राखी का त्यौहार है भद्रा और ग्रहण से ग्रस्त, जानें कब बांधे राखी

राखी का त्यौहार है भद्रा और ग्रहण से ग्रस्त, जानें कब बांधे राखी

वर्ष 2017 में रक्षा बंधन 7 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा। भारत में यह त्यौहार भाई-बहन के अटूट प्रेम को समर्पित है और इस त्यौहार का प्रचलन सदियों पुराना बताया गया है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बाँधती हैं और भाई अपनी बहनों की रक्षा का संकल्प लेते हुए अपना स्नेहाभाव दर्शाते हैं।

कब तक रहेगी भद्रा

पिछले साल रक्षाबंधन के पर्व को भद्रा की नजर नहीं लगी थी क्योंकि भद्रा सूर्योदय से पहले समाप्त हो गई थी लेकिन इस बार रक्षा बंधन के इस पावन पर्व को भद्गा की नजर लगी हुई है।  जिस कारण 11 बजकर 05 मिनट के बाद ही कलाई बांधने की रस्म शुरु होगी। भद्रा को चूंकि शुभ कार्य के लिये अशुभ माना जाता है इसलिये भद्रा के समाप्त होने के पश्चात ही राखी बांधने की परंपरा को शुरु करना शुभ फलदायी रहेगा।

क्या है भद्रा

शास्त्रों की मान्यता के अनुसार भद्रा का संबंध सूर्य और शनि से होता है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में, भद्रा भगवान सूर्य देव की पुत्री और शनिदेव की बहन है। शनि की तरह ही इसका स्वभाव भी क्रूर बताया गया है। इस उग्र स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ही भगवान ब्रह्मा ने उसे कालगणना या पंचाग के एक प्रमुख अंग करण में स्थान दिया। जहां उसका नाम विष्टी करण रखा गया। भद्रा की स्थिति में कुछ शुभ कार्यों, यात्रा और उत्पादन आदि कार्यों को निषेध माना गया। इसलिये इस बार भद्रा का साया समाप्त होने पर ही रक्षाबंधन अनुष्ठान किया जा सकेगा।

इसलिये भी खास है इस बार राखी

रक्षाबंधन का यह पवित्र त्यौहार इस बार सोमवार को होगा जोकि इसके खास होने कि एक वजह है। आप सोचते होगे कि सोमवार में ऐसा क्या खास है। दरअसल यह साधारण सोमवार नहीं बल्कि सावन माह का पावन और अंतिम सोमवार है। सावन सोमवार होने के कारण यह दिन बहुत सौभाग्यशाली है और भोलेनाथ की कृपा भी इस दिन बनी रहती है। हालांकि रक्षाबंधन के संबंध में यह मान्यता जुड़ी हुई है कि देवताओं के गुरु बृहस्पति ने ही देवराज इंद्र को असुरों पर विजय पाने के लिये रक्षा बंधन का सुझाव दिया था जिसके बाद इस त्यौहार को मनाने का चलन शुरु हुआ।

राखी पर लगेगा ग्रहण

7 अगस्त 2017 को मनाये जा रहे रक्षाबंधन पर चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। हालांकि ग्रहण रात्रि 10 बजकर 52 मिनट पर शुरु होगा लेकिन ग्रहण का सूतक दोपहर बाद 1 बजकर 52 मिनट से ही आरंभ हो जायेगा जो रात्रि के 12 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। इसलिये  ज्योतिषाचार्यों की सलाह है कि इस वर्ष रक्षाबंधन का अनुष्ठान भद्रा समाप्ति के पश्चात यानि 11 बजकर 05 मिनट से चंद्रग्रहण के सूतक लगने से पहले यानि 1 बजकर 52 मिनट तक कर लेना चाहिये।

शुभ महूर्त

रक्षा बंधन तिथि – 07 अगस्त 2017,सोमवार

अनुष्टान समय – 11:05 से 21:12 (07 अगस्त 2017)

अपराह्न मुहूर्त – 13:46 से 16:24 (07 अगस्त 2017)

प्रदोष समय रक्षा बंधन मुहूर्त – 19:03 बजे से 21:12 (07 अगस्त 2017)

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 22:28 बजे (06 अगस्त 2017)

