचूक उपाय

1. घर में सुख-शांति नहीं रहती तो जिस बर्तन से घर के सदस्य पानी पीते है, उसमें से एक लोटा पानी लेकर अपने घर के चारों कोने में और मकान के बीचों-बीच थोड़ा सा छिड़क दें। ये उपाय रात 12 से 3 बजे के बीच में करेंगे तो अच्छा रहेगा ।

2. कोई लंबे समय से बीमार हो तो रात को उसके तकिए के नीचे 1 सिक्का रखें । बाद में वह सिक्का श्मशान में फेंक दें ।

3. रोज एक गेंदे के फूल पर कुमंकुमं लगाकर तुलसी पर चढ़ाने से पति-पत्नी के बीच का तनाव कम होता है ।

4. शनिवार को सरसों के तेल में मीठे भजिए तले और किसी गरीब को दान कर दें शनि संबंधी बाधाएँ शांत हो जाएंगी ।

5. विदाई के समय एक लोटे में पानी, हल्दी व सिक्का डालकर लड़की के आगे फेंक दें । वैवाहिक जीवन सफल होगा।

6. घर से किसी काम के लिए निकलते समय पहले विपरीत दिशा में 4 कदम जाएँ फिर आगे बढ़े । काम जरुर पूरा होगा ।

7. धन लाभ के लिए हर मंगलवार को मछलियों के लिए आटे की गोलियाँ बनाकर तालाब में डालें ।

8. रोज सुबह पहली रोटी गाय के लिए बनाएं और अंतिम कुत्ते के लिए । ऐसा करने से सभी समस्याओं का अंत हो जाता है ।

9. आधे सूखे नारियल में शक्कर भरकर कच्ची जमीन के नीचे दबा दें । इससे भी बिना मांगे लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।

10. बच्चे को बुरी नजर से बचाने के लिए हनुमानजी की मूर्ति के बांए पैर का सिंदूर लगाएं । बच्चा हँसता-खेलता रहेगा

पितृ दोष कारण और निवारण

पितृ दोष कारण और निवारण

कुण्डली के नवम भाव को भाग्य भाव कहा गया है। इसके साथ ही यह भाव पित्र या पितृ या पिता का भाव तथा पूर्वजों का भाव होने के कारण भी विशेष रुप से महत्वपूर्ण हो जाता है। महाऋषियों के अनुसार पूर्व जन्म के पापों के कारण पितृ दोष बनता है। इसके अलावा इस योग के बनने के अनेक अन्य कारण भी हो सकते है।

सामान्यत: व्यक्ति का जीवन सुख -दुखों से मिलकर बना है। पूरे जीवन में एक बार को सुख व्यक्ति का साथ छोड भी दे, परन्तु दु:ख किसी न किसी रुप में उसके साथ बने ही रहते है, फिर वे चाहें, संतानहीनता, नौकरी में असफलता, धन हानि, उन्नति न होना, पारिवारिक कलेश आदि के रुप में हो सकते है। पितृ दोष को समझने से पहले पितृ क्या है इसे समझने का प्रयास करते है।

पितृ क्या है?

पितरों से अभिप्राय व्यक्ति के पूर्वजों से है। जो पित योनि को प्राप्त हो चुके है। ऎसे सभी पूर्वज जो आज हमारे मध्य नहीं, परन्तु मोहवश या असमय मृ्त्यु को प्राप्त होने के कारण, आज भी मृ्त्यु लोक में भटक रहे है। अर्थात जिन्हें मोक्ष की प्राप्ति नहीं हुई है, उन सभी की शान्ति के लिये पितृ दोष निवारण उपाय किये जाते है। ये पूर्वज स्वयं पीडित होने के कारण, तथा पितृ्योनि से मुक्त होना चाहते है, परन्तु जब आने वाली पीढी की ओर से उन्हें भूला दिया जाता है, तो पितृ दोष उत्पन्न होता है ।

पितृ दोष कैसे बनता है?

नवम पर जब सूर्य और राहू की युति हो रही हो तो यह माना जाता है कि पितृ दोष योग बन रहा है। शास्त्र के अनुसार सूर्य तथा राहू जिस भी भाव में बैठते है, उस भाव के सभी फल नष्ट हो जाते है। व्यक्ति की कुण्डली में एक ऎसा दोष है जो इन सब दु:खों को एक साथ देने की क्षमता रखता है, इस दोष को पितृ दोष के नाम से जाना जाता है।

पितृ दोष के कारण

पितृ दोष उत्पन्न होने के अनेक कारण हो सकते है। जैसे:- परिवार में अकाल मृ्त्यु हुई हों, परिवार में इस प्रकार की घटनाएं जब एक से अधिक बार हुई हों। या फिर पितरों का विधी विधान से श्राद्ध न किया जाता हों, या धर्म कार्यो में पितरों को याद न किया जाता हो, परिवार में धार्मिक क्रियाएं सम्पन्न न होती हो, धर्म के विपरीत परिवार में आचरण हो रहा हो, परिवार के किसी सदस्य के द्वारा गौ हत्या हो जाने पर, या फिर भ्रूण हत्या होने पर भी पितृ दोष व्यक्ति कि कुण्डली में नवम भाव में सूर्य और राहू स्थिति के साथ प्रकट होता है।
नवम भाव क्योकि पिता का भाव है, तथा सूर्य पिता का कारक होने के साथ साथ उन्नती, आयु, तरक्की, धर्म का भी कारक होता है, इसपर जब राहू जैसा पापी ग्रह अपनी अशुभ छाया डालता है, तो ग्रहण योग के साथ साथ पितृ दोष बनता है। इस योग के विषय में कहा जाता है कि इस योग के व्यक्ति के भाग्य का उदय देर से होता है। अपनी योग्यता के अनुकुल पद की प्राप्ति के लिये संघर्ष करना पडता है।
हिन्दू शास्त्रों में देव पूजन से पूर्व पितरों की पूजा करनी चाहिए। क्योकि देव कार्यो से अधिक पितृ कार्यो को महत्व दिया गया है। इसीलिये देवों को प्रसन्न करने से पहले पितरों को तृ्प्त करना चाहिए। पितर कार्यो के लिये सबसे उतम पितृ पक्ष अर्थात आश्चिन मास का कृ्ष्ण पक्ष समझा जाता है।

पितृ दोष शान्ति के उपाय

आश्विन मास के कृ्ष्ण पक्ष में पूर्वजों को मृ्त्यु तिथि अनुसार तिल, कुशा, पुष्प, अक्षत, शुद्ध जल या गंगा जल सहित पूजन, पिण्डदान, तर्पण आदि करने के बाद ब्राह्माणों को अपने सामर्थ्य के अनुसार भोजन, फल, वस्त्र, दक्षिणा आदि दान करने से पितृ दोष (Pitra Dosha) शान्त होता है

इस पक्ष में एक विशेष बात जो ध्यान देने योग्य है वह यह है कि जिन व्यक्तियों को अपने पूर्वजों की मृ्त्यु की तिथि न मालूम हो, तो ऎसे में आश्विन मास की अमावस्या को उपरोक्त कार्य पूर्ण विधि- विधान से करने से पितृ शान्ति होती है । इस तिथि को सभी ज्ञात- अज्ञात, तिथि- आधारित पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है।