पूर्णिमा तिथि समाप्त – 23:40 बजे (07 अगस्त 2017)

भद्रा समाप्ति समय – 11:05 बजे  (07 अगस्त 2017)

चंद्र ग्रहण सूतक – 13:52 बजे (07 अगस्त 2017)

Acharya Astrologer  की तरफ से सभी  को रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएं और हम आशा करते है कि आप के बीच यूँही प्रेम, स्नेह बना रहें।

मांगलिक दोष

मांगलिक दोष

मंगल उष्ण प्रकृति का ग्रह है.इसे पाप ग्रह माना जाता है. विवाह और वैवाहिक जीवन में मंगल का अशुभ प्रभाव सबसे अधिक दिखाई देता है.मंगल दोष जिसे मंगली के नाम से जाना जाता है इसके कारण कई स्त्री और पुरूष आजीवन अविवाहित ही रह जाते हैं.इस दोष को गहराई से समझना आवश्यक है ताकि इसका भय दूर हो सके.

मंगली दोष का ज्योतिषीय आधार
वैदिक ज्योतिष में मंगल को लग्न, द्वितीय, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में दोष पूर्ण माना जाता है.इन भावो में उपस्थित मंगल वैवाहिक जीवन के लिए अनिष्टकारक कहा गया है.जन्म कुण्डली में इन पांचों भावों में मंगल के साथ जितने क्रूर ग्रह बैठे हों मंगल उतना ही दोषपूर्ण होता है जैसे दो क्रूर होने पर दोगुना, चार हों तो चार चार गुणा.मंगल का पाप प्रभाव अलग अलग तरीके से पांचों भाव में दृष्टिगत होता है

लग्न भाव में मंगल
लग्न भाव से व्यक्ति का शरीर, स्वास्थ्य, व्यक्तित्व का विचार किया जाता है.लग्न भाव में मंगल होने से व्यक्ति उग्र एवं क्रोधी होता है.यह मंगल हठी और आक्रमक भी बनाता है.इस भाव में उपस्थित मंगल की चतुर्थ दृष्टि सुख सुख स्थान पर होने से गृहस्थ सुख में कमी आती है.सप्तम दृष्टि जीवन साथी के स्थान पर होने से पति पत्नी में विरोधाभास एवं दूरी बनी रहती है.अष्टम भाव पर मंगल की पूर्ण दृष्टि जीवनसाथी के लिए संकट कारक होता है.

द्वितीय भाव में मंगल
भवदीपिका नामक ग्रंथ में द्वितीय भावस्थ मंगल को भी मंगली दोष से पीड़ित बताया गया है.यह भाव कुटुम्ब और धन का स्थान होता है.यह मंगल परिवार और सगे सम्बन्धियों से विरोध पैदा करता है.परिवार में तनाव के कारण पति पत्नी में दूरियां लाता है.इस भाव का मंगल पंचम भाव, अष्टम भाव एवं नवम भाव को देखता है.मंगल की इन भावों में दृष्टि से संतान पक्ष पर विपरीत प्रभाव होता है.भाग्य का फल मंदा होता है.

चतुर्थ भाव में मंगल
चतुर्थ स्थान में बैठा मंगल सप्तम, दशम एवं एकादश भाव को देखता है.यह मंगल स्थायी सम्पत्ति देता है परंतु गृहस्थ जीवन को कष्टमय बना देता है.मंगल की दृष्टि जीवनसाथी के गृह में होने से वैचारिक मतभेद बना रहता है.मतभेद एवं आपसी प्रेम का अभाव होने के कारण जीवनसाथी के सुख में कमी लाता है.मंगली दोष के कारण पति पत्नी के बीच दूरियां बढ़ जाती है और दोष निवारण नहीं होने पर अलगाव भी हो सकता है.यह मंगल जीवनसाथी को संकट में नहीं डालता है.

सप्तम भाव में मंगल
सप्तम भाव जीवनसाथी का घर होता है.इस भाव में बैठा मंगल वैवाहिक जीवन के लिए सर्वाधिक दोषपूर्ण माना जाता है.इस भाव में मंगली दोष होने से जीवनसाथी के स्वास्थ्य में उतार चढ़ाव बना रहता है.जीवनसाथी उग्र एवं क्रोधी स्वभाव का होता है.यह मंगल लग्न स्थान, धन स्थान एवं कर्म स्थान पर पूर्ण दृष्टि डालता है.मंगल की दृष्टि के कारण आर्थिक संकट, व्यवसाय एवं रोजगार में हानि एवं दुर्घटना की संभावना बनती है.यह मंगल चारित्रिक दोष उत्पन्न करता है एवं विवाहेत्तर सम्बन्ध भी बनाता है.संतान के संदर्भ में भी यह कष्टकारी होता है.मंगल के अशुभ प्रभाव के कारण पति पत्नी में दूरियां बढ़ती है जिसके कारण रिश्ते बिखरने लगते हैं.जन्मांग में अगर मंगल इस भाव में मंगली दोष से पीड़ित है तो इसका उपचार कर लेना चाहिए.

अष्टम भाव में मंगल
अष्टम स्थान दुख, कष्ट, संकट एवं आयु का घर होता है.इस भाव में मंगल वैवाहिक जीवन के सुख को निगल लेता है.अष्टमस्थ मंगल मानसिक पीड़ा एवं कष्ट प्रदान करने वाला होता है.जीवनसाथी के सुख में बाधक होता है.धन भाव में इसकी दृष्टि होने से धन की हानि और आर्थिक कष्ट होता है.रोग के कारण दाम्पत्य सुख का अभाव होता है.ज्योतिष विधान के अनुसार इस भाव में बैठा अमंलकारी मंगल शुभ ग्रहों को भी शुभत्व देने से रोकता है.इस भाव में मंगल अगर वृष, कन्या अथवा मकर राशि का होता है तो इसकी अशुभता में कुछ कमी आती है.मकर राशि का मंगल होने से यह संतान सम्बन्धी कष्ट देता है।

द्वादश भाव में मंगल
कुण्डली का द्वादश भाव शैय्या सुख, भोग, निद्रा, यात्रा और व्यय का स्थान होता है.इस भाव में मंगल की उपस्थिति से मंगली दोष लगता है.इस दोष के कारण पति पत्नी के सम्बन्ध में प्रेम व सामंजस्य का अभाव होता है.धन की कमी के कारण पारिवारिक जीवन में परेशानियां आती हैं.व्यक्ति में काम की भावना प्रबल रहती है.अगर ग्रहों का शुभ प्रभाव नहीं हो तो व्यक्ति में चारित्रिक दोष भी हो सकता है..भावावेश में आकर जीवनसाथी को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं.इनमें गुप्त रोग व रक्त सम्बन्धी दोष की भी संभावना रहती है.

आपके किचन में छिपा है, समस्याओं का समाधान

आपके किचन में छिपा है, समस्याओं का समाधान

यदि व्यक्ति का शरीर ही रोगों से घिरा हुआ होगा तो एक बिमार आत्मा, कभी भी आध्यात्मिक और मानसिक शांति को प्राप्त नहीं कर सकती है। इसीलिए वेदों में आयुर्वेद का जिक्र किया गया है ताकि व्यक्ति स्वस्थ रहे और आध्यात्मिक और मानसिक शांति को प्राप्त कर सके।

आज हर घर में एक या एक से ज्यादा व्यक्ति बिमार है। बिमारियों ने हमारे जीवन को नर्क बना दिया है। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि घर की रसोई या किचन में कुछ अचूक आयुर्वेदिक दवायें, मौजूद होती हैं किन्तु अपने अल्प ज्ञान की वजह से हम उनका प्रयोग नहीं कर पाते हैं।

तो आइये जानते हैं उन्हीं आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में, जिनके नित्य प्रयोग से बिमारियों से बचा जा सकता

अदरक
अदरक एक दर्द निवारक दवा के रूप में भी काम करती है। यदि सिरदर्द हो रहा हो तो सूखी अदरक को पानी के साथ पीसकर उसका पेस्ट बना लें और इसे अपने माथे पर लगाएं। इसे लगाने पर हल्की जलन जरूर होगी लेकीन यह सिरदर्द दूर करने में मदद मिलेगी। साथ ही साथ अदरक को खाने में प्रयोग करने से मौसमी बिमारियों से भी व्यक्ति बच जाता है।