पितृ दोष निवारण के अन्य उपाय

(1) पीपल के वृ्क्ष की पूजा करने से पितृ दोष की शान्ति होती है। इसके साथ ही सोमवती अमावस्या को दूध की खीर बना, पितरों को अर्पित करने से भी इस दोष में कमी होती है। या फिर प्रत्येक अमावस्या को एक ब्राह्मण को भोजन कराने व दक्षिणा वस्त्र भेंट करने से पितृ दोष कम होता है ।

(2) प्रत्येक अमावस्या को कंडे की धूनी लगाकर उसमें खीर का भोग लगाकर दक्षिण दिशा में पितरों का आव्हान करने व उनसे अपने कर्मों के लिये क्षमायाचना करने से भी लाभ मिलता है।

(3)सूर्योदय के समय किसी आसन पर खड़े होकर सूर्य को निहारने, उससे शक्ति देने की प्रार्थना करने और गायत्री मंत्र का जाप करने से भी सूर्य मजबूत होता है।

(4) सूर्य को मजबूत करने के लिए माणिक भी पहना जाता है, मगर यह कूंडली में सूर्य की स्थिति पर निर्भर करता है।

(5) सोमवती अमावस्या के दिन पितृ दोष निवारण पूजा करने से भी पितृ दोष में लाभ मिलाता है।

सपनों का मतलब और उनका फल

सपने हर किसी को आते है। हर सपनों का मतलब और उनका फल होता है। सपने 2 तरह के होते है, एक वो जो हम सोने के बाद गहरी नींद में देखते है, दूसरा वो जो हम अपने सुनहरे भविष्य के लिए सोचते है| सपने वो है जो रियल नहीं होते है, बल्कि एक सोच है, जो हम चाहते है कि भविष्य में हमें मिल जाये। जो सपने हम नींद में देखते है वे कही न कही हमारी ज़िन्दगी से जुड़े होते है।

सपने हमें आने वाली मुसीबत के लिए पहले से चेतावनी देते है।

सपने में कई बार हम ऐसी घटना देखते है जो हमारे भूतकाल से जुड़ी हुई होती है, या फिर वो देखते है जो आने वाले भविष्य में होने वाला है। कई बार हम अपने जीवन में जैसी सोच रखते है, जैसे माहोल में रहते है वैसा ही रात को सपना देखते है। सपने हमेशा अधूरे नहीं रहते है, वे कई बार पुरे भी होते है, कभी सपने तुरंत पुरे होते है, तो कभी थोड़े समय बाद अपना असर देते है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर सपने का कोई न कोई मतलब और उनका अर्थ होता है। सपने हमारे आने वाले भविष्य का आइना है, वो हमें आने वाली मुसीबत के लिए पहले से चेतावनी देते है।

सपने में देखी गई हर बात , उसमें दिखा इन्सान, जानवर, भावनाएं, मूड, रंग, जगह, हर चीज का मतलब है

सपनों का रहस्य

कहते है सुबह का देखा हुआ सपना सच होता है। मुझे ये तो नहीं पता कि इस बात में कितनी सच्चाई है, लेकिन सपने में देखी गई हर चीज वस्तु, इन्सान, घटना का कोई न कोई गहरा मतलब होता है। घटना को समझकर जितने अच्छे से हम उसके अर्थ को जानेगें उतना हम अपने अंदर की भावनाएं व् गहरे रहस्य को जान पायेंगें। अपने सपनों को समझने की क्षमता रखना एक शक्तिशाली उपकरण है। याद रखें आपके सपनों को आपके बेहतर कोई नहीं समझ सकता। कई बार ये सपनों में दिखाई दिए चिन्ह हमें चिंता में भी डाल देते है। सपने में देखी गई हर बात , उसमें दिखा इन्सान, जानवर, भावनाएं, मूड, रंग, जगह, हर चीज का मतलब है, आज मैं आपको सपने की एक छोटी सी डिक्शनरी शेयर कर रह हूँ, इनको पढ़ आप अपने सपने को बहुत हद तक समझ सकते है।

स्वप्न का अर्थ

अगर आपको अपने सपनों का अर्थ समझना है तो आपको ये याद रखना होगा कि नींद में आपने सपने में क्या देखा था। कई लोगों के साथ ये समस्या होती है कि, उन्हें सपना याद ही नहीं होता है, सुबह होते ही हम भूल जाते है कि रात को हमने क्या देखा था। आप सुबह अपनी याददाश्त पर जोर डाल कर सपने के बारे में सोचे जिससे वो आपको याद आ जायेगा, जिसके बाद आप उस चीज के बारे में पढ़ कर आप उसके मतलब को समझ सकेंगें।

सपने में किसी जानवर का दिखना (Swapan Phal When View Animal)

कुत्ता – सपने में कुत्ता अलग अलग अवस्था में दिखाई देता है। अगर रोता हुआ कुत्ता दिखाई दे मतलब बुरा समाचार आने वाला है। एक कुत्ता दिखाई दे मतलब किसी पुराने दोस्त से मिल सकते है।

बिल्ली – सपने में बिल्ली का दिखना मतलब किसी से आपकी लड़ाई हो सकती है।

शेर – सपने में शेर का दिखाई देना मतलब आपके रुके हुए कार्य पुरे होने वाले है, मुकदमे में जीत मिलेगी।

बछड़ा – इसका दिखना शुभ संकेत है, इसका मतलब है आप आत्मनिर्भर है एवं आपको धन की प्राप्ति होने वाली है।

ऊंट – सपने में ऊंट का दिखना अच्छा नहीं माना जाता है। चलते हुए ऊंट का दिखना मतलब कोई शारीरिक समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसके अलावा खड़े हुए ऊंट को देखना मतलब आपको किसी भी तरह की विपत्ति आ सकती है।

गाय – अलग तरह की गाय दिखने के पीछे अलग अलग रहस्य छुपे हुए है। अगर सपने में सफ़ेद गाय दिखे तो आपको शक्कर व् चांदी के व्यापार में लाभ मिलेगा। चितकबरी गाय दिखने पर ब्याज के व्यापार में लाभ होगा। अगर सपने में आप गाय का दूध निकलते हुए देखते है तो, इसका मतलब है कि संपत्ति व् व्यापार में लाभ होगा।

काला नाग – सपने में काला नाग दिखना शुभ है, इसका मतलब है आप आर्थिक रूप से मजबूत होंगें साथ ही आपका मान सम्मान बढ़ेगा।

नाग – बहुत से लोगों को अपने सपने में सांप नजर आते है, वे इसे देखकर डर जाते है, व् कुछ बुरा महसूस करने लगते है। लेकिन ऐसा नहीं है, सांप या नाग देखना शुभ है, इसका मतलब है आपके जीवन में सभी तरह की सुख समर्धि आने वाली है।

मछली – मछली को लक्ष्मी का सूचक कहते है, इसके दिखने का मतलब है कि आपको धन की प्राप्ति होने वाली है।