अजवायन
अजवायन का प्रयोग पेट दर्द को दूर करने में किया जाता है। पेट दर्द होने पर आधा चम्मच अजवायन को पानी के साथ फांखने से पेट दर्द में राहत मिलती है। नियमित रुप से इस नुस्खों को अपनाने से आप पेट साफ रहेगा।

हल्दी
हल्दी में एंटीसेप्टिक, एंटीबायोटिक और दर्द निवारक तत्व पाए गए हैं। ये तत्व चोट के दर्द और सूजन को कम करने में सहायक होते हैं। घाव पर हल्दी का लेप लगाने से वह ठीक हो जाता है। चोट लगने पर दूध में हल्दी डालकर पीने से दर्द में राहत मिलती है। हल्दी अगर अच्छी क्वालिटी की है तो दूध के साथ इसको प्रयोग करने से शारीरिक कमजोरी भी नहीं होती है।

तुलसी के पत्ते
तुलसी में बहुत सारे औषधीय तत्व पाए जाते हैं। तुलसी की पत्तियों को पीसकर चंदन पाउडर में मिलाकर पेस्ट बना लें। दर्द होने पर प्रभावित जगह पर उस लेप को लगाने से दर्द में राहत मिलेगी। एक चम्मच तुलसी के पत्तों का रस शहद में मिलाकर हल्का गुनगुना करके खाने से गले की खराश और दर्द दूर हो जाता है।

मेथी
एक चम्मच मेथी दाना में चुटकी भर पिसी हुई हींग मिलाकर पानी के साथ फांखने से पेट दर्द में आराम मिलता है। मेथी डायबिटीज में भी लाभदायक होती है। डायबिटीज की यह एक अचूक दवा भी है। मेथी के लड्डू खाने से जोडों के दर्द में लाभ मिलता है।

हींग
हींग दर्द निवारक और पित्तवर्द्धक होती है। छाती और पेट दर्द में हींग का सेवन लाभकारी होता है। छोटे बच्चों के पेट में दर्द होने पर हींग को पानी में घोलकर पकाने और उसे बच्चो की नाभि के चारो ओर उसका लेप करने से दर्द में राहत मिलती है।

करेला
करेले का रस पीने से पित्त में लाभ होता है। जोडों के दर्द में करेले का रस लगाने से काफी राहत मिलती है।

नींबू में छिपा है सिरदर्द का प्राकृतिक उपचार

नींबू  में प्रकृति ने ऐसा प्रभाव रखा है कि यदि बिना दूध की चाय में नींबू की कुछ बूँदें मिलाकर उसे पिया जाए तो सिर दर्द में तुरंत आराम आ जाता है। केवल यही नहीं बल्कि थकन के कारण भी होने वाले सिर दर्द के लिए नींबू  के छिल्कों का पेस्ट बनाकर माथे पर मिलने से सिर दर्द में जल्दी आराम आ जाता है। नींबू का प्रयोग वजन कम करने में भी किया जा सकता है।