शेर – शेर या सिंह का दिखना भी शुभ होता है, इसका मतलब होता है कि आपके सभी शत्रु आपसे डर कर रहेंगें| हर क्षेत्र में आपको विजय प्राप्त होगी। शेर शेरनी के जोड़े को एक साथ देखने का मतलब है कि आपका शादीशुदा जीवन खुशहाल रहेगा।

हाथी – हाथी का सपने में दिखना शुभ सूचक है, कहते है इससे जीवन में सुख समर्धि की बढ़ोतरी होती है। हाथी को अलग अलग तरह से देखा जाता है, जिससे अलग अलग फायदे होते है।

हाथी हथिनी के जोड़े का दिखना मतलब आपकी शादीशुदा ज़िन्दगी खुशहाल रहने वाली है। खड़े हाथी को देखना मतलब आपके किसी कार्य में अड़चन पैदा हो सकती है।

अगर सपने में आप अपने आप को हाथी में सवारी करते हुए देखते है तो मतलब आपके जीवन में सुख शांति समर्धि की बढ़ोतरी होगी।

पशु – सपने में किसी भी पशु को देखना मतलब व्यापार में लाभ होगा।

घोड़े पर चढ़ते हुए देखना – इसका मतलब है आपको अपने कार्य में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।

घोड़े से गिरना – इसका मतलब है कि आपको अपने काम में हानि हो सकती है।

सूअर का दिखना – इसका मतलब आपको कोई शारीरिक परेशानी हो सकती है।

सपने में किसी कीड़े को देखने का मतलब (Sapno Ka Matlab When View Insects)

छिपकली – सपने में छिपकली का दिखना बहुत ही अशुभ माना जाता है। आपको सपने में छिपकली किस तरह से दिखाई दे रही है, इस बात पर उसका रहस्य छुपा हुआ है। अगर छिपकली एक ही जगह पर बैठी हुई है तो मतलब कोई दुर्घटना या हानि होने वाली है। यदि छिपकली किसी कीड़े को खाते हुए दिखाई देती है तो घर में या आसपास चोरी हो सकती है। लेकिन अगर छिपकली डरकर कर भागते हुए नज़र आये तो ये शुभ संकेत हो सकता है।

मधुमक्खी – यदि सपने में मधुमक्खी से भरा हुआ छाता दिखाई दे तो ये शुभ होता है, इससे आपके परिवार में एकजुटता बनी रहेगी। अगर मधुमक्खी फूल पर बैठी दिखाई दे तो इसका मतलब है आपके व्यापार में आपको नुकसान होने वाला है।

भौरा – सपने में इसका दिखना बहुत अशुभ मानते है, इसके दिखने का मतलब है कि आपको कोई अपना धोखा देना वाला है, साथ ही आपको किसी कष्टकारी यात्रा का सामना करना पड़ेगा।

बिच्छु – बिच्छु का दिखना शुभ अशुभ दोनों होता है। इसका फल परीस्थिती पर निर्भर करता है। अगर आपको ये सपने में दिखाई दे इसका मतलब है कि आप पर एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी आने वाली है, जिससे आपका मान सम्मान बढ़ेगा। साथ ही आपको कार्यों में सफलता भी मिलेगी। सपने में अगर बिच्छु काटता हुआ दिखाई दे तो किसी तरह की हानि या नुकसान संभव है। काला बिच्छु शुभ व् सफ़ेद बिच्छु अशुभ होता है।

बंदर – परिवार या मित्र से लड़ाई हो सकती है, या किसी तरह का मनमुटाव होगा.

सपने में रिश्तेदारों का दिखना (Swapan Phal When View Relatives)

दोस्त सपने में दोस्तों का दिखाई देने का मतलब है कि आपके दोस्त के जीवन को आपकी सलाह की जरूरत है। या आप चाहते है कि आपके दोस्त आपकी सुनें।

दादा दादी/नाना नानी इनका दिखाई देना मतलब बुद्धि, प्यार की निशानी है।

माता पिता आपको अपने कार्यक्षेत्र में सम्मान मिलने वाला है।

रिश्तेदार सपने में किसी रिश्तेदार को अपने घर में आता हुआ देखने ला मतलब है आपको नए अच्छे अवसर मिलने वाले है।

भाई का दिखना आपके नए मित्र बन सकते है।

पति सपने में अपने पति को देखना अच्छा सूचक है, इससे आपके रिश्ते और अधिक मजबूत होंगें, एवं जीवन में बहुत सी खुशियाँ दस्तक देंगी।

टीचर का सपने में दिखना अच्छा होता है, इससे जीवन में बाधाएं दूर होती है व् सफलता प्राप्त होती है

सपने में किसी उत्सव का दिखना (Swapan Phal When View Festival)

शादी का दिखना – ऐसा कुछ देखने का मतलब है कि आपके जीवन में कोई बड़ा संकट आने वाला है।

उत्सव – सपने में अगर आप अपने आप को किसी पार्टी, शादी या महोत्व में देखते है, इसका मतलब है आप जल्द ही किसी की शोक सभा में जाने वाले है।

पार्टी – इसका मतलब है आप किसी बात के लिए बहुत खुश है। या आप किसी पुरानी पार्टी को बहुत याद कर रहे है।

डोली – सपने में डोली का दिखना अच्छा नहीं माना जाता है, इसके दिखने का मतलब है आप किसी तरह की परेशानी में पड़ने वाले है।

बारात – बारात भी शादी से जुड़ी हुई होती है, जिस तरह शादी का दिखना अशुभ होता है उसी तरह सपने में बारात का दिखना भी अच्छा नहीं माना जाता है।

दीपावली उत्सव – सपने में दीपावली उत्सव का आनंद लेना मतलब आपके जीवन में खुशियाँ आने वाली है, आपका जीवन हर्षोल्लास से भरा हुआ रहेगा।

मंगनी – मंगनी का सपने में दिखना अशुभ होता है, इसके दिखने का मतलब है आपके विवाह में देरी हो सकती है, साथ ही अचानक कोई दुःख आ सकता है।

विदाई – विदाई का दिखना शुभ माना जाता है, इसका मतलब है आपको आर्थिक रूप से लाभ होगा।

कन्यादान – सपने में कन्यादान का देखना अच्छा नहीं होता है, ये संकेत है कि आपके जीवन में कोई दुर्घटना या संकट आ सकता है।

सपने में किसी तरह की म्रत्यु का दिखना (Sapno Ka Arth When View Death)

किसी मर चुके इन्सान का दिखना – कोई आपका अपना या रिश्तेदार जो मर चूका है, उससे आप अपने सपने में बात करते है, इसका मतलब है कि मन की कोई इच्छा पूरी होने वाली है।

म्रत्यु – अपनी या किसी और की म्रत्यु को देखने का मतलब है कि आपके जीवन में जो कुछ परेशानी है वो ख़त्म होने वाली है एवं कुछ नयी शुरुआत होने वाली है। किसी मुर्दे का दिखना मतलब आपकी मनचाही इच्छा पूरी होने वाली है।

आत्महत्या – ये इस बात का प्रतीक है कि जो आपके जीवन में असहनीय व जरुरी बात नहीं है उसे बाहर निकाल दो

भूत – सपने में किसी के भूत को देखना अशुभ माना जाता है, इसका मतलब है भविष्य में आपको किसी तरह के भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा।