12 अचूक उपाय जो बदल दे आपका भाग्य 

12 अचूक उपाय  जो बदल दे आपका भाग्य 

तेल शनि से सम्बंधित पदार्थ है | तेल का हमारे जीवन मे बहुत बड़ा योगदान है | तेल के कई फायदे भी है और नुक्सान भी |
चमेली का तेल :-
चमेली के तेल को हर मंगलवार या शनिवार को सिन्दूर और चमेली का तेल अर्पित करना चाहिए। नियमित रूप से हनुमान को धुप-अगरबत्ती लगाना चाहिए।  हार-फुल अर्पित करना चाहिए ।  हनुमान जी को चमेली के तेल का दीपक नहीं लगाया जाता बल्कि तेल उनके शरीर पर लगाया जाता है।  ऐसा करने पर सभी तरह की मनोकामना पूर्ण हो जाती है ।
शारीरिक कष्ट दूर करने के लिए :-
शनिवार को सवा किलो आलू और बेंगन की सब्जी सरसों के तेल मे बनाए । उतनी ही पुरियां सरसों के तेल मे बनाकर अंधे , लंगडे व गरीब लोगो को यह भोजन खिलाए । ऐसा कम से कम 3 शनिवार करेंगे तो शरिर्रिक कष्ठ दूर हो जाएंगा ।
दुर्भाग्य से पिछा छुड़ाने का उपाय :-
सरसों के तेल मे सिके गेंहू के आटे व पुराने गुढ़ से तैयार सात पूए, सात मदार (आक) के फुल , सिन्दूर , आटें से तैयार सरसों के तेल का दीपक , पत्तल या अरंडी के पत्ते पर रखकर शनिवार की रात मे किसी चौराहे पर रखकर कहे – ‘हे मेरे दुर्भाग्य , तुझे यही छोडे जा रहा हु , क्रपा करके मेरा पीछा ना करना ।  सामान रखकर पीछे मुड़कर न देखे ।
धन – समृद्धि हेतु :-
कच्ची घानी के तेल के दीपक मे लौंग डालकर हनुमानजी की आरती करे  । अनिष्ट दूर होगा और धन भी प्राप्त होगा ।
सुख – शांति हेतु :-
खुशहाल पारिवारिक जीवन के लिए किसी भी आश्रम मे कुछ आटा और सरसों का तेल दान करे ।
नया घर चाहिए तो करे ये उपाय :-
शमी के पौधे के पास लोहे के दीये मे तिल के तेल मे सरसों का तेल मिलाकर काले धागे की बत्ती जलाए । दीये का मुख 4 दिशाओ और 4 कोणों सहित आठों दिशाओं मे करे ।  फिर दीये को जल मे प्रवाहित कर दें।  यह कार्य 27 शनिवार तक करेंगे तो निश्चित ही आप नए घर मे प्रवेश कर जाएंगे ।
शराब छुडवाने का उपाय :-
एक शराब की बोतल किसी शनिवार को शराब पीने वाले के सो जाने के बाद, उसके ऊपर से 21 बार वार ले।  फिर उस बोतल के साथ किसी अन्य बोतल में 800 ग्राम सरसों का तेल लेकर आपस मे मिला ले और किसी बहते हुए पानी के किनारे उल्टा गाड दें, जिससे बोतलों के ऊपर से जल बहता रहे ।  यह उपाए किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर ही करे।
मंदी से छुटकारा पाने के लिए :-
अगर आपके व्यापार या नौकरी में मंदी का दौर चल रहा है तो आप किसी साफ़ शीशी मे सरसों का तेल भरकर उस शीशी को किसी तालाब या बहती नदी के जल में डाल दे ।  शिघ्र ही मंदी का असर जाता रहेगा । व्यापार या नौकरी मे उन्नति होती रहेगी ।
रोगों के कारण किसी के मरने की आशंका हो तो :-
गुड़ को तेल मे मिश्रित करके जिस व्यक्ति के मरने की आशंका हो , उसके सिर पर से 7 बार उतारकर मंगलवार या शानिवार को भैंस को खिला दे  । ऐसा कम से कम 5 मंगलवार या शनिवार को करे । यह उपाए भी किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर ही करे।
मनोकामना तुरंत पूर्ण होती :-
पीपल के नीचे सरसों तेल का दीपक लगातार 41 दिन तक प्रज्वलित करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।
सरसों का तेल :-
एक लोहे की कटोरी मे सरसों का तेल लेकर उसमे अपनी छाया देखकर उसे शनिवार के दिन शाम को शनिदेव के मंदिर रख आए । इसके अलावा आप अलग से शनिदेव का तेल चड़ा भी सकते है । इस उपाय से आपके ऊपर शनिदेव की क्रपा बनी रहेगी

तिल का तेल :-
तिल के तेल का दीपक 41 दिन लगातार पीपल के नीचे प्रज्वलित करने से असाध्य रोगों मे अभूतपूर्व लाभ मिलता है और रोगी स्वस्थ हो जाता है। भिन्न – भिन्न साधनाओ व सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए भी पीपल के नीचे दीपक प्रज्वलित किए जाने का विधान है ।

चन्द्रग्रहण (7 अगस्त) : क्या करें और क्या न करें?

चन्द्रग्रहण:  क्या करें और क्या न करें?