हत्या – ये अशुभ सूचक है, इसका मतलब है कि आपको कही से धोखा मिलने वाला है।

अर्थी – रोगियों को अगर ये दिखाई दे तो अच्छा माना जाता है, इससे उनके जल्दी ठीक होने के आसार होते है।

शव – ये अच्छा होता है, इसका मतलब है आपका भाग्योदय होने वाला है।

आग से संबंधित सपने (Sapno Ka Matlab When View Fire)

जलता दिया – जलता दिया अँधेरे को रौशनी में बदल देता है, ये हमेशा अच्छा संकेत होता है। इसका मतलब है कि आपकी उम्र बढ़ गई है।

धुँआ – सपने में धुँआ का दिखना मतलब आपको व्यापार में हानि होने वाली है, साथ ही ये रोग व् शत्रुओ की बढ़ोतरी की निशानी है।

पूजा करते हुए – अगर आप अपने आप को पूजा पाठ करते हुए देखते हो मतलब आपकी समस्यांए जल्द ही समाप्त होने वाली है।

अग्नि – सपने में आग का दिखना अच्छा होता है, इससे रुका हुआ धन वापस मिलने के संकेत है, लेकिन अगर कोई सपने में किसी को आग से जलता हुआ देखे तो ये बुरा माना जाता है, इससे व्यापार में हानि पक्की है।

आग को पकड़ना – इसका दिखना फिजूल खर्च की निशानी है।

प्रकति से सम्बंधित सपने (Dream Meaning When View Nature)

नदी – इसका दिखना मतलब आपके सपने पुरे होने वाले है।

बिजली गिरते हुए देखना – इसका मतलब है आप किसी भी संकट में फंस सकते है।

आसमान – इसका मतलब है आपको बेटा हो सकता है।

इन्द्रधनुष – इसका मतलब है कि आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।

बादल – सपने में बादल का दिखना एक साधारण बात है, लेकिन अगर काले बादल दिखाई देते है तो भविष्य में संकट आ सकता है| बादल के साथ अगर आप बारिश भी देखते है तो ये अच्छा सूचक है।

तारे – इसका दिखना अच्छा होता है, इसका मतलब है कि आपके दिल की मनोकामना जल्द ही पूरी होने वाली है। सपने में पुरे तारामंडल का दिखना तो बहुत ही अच्छा माना जाता है।

पत्थर – ये अशुभ संकेत है, ये आने वाली विपत्ति संकट का सूचक है।

पहाड़ – इसका दिखना अच्छा होता है, आपके जीवन में आप उन्नति ही उन्नति पायेंगें।

बर्फ – इसका मतलब है आप जल्दी ही अपने किसी प्रिय से मिलने वाले है

गार्डन – इसका मतलब है आपको सुख की प्राप्ति होगी।

आम का पेड़ – इसका मतलब है आपको पुत्र की प्राप्ति होने वाली है।

जड़े – इससे आपको दीर्घायु प्राप्त होगी।

चन्द्रमा – आने वाले समय में आपका सम्मान बढ़ेगा।

झरना – आपके दुखो का अंत होने वाला है।

धुप – आपका प्रोमोशन होने वाला है।

बिजली गिरते हुए देखना – आप किसी संकट में पड़ने वाले है।

कमल का फूल – सभी रोगों से छुटकारा मिल जायेगा।

कुआं – समाज में सम्मान बढ़ेगा।

शहद – आपकी ज़िन्दगी में अनुकूलता आएगी।

कोयल – स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।

तालाब – दुश्मन से हार का सामना होगा।

शारीरिक अंग का सपने में दिखना (Sapno Ka Arth When View Body Part)

दांत गिरते – सपने में दांत का गिरना अशुभ होता है, ऐसा मानते है कि ये सपना देखने पर आपको किसी झंझंट का सामना करना पड़ेगा। इसका मतलब ये होता है कि आपके घर में भाई बहन पर कोई परेशानी आने वाली है।

नाख़ून काटना – ये अच्छा संकेत होता है, इसका मतलब है कि आपको सारे रोगों से छुटकारा मिलने वाला है

हड्डी – इससे आपका रुका धन आपको मिलने के संकेत मिलते है।

कटे हुए अंग – इससे आपको जल्द ही संतान की प्राप्ति होगी, व् आपकी संतान के किये लाभकारी भी होगा। लेकिन अगर आप सपने में अपने ही कटे हुए अंग देखते है तो ये अशुभ है, इसका मतलब है जल्दी ही आपके किसी परिजन की म्रत्यु होने वाली है।

किसी भी तरह की ईमारत का सपने में देखना (Swapan Phal When View Building)

ईमारत बनाते हुए – घर बनते हुए या ईमारत बनते हुए देखना अच्छा होता है। इससे भविष्य में आपको तरक्की मिलने वाली है।

ऊंचाई – बहुत से लोग ऊंचाई से डरते है, उन्हें हमेशा ये डर बना रहता है कि कहीं वे ऊंचाई से गिर न जाएँ| इस डर को वे अपने सपने में भी देखते है, ऐसा देखने का मतलब है कि ज़िन्दगी में कोई परेशानी आने वाली है।

किला – आपकी फिजिकल बॉडी को दर्शाता है या आपकी क्षमता व् विकास को दर्शाता है। साथ ही ख़ुशी की ओर इशारा है।

महल – ये अच्छा सूचक है, इसका मतलब है जातक के कष्ट ख़त्म होने वाले है।

स्टेशन – इसका मतलब है आने वाले समय में आपको एक सुखद यात्रा का अनुभव होगा।

कब्रिस्तान – इसका मतलब है आपको धन लाभ होगा साथ ही आपको समाज में मान सम्मान मिलेगा।

दुकान – खाली दुकान देखना बुरा माना जाता है, इससे धन हानि होती है, जबकि भरी दुकान देखना अच्छा माना जाता है, इससे धन वृद्धि होती है।

धातु का सपने में दिखना –गोल्ड का मिलना अगर सपने में कोई आपको गोल्ड दे रहा है मतलब आपकी शादी जल्दी हो सकती है।

ताम्बा सपने में ताम्बा को देखना मतलब आपको अपने जीवन से जुड़ी कोई गोपनीय व् रहस्यमयी बात का पता चलने वाला है।

लोहा इसको अशुभ माना जाता है, इसका मतलब है कि आपका किसी दुर्घटना से सामना होने वाला है।

किसी वाहन का सपने में दिखना (Sapno Ka Matlab When View Vehicle)

ट्रेन – इसका मतलब है आपको किसी कष्टकरी यात्रा का सामना करना पड़ेगा।

विमान – इसका मतलब है आपकी किस्मत जल्द ही बदलने वाली है, आपका अच्छा समय आने वाला है।

साईकिल – आपके सारे कार्य सिध्य होने वाले है।

किसी व्यक्ति विशेष का दिखाई देना

बच्चे – सपने में किसी बच्चे को देखने का मतलब है कि आप अपने आप को किसी काम के लिए परिपक्व नहीं समझते है, या जो काम आप कर रहे है उसमें आपको और विकसित व् परिपक्व होने की आवश्कता है।

रोता बच्चा – सपने में अगर रोता बच्चा दीखता है मतलब आपके जीवन में कोई निराशा आने वाली है, कोई बीमारी या कोई और बुरी खबर आ सकती है।

हँसते हुए देखना – अगर आप अपने आपको हँसता हुआ देखते है इसका मतलब है कि आपका किसी से जल्दी ही विबाद होने वाला है।

डॉक्टर – इसका मतलब है आपको कोई रोग होने वाला है।

गेस्ट – इसका मतलब है आपके घर कोई परेशानी आने वाली है।

डाकिया – इसका मतलब है आपके घर कोई शुभ समाचार आने वाला है।

पुजारी – आपको आगे भविष्य में उन्नति मिलने वाली है।

भिखारी – आप यात्रा कर सकते है।

विधवा – आपको कोई हानि होने वाली है।

लड़की – जवान लड़की को देखना अच्छा संकेत है, इसका मतलब है आपकी शादी जल्द होने वाली है।

अन्य बातें जो हम सपनों में देखते है

धोखा – अपनों से धोखा, ये बहुत कॉमन सपना है, जो भावनात्मक रूप से हताश इन्सान को जरुर दिखाई देता है| धोखे का मतलब ये नहीं कि आपका पार्टनर गलत है बल्कि ये है कि आपमें आत्मसम्मान की कमी है, आप अपने आप में गिल्टी फील करते है।

उड़ना – अपने आप को उड़ना देखने का मतलब है कि आप अपने आप को आजाद उपर देखते है। आप खुश व् अच्छा महसूस करते है। आप किसी यात्रा में जा सकते है।

भगवान/देवी देवताओं का दिखना – इसका मतलब है आपके जीवन में आ रही परेशानियों का समाधान होने का समय निकट है धन-धान्य का लाभ होने वाला है

कछुआ – आपको सही समझ, धेर्य की जरूरत है, आपके जीवन में शांति की कमी है, आपको जीवन में भागने की जगह कछुआ की तरह धीरे चलना होगा।

टूटते हुए शीशे का दिखना – ये सपना एक बुरा संकेत है, आपके जीवन में एक दुखद घटना घट सकती है। किसी करीबी की मौत की खबर आ सकती है।

खुला दरवाजा (Open Door) – इसका मतलब है कि जीवन में नयी शुरुवात होने वाली है, नए दोस्त बन सकते है।

भूकंप – प्राकतिक आपदा भूकंप में किसी का जोर नहीं है, ये कभी भी कही पर भी आ सकता है| इस तरह की आपदा को अपने सपने में देखने का मतलब है आपकी संतान के जीवन में कोई परेशानी आने वाली है।

दीवार – सपने में दीवार का दिखना मतलब आपका सम्मान बढ़ेगा।

काजल लगाना – आपको शारीरिक कष्ट हो सकता है।

बंद दरवाजा देखना – भविष्य में आपको धन की हानि होगी।

अपने आपको चश्मा लगाये हुए देखना – इसका मतलब है आपका ज्ञान बढ़ेगा।

गोबर – इसका मतलब है आपके पशु के व्यापार में आपको लाभ मिलेगा।

दिया का दिखना – इसका भी मतलब होता है कि धन की प्राप्ति होगी।

कैची – इसका मतलब है आपके घर में किसी तरह का क्लेश होने वाला है।

लाठी – आपको यश की प्राप्ति होगी।

घूमते हुए देखना – इसका मतलब है, कोई अनजान शत्रु आपको नुकसान पहुचाने की योजना बना रहा है।

पीछा करते हुए देखना – सपने में किसी को अपने पीछे भागते हुए देखना, इसका मतलब है आप अपने अंदर की किसी भावना से दूर भाग रहे है, घबरा रहे है. जो लड़कियां ये सपना देखती है, मतलब वो अपने आसपास असुरक्षित महसूस करती है।

एग्जाम देते हुए देखना – अपने आप को परीक्षा हॉल में परीक्षा देते हुए देखना मतलब आपके जीवन में किसी तरह की कठिनाई आने वाली है, जो आपके लिए किसी परीक्षा से कम नहीं होगी।

अंगूठी पहनते हुए देखना – इसका मतलब आपको अच्छी सुंदर पत्नी मिलेगी।

आम खाते हुए देखना – मतलब आपको जल्दी धन की प्राप्ति होने वाली है।

हरी सब्जी का दिखना – इसका मतलब आपने जीवन में खुशियाँ आने वाली है।

जामुन – इसका मतलब आपके जीवन की समस्याएं खत्म होने वाली है।

वैवाहिक जीवन मे परेशानी

जब एक स्त्री और पुरूष वैवाहिक जीवन में प्रवेश करते हें तब उनके कुछ सपने और ख्वाब होते हैं। कुण्डली में मौजूद ग्रह स्थिति कभी कभी ऐसी चाल चल जाते हैं कि पारिवारिक जीवन की सुख शांति खो जाती है।
पति पत्नी समझ भी नही पाते हैं कि उनके बीच कलह का कारण क्या है और ख्वाब टूट कर बिखरने लगते हैं।
वैवाहिक जीवन में मिलने वाले सुख पर गहों का काफी प्रभाव होता है.ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सप्तम यानी केन्द्र स्थान विवाह और जीवनसाथी का घर होता है. इस घर पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव होने पर या तो विवाह विलम्ब से होता है या फिर विवाह के पश्चात वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य की कमी रहती है. इसके अलावे भी ग्रहों के कुछ ऐसे योग हैं जो गृहस्थ जीवन में बाधा डालते हैं।

 

ज्योतिषशास्त्र कहता है जिस स्त्री या पुरूष की कुण्डली में सप्तम भाव का स्वामी पांचवें में अथवा नवम भाव में होता है उनका वैवाहिक जीवन सुखद नहीं रहता है. इस तरह की स्थिति जिनकी कुण्डली में होती है उनमें आपस में मतभेद बना रहता है जिससे वे एक दूसरे से दूर जा सकते हैं।जीवनसाथी को वियोग सहना पड़ सकता है. हो सकता है कि जीवनसाथी को तलाक देकर दूसरी शादी भी करले. इसी प्रकार सप्तम भाव का स्वामी अगर शत्रु नक्षत्र के साथ हो तो वैवाहिक जीवन में बाधक होता है.

 

जिनकी कुण्डली में ग्रह स्थिति कमज़ोर हो और मंगल एवं शुक्र एक साथ बैठे हों उनके वैवाहिक जीवन में अशांति और परेशानी बनी रहती है. ग्रहों के इस योग के कारण पति पत्नी में अनबन रहती है. ज्योतिषशास्त्र के नियमानुसार कमज़ोर ग्रह स्थिति होने पर शुक्र की महादशा के दौरान पति पत्नी के बीच सामंजस्य का अभाव रहता है. केन्द्रभाव में मंगल, केतु अथवा उच्च का शुक्र बेमेल जोड़ी बनाता है. इस भाव में स्वराशि एवं उच्च के ग्रह होने पर भी मनोनुकल जीवनसाथी का मिलना कठिन होता है. शनि और राहु का सप्तम भाव होना भी वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं माना जाता है क्योंकि दोनों ही पाप ग्रह दूसरे विवाह की संभावना पैदा करते हैं.