7 अगस्त दिन सोमवार को खण्डग्रास चन्द्रग्रहण पड़ेगा। यह ग्रहण मकर राशि और श्रवण नक्षत्र में पड़ रहा है, जो भारत में दृश्य होगा। भारत के अतिरिक्त यह ग्रहण दक्षिण-पूर्व एशिया, यूरोप के अधिकांश भाग, आस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी भाग, प्रशान्त महासागर, अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर और अंटकार्टिका में दृश्य होगा

भारतीय मानक समय अनुसार ग्रहण का स्पर्श, मध्य और मोक्ष इस प्रकार है-

  • ग्रहण का स्पर्श-रात्रि 10 बजकर 53 मिनट पर।
  • ग्रहण का मध्य-रात्रि 11 बजकर 51मिनट पर।
  • ग्रहण का मोक्ष-रात्रि 12 बजकर 48 मिनट पर।
  • ग्रहण का सूतक-7 अगस्त को अपरान्ह 1 बजकर 29 मि0 से प्रारम्भ हो जायेगा।

 ग्रहण काल में क्या न करें

चन्द्रग्रहण के काल में कैंची का प्रयोग न करें, फूलों को न तोड़े, बालों व कपड़ों को साफ न करें, दातुन या ब्रश न करें, गाय, भैंस व बकरी का दोहन न करें, भोजन न करें, कठोर शब्दों का प्रयोग न करें,स्त्री प्रसंग न करें, यात्रा न करें तथा शयन करना भी वर्जित माना गया है ।

ग्रहण का वार फल:

यह ग्रहण सोमवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए राज्य के मन्त्रियों, सचिवों को भारी कष्ट सहना पड़ेगा। सभी प्रकार की सफेद वस्तुयें महॅगी हो सकती है। राजा को प्रशासनिक अधिकरायिों की वजह से मानसिक तनाव रह सकता है।

गर्भवती महिलायें:

गर्भवती महिलायें ग्रहण काल में एक नारियल अपने पास रखें जिससे कि वायुमण्डल से निकलने वाली नकारात्मक उर्जा का प्रभाव उन पर नहीं पड़ेगा। ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलायें चाकू, कैंची, सुई का प्रयोग न करें और न ही कोई अन्य कार्य करें सिर्फ भगवान की आराधना करें।

 विभिन्न राशियों पर ग्रहण का फल:

  • मेष- इस राशि वाले जातकों को शरीरिक व आर्थिक हानि होने की आशंका है। जोखिम भरे कार्यो से बचने का प्रयास करें। वाहन की गति में नियन्त्रण बनायें रखें।
  • वृष- इस राशि वाले मानसिक रूप से चिन्तित रहेंगे जिसके फॅलस्वरूप इनका किसी कार्य में मन नहीं लगेगा। जीवन साथी को शरीरिक पीड़ा हो सकती है। अपने उपर नियन्त्रण बनायें रखें।
  • मिथुन- व्यय की अधिकता के कारण परिवार में तनाव का माहौल उत्पन्न हो सकता है। सम्बन्धों के प्रति मन में उदासीनता आ सकती है। रूके हुये धन की प्राप्ति में अड़चने आयेंगी।
  • कर्क- प्रतीक्षित कार्य के पूर्ण होने से मन प्रसन्नचित्त रहेगा। किसी कारण वश धन की प्राप्ति होने के योग बन रहें है। समय का प्रबन्धन अवश्य करें।
  • सिंह- परिवार में हर्ष का माहौल बना रहेगा। कोई शुभ समाचार मिलने की सम्भावना है। धन की स्थिति भी सुदृढ़ रहेगी। व्यर्थ वार्तालाप में अपनी उर्जा नष्ट न करें।
  • कन्या- कार्यो के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है। अकारण अपयश मिल सकता है, अतः सावधानी बरतें। व्यर्थ की बातों को सोंचकर मन व्यथित हो सकता है।
  • तुला- पारिवारिक क्लेश के कारण मन व्यथित हो सकता है। आय की अपेक्षा व्यय की अधिकता बनी रहेगी। जीवन साथी के स्वास्थ्य को लेकर आप परेशान रहेंगे।
  • वृश्चिक- परिवार में किसी के साथ नोंक-झोंक हो सकती है, अतः वाणी पर नियन्त्रण बनायें रखें। ससुराल पक्ष का कुछ सहयोग मिल सकता हे।
  • धनु- जीवन साथी के साथ मधुरतम पल व्यतीत होंगे। आय में वृद्धि होने के आसार नजर आ रहें। परिवार का सुख व सहयोग बना रहेगा। मन शान्त रहेगा।
  • मकर- सन्तान की ओर से मन चिन्तित रहेगा। कोई वस्तु चोरी होने की आशंका है। सम्बन्धों में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
  • कुम्भ- रोजी व रोजगार में अत्यधिक निवेश न करें अन्यथा नुकसान हो सकता है। पिता को शरीरिक कष्ट हो सकता है। ऑफिस के कार्यो के प्रति मन उदासीन रहेगा।
  • मीन- आर्थिक कार्य फलीभूत होंगे जिसके कारण मन में सकारात्मक विचार उत्पन्न होंगे। मित्रों का सुख व सहयोग मिलेगा। सन्तान की ओर से चिन्ता दूर होगी।

शुक्र राशि परिवर्तन – किसको मिलेगा लाभ किसको होगी हानि

शुक्र राशि परिवर्तन – Venus Transit 2017 By Acharya Astrologer

किसी भी जातक की कुंडली में लाभ, सुख-समृद्धि आदि के कारक शुक्र माने जाते हैं इसलिये शुक्र का गोचर भी ज्योतिषीय दृष्टिकोण से खास अहमियत रखता है। 26 जुलाई को शुक्र स्वराशि से वृषभ से परिवर्तित होकर मिथुन राशि में प्रवेश करेंगें। ऐसे में सभी 12 राशियों को शुक्र किस तरह प्रभावित करेंगें आइये जानते हैं।

मेष – मेष राशि से शुक्र का परिवर्तन तीसरे घर में हो रहा है जो कि शुक्र का मित्र घर है। पराक्रम क्षेत्र में शुक्र के गोचर से आपमें नई ऊर्जा का संचार होगा। पिछले कुछ समय से हो सकता है आप स्वयं को आलस से घिरा हुआ महसूस कर रहे हों शुक्र के परिवर्तन से आप पर छाया आलस्य दूर होने के प्रबल आसार हैं। पारिवार से कुछ समय के लिये दूर जाने के योग भी बन सकते हैं। पिछले समय में की गई मेहनत शुक्र के परिवर्तन से रंग ला सकती है। स्वास्थ्य के प्रति थोड़ा सचेत रहने की आवश्यकता भी आपको है। कुल मिलाकर शुक्र का परिवर्तन आपके लिये शुभ कहा जा सकता है।

वृषभ – राशि स्वामी शुक्र का परिवर्तन आपकी ही राशि से हो रहा है। दूसरे घर में शुक्र के आने से आपके लिये काफी शुभकारी योग बन रहे हैं। विशेषकर धनलाभ के प्रबल योग आपके लिये हैं। लंबे समय से यदि आपका धन कहीं अटका हुआ है तो प्रयासरत रहें उसके मिलने के आसार हैं। शुक्र का यह परिवर्तन आपके लिये शत्रु बाधाओं को भी कम करने वाला रह सकता है। हालांकि किसी परिजन के स्वास्थ्य को लेकर आपकी चिंताए हो सकती हैं और सकता है आपको स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर पैसा भी खर्च करना पड़े। छोटी यात्राओं का योग भी आपके लिये बन सकते हैं हो सकता है यह यात्राएं कामकाज के सिलसिले में हों। कार्यक्षेत्र में आपको नई जिम्मेदारियां भी मिल सकती हैं।

मिथुन – शुक्र का स्वराशि वृषभ से परिवर्तित होकर आपकी ही राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इस समय आप अपनी सेहत को काफी दुरुस्त व तंदूरूस्त महसूस कर सकते हैं। जो लोग लंबे समय से परिजनों से दूर रह रहे हैं उन्हें अपने परिवार के साथ अच्छा समय व्यतीत करने के अवसर प्राप्त हो सकते हैं। नये प्रेम प्रसंगों से भी जुड़ सकते हैं। रोमांटिक जीवन के लिहाज से तो आपके लिये यह समय अच्छे संकेत कर रहा है, यदि साथी के साथ पिछले कुछ दिनों से मनमुटाव चल रहा है तो इस समय आप दोनों एक दूसरे के काफी महसूस कर सकते हैं। संतान से भी खुशी मिलने के योग हैं। अपने जीवन में ऐश्वर्य का आनंद उठाने के लिये भी कुछ वस्तुओं पर पैसा खर्च कर सकते हैं। घर की साज-सज्जा के लिये खरीददारी करने का विचार भी इस समय आप बना सकते हैं। कार्यक्षेत्र में भी यह समय आपके अनुकूल कहा जा सकता है।