 

सप्तमेश अगर अष्टम या षष्टम भाव में हो तो यह पति पत्नी के मध्य मतभेद पैदा करता है. इस योग में पति पत्नी के बीच इस प्रकार की स्थिति बन सकती है कि वे एक दूसरे से अलग भी हो सकते हैं. यह योग विवाहेत्तर सम्बन्ध भी कायम कर सकता है अत: जिनकी कुण्डली में इस तरह का योग है उन्हें एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए और समर्पण की भावना रखनी चाहिए। सप्तम भाव अथवा लग्न स्थान में एक से अधिक शुभ ग्रह हों या फिर इन भावों पर दो से अधिक शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो यह जीवनसाथी को पीड़ा देता है जिसके कारण वैवाहिक जीवन कष्टमय हो जाता है.

 

सप्तम भाव का स्वामी अगर कई ग्रहों के साथ किसी भाव में युति बनाता है अथवा इसके दूसरे और बारहवें भाव में अशुभ ग्रह हों और सप्तम भाव पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो गृहस्थ जीवन सुखमय नहीं रहता है. चतुर्थ भाव में जिनके शुक्र होता है उनके वैवाहिक जीवन में भी सुख की कमी रहती है. कुण्डली में सप्तमेश अगर सप्तम भाव में या अस्त हो तो यह वैवाहिक जीवन के सुख में कमी लाता है.

आजीविका में सफलता

आजिविका के क्षेत्र में सफलता व उन्नति प्राप्त करने के लिये व्यक्ति में अनेक गुण होने चाहिए, सभी गुण एक ही व्यक्ति में पाये जाने संभव नहीं है. किसी के पास योग्यता है तो किसी व्यक्ति के पास अनुभव पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. कोई व्यक्ति अपने आजिविका क्षेत्र में इसलिये सफल है कि उसमें स्नेह पूर्ण व सहयोगपूर्ण व्यवहार है.कोई अपनी वाकशक्ति के बल पर आय प्राप्त कर रहा है. तो किसी को अपनी कार्यनिष्ठा के कारण सफलता की प्राप्ति हो पाई है. अपनी कार्यशक्ति व दक्षता के सर्वोतम उपयोग करने पर ही इस गलाकाट प्रतियोगिता में आगे बढने का साहस कर सकता है. आईये देखे की ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कौन से ग्रह से व्यक्ति में किस गुण का विकास होता है.

1. कामकाज की जानकारी व समझ

काम छोटा हों या बडा हों, उसे करने का तरीका सबका एक समान हों यह आवश्यक नहीं, प्रत्येक व्यक्ति कार्य को अपनी योग्यता के अनुसार करता है. जब किसी व्यक्ति को अपने कामकाज की अच्छी समझ न हों तो उसे कार्यक्षेत्र में दिक्कतों का सामना करना पड सकता है. व्यक्ति के कार्य को उत्कृ्ष्ट बनाने के लिये ग्रहों में गुरु ग्रह को देखा जाता है.

कुण्डली में जब गुरु बली होकर स्थिति हो तथा वह शुभ ग्रहों के प्रभाव में हों तो व्यक्ति को अपने क्षेत्र का उतम ज्ञान होने की संभावनाएं बनती है गुरु जन्म कुण्डली में नीच राशि में वक्री या अशुभ ग्रहों के प्रभाव में हों तो व्यक्ति में कामकाज की जानकारी संबन्धी कमी रहने की संभावना रहती है. सभी ग्रहों में गुरु को ज्ञान का कारक ग्रह कहा गया है. गुरु ग्रह व्यक्ति की स्मरणशक्ति को प्रबल करने में भी सहयोग करता है. इसलिये जब व्यक्ति की स्मरणशक्ति अच्छी होंने पर व्यक्ति अपनी योग्यता का सही समय पर उपयोग कर पाता है.

2. कार्यक्षमता व दक्षता

किसी भी व्यक्ति में कार्यक्षमता का स्तर देखने के लिये कुण्डली में शनि की स्थिति देखी जाती है कुण्डली में शनि दशम भाव से संबन्ध रखते हों तो व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में अत्यधिक कार्यभार का सामना करना पड सकता है. कई बार ऎसा होता है कि व्यक्ति में उतम योग्यता होती है. परन्तु उसका कार्य में मन नहीं लगता है.इस स्थिति में व्यक्ति अपनी योग्यता का पूर्ण उपयोग नहीं कर पाता है. या फिर व्यक्ति का द्वादश भाव बली हों तो व्यक्ति को आराम करना की चाह अधिक होती है. जिसके कारण वह आराम पसन्द बन जाता है. इस स्थिति में व्यक्ति अपने उतरदायित्वों से भागता है. यह जिम्मेदारियां पारिवारिक, सामाजिक व आजिविका क्षेत्र संबन्धी भी हो सकती है. शनि बली स्थिति में हों तो व्यक्ति के कार्य में दक्षता आती है.

3. कार्यनिष्ठा:
जन्म कुण्डली के अनुसार व्यक्ति में कार्यनिष्ठा का भाव देखने के लिये दशम घर से शनि का संबन्ध देखा जाता है अपने कार्य के प्रति अनुशासन देखने के लिये सूर्य की स्थिति देखी जाती है. शनि व सूर्य की स्थिति के अनुसार व्यक्ति में अनुशासन का भाव पाया जाता है. शनि व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति सजग बनाता है. कुण्डली में शनि जब बली होकर स्थित होंने पर व्यक्ति अपने कार्य को समय पर पूरा करने का प्रयास करता है.

4. स्नेह, सहयोगपूर्ण व्यवहार

कई बार व्यक्ति योग्यता भी रखता है उसमें दक्षता भी होती है. परन्तु वह अपने कठोर व्यवहार के कारण व्यवसायिक जगत में अच्छे संबध नहीं बना पाता है. व्यवहार में मधुरता न हों तो कार्य क्षेत्र में व्यक्ति को टिक कर काम करने में दिक्कतें होती है. चन्द्र या शुक्र कुण्डली में शुभ भावों में स्थित होकर शुभ प्रभाव में हों तो व्यक्ति में कम योग्यता होने पर भी उसे सरलता से सफलता प्राप्त हो जाती है. अपनी स्नेहपूर्ण व्यवहार के कारण वह सबका शीघ्र दिल जीत लेता है. बिगडती बातों को सहयोगपूर्ण व्यवहार से संभाल लेता है. चन्द्र पर किसी भी तरह का अशुभ प्रभाव होने पर व्यक्ति में सहयोग का भाव कम रहने की संभावनाएं बनती है.

5. यान्त्रिक योग्यता

आज के समय में सफलता प्राप्त करने के लिये व्यक्ति को कम्प्यूटर जैसे: यन्त्रों का ज्ञान होना भी जरूरी हो. किसी व्यक्ति में यन्त्रों को समझने की कितनी योग्यता है. यह गुण मंगल व शनि का संबन्ध बनने पर आता है. केतु को क्योकि मंगल के समान कहा गया है. इसलिये केतु का संबन्ध मंगल से होने पर भी व्यक्ति में यह योग्यता आने की संभावना रहती है. इस प्रकार जब जन्म कुण्डली में मंगल, शनि व केतु में से दो का भी संबन्ध आजिविका क्षेत्र से होने पर व्यक्ति में यन्त्रों को समझने की योग्यता होती है!

6. वाकशक्ति

बुध जन्म कुण्डली में सुस्थिर बैठा हों तो व्यक्ति को व्यापारिक क्षेत्र में सफलता मिलने की संभावनाएं बनती है. इसके साथ ही बुध का संबन्ध दूसरे भाव / भावेश से भी बन रहा हों तो व्यक्ति की वाकशक्ति उतम होती है. वाकशक्ति प्रबल होने पर व्यक्ति को इस से संबन्धित क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने में सरलता रहती है.

प्रेम विवाह

प्रेम विवाह करने वाले लडके व लडकियों को एक-दुसरे को समझने के अधिक अवसर प्राप्त होते है. इसके फलस्वरुप दोनों एक-दूसरे की रुचि, स्वभाव व पसन्द-नापसन्द को अधिक कुशलता से समझ पाते है. प्रेम विवाह करने वाले वर-वधू भावनाओ व स्नेह की प्रगाढ डोर से बंधे होते है. ऎसे में जीवन की कठिन परिस्थितियों में भी दोनों का साथ बना रहता है.पर कभी-कभी प्रेम विवाह करने वाले वर-वधू के विवाह के बाद की स्थिति इसके विपरीत होती है. इस स्थिति में दोनों का प्रेम विवाह करने का निर्णय शीघ्रता व बिना सोचे समझे हुए प्रतीत होता है. आईये देखे कि कुण्डली के कौन से योग प्रेम विवाह की संभावनाएं बनाते है.

राहु के योग से प्रेम विवाह की संभावनाएं

1) जब राहु लग्न में हों परन्तु सप्तम भाव पर गुरु की दृ्ष्टि हों तो व्यक्ति का प्रेम विवाह होने की संभावनाए बनती है. राहु का संबन्ध विवाह भाव से होने पर व्यक्ति पारिवारिक परम्परा से हटकर विवाह करने का सोचता है. राहु को स्वभाव से संस्कृ्ति व लीक से हटकर कार्य करने की प्रवृ्ति का माना जाता है.

2.) जब जन्म कुण्डली में मंगल का शनि अथवा राहु से संबन्ध या युति हो रही हों तब भी प्रेम विवाह कि संभावनाएं बनती है. कुण्डली के सभी ग्रहों में इन तीन ग्रहों को सबसे अधिक अशुभ व पापी ग्रह माना गया है. इन तीनों ग्रहों में से कोई भी ग्रह जब विवाह भाव, भावेश से संबन्ध बनाता है तो व्यक्ति के अपने परिवार की सहमति के विरुद्ध जाकर विवाह करने की संभावनाएं बनती है.

3) जिस व्यक्ति की कुण्डली में सप्तमेश व शुक्र पर शनि या राहु की दृ्ष्टि हो, उसके प्रेम विवाह करने की सम्भावनाएं बनती है.
4) जब पंचम भाव के स्वामी की उच्च राशि में राहु या केतु स्थित हों तब भी व्यक्ति के प्रेम विवाह के योग बनते है.

प्रेम विवाह के अन्य योग

1) जब किसी व्यक्ति कि कुण्ड्ली में मंगल अथवा चन्द्र पंचम भाव के स्वामी के साथ, पंचम भाव में ही स्थित हों तब अथवा सप्तम भाव के स्वामी के साथ सप्तम भाव में ही हों तब भी प्रेम विवाह के योग बनते है.

2) इसके अलावा जब शुक्र लग्न से पंचम अथवा नवम अथवा चन्द लग्न से पंचम भाव में स्थित होंने पर प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती है.

3) प्रेम विवाह के योगों में जब पंचम भाव में मंगल हों तथा पंचमेश व एकादशेश का राशि परिवतन अथवा दोनों कुण्डली के किसी भी एक भाव में एक साथ स्थित हों उस स्थिति में प्रेम विवाह होने के योग बनते है.

4) अगर किसी व्यक्ति की कुण्डली में पंचम व सप्तम भाव के स्वामी अथवा सप्तम व नवम भाव के स्वामी एक-दूसरे के साथ स्थित हों उस स्थिति में प्रेम विवाह कि संभावनाएं बनती है.

5) जब सप्तम भाव में शनि व केतु की स्थिति हों तो व्यक्ति का प्रेम विवाह हो सकता है.

6) कुण्डली में लग्न व पंचम भाव के स्वामी एक साथ स्थित हों या फिर लग्न व नवम भाव के स्वामी एक साथ बैठे हों, अथवा एक-दूसरे को देख रहे हों इस स्थिति में व्यक्ति के प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती है.

7) जब किसी व्यक्ति की कुण्डली में चन्द्र व सप्तम भाव के स्वामी एक -दूसरे से दृ्ष्टि संबन्ध बना रहे हों तब भी प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती है.

8) जब सप्तम भाव का स्वामी सप्तम भाव में ही स्थित हों तब विवाह का भाव बली होता है. तथा व्यक्ति प्रेम विवाह कर सकता है.

9) पंचम व सप्तम भाव के स्वामियों का आपस में युति, स्थिति अथवा दृ्ष्टि संबन्ध हो या दोनों में राशि परिवर्तन हो रहा हों तब भी प्रेम विवाह के योग बनते है.

10) जब सप्तमेश की दृ्ष्टि, युति, स्थिति शुक्र के साथ द्वादश भाव में हों तो, प्रेम विवाह होता है.

11) द्वादश भाव में लग्नेश, सप्तमेश कि युति हों व भाग्येश इन से दृ्ष्टि संबन्ध बना रहा हो, तो प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती है

12) जब जन्म कुण्डली में शनि किसी अशुभ भाव का स्वामी होकर वह मंगल, सप्तम भाव व सप्तमेश से संबन्ध बनाते है. तो प्रेम विवाह हो सकता है.

शनि की साढ़ेसाती

शनि की साढ़ेसाती
शनि साढेसाती में शनि तीन राशियों पर गोचर करते है।तीन राशियों पर शनि के गोचर को साढेसाती के तीन चरण के नाम से भी जाना जाता है।अलग- अलग राशियों के लिये शनि के ये तीन चरण अलग-अलग फल देते है।शनि कि साढेसाती के नाम से ही लोग भयभीत रहते है।
जिस व्यक्ति को यह मालूम हो जाये की उसकी शनि की साढेसाती चल रही है, वह सुनकर ही व्यक्ति मानसिक दबाव में आ जाता है. आने वाले समय में होने वाली घटनाओं को लेकर तरह-तरह के विचार उसके मन में आने लगते है. शनि की साढेसाती को लेकर जिस प्रकार के भ्रम देखे जाते है. वास्तव में साढेसाती का रुप वैसा बिल्कुल नहीं है. आईये शनि के चरणों को समझने का प्रयास करते है-

साढेसाती चरण-फल विभिन्न राशियों के लिये
साढेसाती का प्रथम चरण वृ्षभ, सिंह, धनु राशियों के लिये कष्टकारी होता है. द्वितीय चरण या मध्य चरण- मेष, कर्क, सिंह, वृ्श्चिक, मकर राशियों के लिये अनुकुल नहीं माना जाता है. व अन्तिम चरण- मिथुन, कर्क, तुला, वृ्श्चिक, मीन राशि के लिये कष्टकारी माना जाता है.
इसके अतिरिक्त तीनों चरणों के लिये शनि की साढेसाती निम्न रुप से प्रभाव डाल सकती है-

प्रथम चरण
इस चरणावधि में व्यक्ति की आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है. आय की तुलना में व्यय अधिक होते है. विचारें गये कार्य बिना बाधाओं के पूरे नहीं होते है. धन विषयों के कारण अनेक योजनाएं आरम्भ नहीं हो पाती है. अचानक से धन हानि होती है. व्यक्ति को निद्रा में कमी का रोग हो सकता है. स्वास्थय में कमी के योग भी बनते है. विदेश भ्रमण के कार्यक्रम बनकर -बिगडते रह्ते है. यह अवधि व्यक्ति की दादी के लिये विशेष कष्टकारी सिद्ध होती है. मानसिक चिन्ताओं में वृ्द्धि होना सामान्य बात हो जाती है. दांम्पय जीवन में बहुत से कठिनाई आती है. मेहनत के अनुसार लाभ नहीं मिल पाते है.

द्वितीय चरण
व्यक्ति को शनि साढेसाती की इस अवधि में पारिवारिक तथा व्यवसायिक जीवन में अनेक उतार-चढाव आते है. उसे संबन्धियों से भी कष्ट होते है. व्यक्ति को अपने संबन्धियों से कष्ट प्राप्त होते है. उसे लम्बी यात्राओं पर जाना पड सकता है. घर -परिवार से दूर रहना पड सकता है. व्यक्ति के रोगों में वृ्द्धि हो सकती है. संपति से संम्बन्धित मामले परेशान कर सकते है. मित्रों का सहयोग समय पर नहीं मिल पाता है. कार्यो के बार-बार बाधित होने के कारण व्यक्ति के मन में निराशा के भाव आते है. कार्यो को पूर्ण करने के लिये सामान्य से अधिक प्रयास करने पडते है. आर्थिक परेशानियां भी बनी रह सकती है.

तीसरा चरण
शनि साढेसाती के तीसरे चरण में व्यक्ति के भौतिक सुखों में कमी होती है. उसके अधिकारों में कमी होती है. आय की तुलना में व्यय अधिक होते है. स्वास्थय संबन्धी परेशानियां आती है. परिवार में शुभ कार्यो बाधित होकर पूरे होते है. वाद-विवाद के योग बनते है. संतान से विचारों में मतभेद उत्पन्न होते है. संक्षेप में यह अवधि व्यक्ति के लिये कल्याण कारी नहीं रह्ती है. जिस व्यक्ति की जन्म राशि पर शनि की साढेसाती का तीसरा चरण चल रहा हों, उस व्यक्ति को वाद-विवादों से बचके रहना चाहिए.

पंचक विचार

धनिष्ठा का उतरार्ध, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उतरा भाद्रपद व रेवती इन पांच नक्षत्रों ( सैद्धान्तिक रुप से साढेचार) को पंचक कहते है. पंचक का अर्थ ही पांच का समूह है. सरल शब्दों में कहें तो कुम्भ व मीन में जब चन्द्रमा रहते है. तब तक की अवधि को पंचक कहते है. इन्ही को कहीं-कहीं पर धनिष्ठा पंचक भी कहा जाता है.एक अन्य मत से पंचकों में धनिष्ठा नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति को अंग दोष होने का विचार किया जाता है. धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम आधे भाग को भी कुछ स्थानों पर शुभ नहीं समझा जाता है.

पांच वर्जित कार्य
पंचक में पांच कार्य करने सर्वथा वर्जित माने जाते है. इसमें दक्षिण दिशा की यात्रा, ईंधन एकत्र करना, शव का अन्तिम संस्कार, घर की छत डालना, चारपाई बनवाना शुभ नहीं माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन नक्षत्र समय में इनमें से कोई भी कार्य करने पर, उक्त कार्य को पांच बार दोहराना पड सकता है.

पंचक शास्त्रीय विचार
ज्योतिष के प्रसिद्ध शास्त्र “राजमार्त्तण्ड” के अनुसार ईंधन एकत्र करने, चारपाई बनाने, छत बनवाने, दक्षिण दिशा की यात्रा करने में घनिष्टा नक्षत्र में इनमें से कोई काम करने पर अग्नि का भय रहता है. शतभिषा नक्षत्र में कलह, पूर्वा भाद्रपद में रोग, उतरा भाद्रपद में जुर्माना, रेवती में धन हानि होती है. एक अन्य प्रसिद्ध ग्रन्थ के अनुसार “मुहूर्तगणपति” के अनुसार उक्त कामों के अतिरिक्त स्तम्भ बनवाना या स्तम्भ खडा करना भी इस अवधि में वर्जित होता है.

इसके अतिरिक्त “ज्योतिसागर” के अनुसार उक्त पांचों, छहों कार्य श्रवण नक्षत्र की अवधि में भी वर्जित किये गये है. लेकिन ज्योतिसागर के इस मत से अधिक विद्वान एकमत नहीं रखते है. “निर्णयसिन्धु’ में श्रवण नक्षत्र को ईंधन संग्रह करने की सहमति दी गई है.

ऋषि गर्ग ने कहा है कि शुभ या अशुभ जो भी कार्य पंचकों में किया जाता है. वह पांच गुणा करना पडता है. इसलिये अगर किसी व्यक्ति की मृ्त्यु पंचक अवधि में हो जाती है. तो शव के साथ चार या पांच अन्य पुतले आटे या कुशा से बनाकर अर्थी पर रख दिये जाते है. इन पांचों का भी शव की भांति पूर्ण विधि-विधान से अन्तिम संस्कार किया जाता है.

पंचक समय में अन्य वर्जित कार्य
पंचक नक्षत्र समयावधि में लकडी तोडना, तिनके तोडना, दक्षिण दिशा की यात्रा, प्रेतादि- शान्ति कार्य, स्तम्भारोपन, तृ्ण, ताम्बा, पीतल, लकडी आदि का संचय , दुकान, पद ग्रहण व पद का त्याग करना शुभ नहीं होता है. इसके अलावा मकान की छत, चारपाई, चटाई आदि बुनना त्याज्य होता है. विशेष परिस्थितियों में ये कार्य करने आवश्यक हो तो किसी योग्य विद्वान पंडित से पंचक शान्ति करवाने का विधान है.

पंचक निषेध काल
मुहूर्त ग्रन्थों के अनुसार विवाह, मुण्डन, गृहारम्भ, गृ्ह प्रवेश, वधू- प्रवेश, उपनयन आदि में इस समय का विचार नहीं किया जाता है. इसके अलावा रक्षा -बन्धन, भैय्या दूज आदि पर्वों में भी पंचक नक्षत्रों का निषेध के बारे में नहीं सोचा जाता है.