कर्क – कर्क राशि से शुक्र का परिवर्तन 12वें घर मे हो रहा है। संभव है पिछले कुछ समय से आप कम मेहनत में ज्यादा लाभ उठा रहे हों लेकिन शुक्र के परिवर्तन से आपको इसके लिये थोड़े अतिरिक्त प्रयास और करने पड़ सकते हैं। सुख के स्वामी शुक्र के 12वें घर में विचरण करने से आपकी दैनिक भागदौड़ बढ़ सकती है। जिससे आपको शारीरिक तौर पर थकावट महसूस हो सकती है। इसलिये विशेष रूप से अपनी सेहत पर ध्यान दें क्योंकि आपकी राशि में नीच के मंगल भी गोचर कर रहे हैं। घर मकान वाहन आदि में निवेश कर सकते हैं लेकिन थोड़ी सावधानी रखें।

सिंह – सिंह राशि वालों के लिये शुक्र लाभ घर में गोचररत होंगे यह आपके लिये लाभ के प्रबल शुभ योग बना रहा है। आपके कर्मेश शुक्र के लाभ स्थान में विचरण करने से मेहनत का फल मिलने का आभास होगा। वहीं आपके पराक्रमेश भी शुक्र हैं इस कारण लाभ घर में इनका गोचर वर्तमान में किये गये प्रयासों का भी तुरंत लाभ देने में प्रभावकारी हो सकता है। मित्र के घर में स्थित होने से किसी प्रकार की साझेदारी में व्यवसाय करने का यह शुभ समय है। आपकी राशि में शुक्र लाभप्रद बने रहेंगें।

कन्या – कन्या राशि के जातकों के लिये शुक्र कर्मभाव में प्रवेश करेंगें। आपके भाग्य स्थान से शुक्र का गोचर आपके कर्मभाव में हो रहा है। इससे यदि पिछले कुछ समय आप स्वयं को किसी कार्य में फंसा हुआ महसूस कर रहे थे तो शुक्र के प्रभाव से किसी मित्र या सहकर्मी के सहयोग से आप उससे निकल सकते हैं। भाग्य का स्वामी मित्र घर में विचरण करने से अपने उच्च पदस्थ अधिकारियों की नज़र में आप प्रशंसा के पात्र बन सकते हैं साथ ही आपकी मेहनत अपेक्षित फल दिलाने में भी यह महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। संचित धन में से कुछ अनावश्यक वस्तुओं पर भी खर्च बढ़ने के आसार हैं इसलिये बेहतर है कि अपने भविष्य की योजनाओं के अनुसार ही खर्च वहन करें। मध्य में शुक्र स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं भी दे सकता है इसलिये सेहत के प्रति लापरवाही न बरतें।

तुला – शुक्र आपकी राशि का स्वामी है और उनका विचरण आपकी राशि से नवें घर में हो रहा है जो कि आपके लिये भाग्यवर्धक समय को दर्शाता है। जो जातक लंबे समय से खुद को शारीरिक तौर पर अस्वस्थ या कमजोर महसूस कर रहे हैं, छोटी मोटी बिमारियों से घिरे हैं शुक्र के प्रभाव से उनके स्वास्थ्य में कुछ सकारात्मक परिवर्तन हो सकते हैं और आप पहले से बेहतर महसूस कर सकते हैं। यदि किसी अन्य दुविधाजनक स्थिति से भी आप निबटने का प्रयास कर रहे हैं तो शुक्र इस मामले में भी आपके मददगार हो सकते हैं। कोई निकटवर्ती व्यक्ति आपसे मदद की दरकार रख सकते हैं। आप भी इनकी मदद करने से अपने भीतर एक आत्मिक संतुष्टि, एक मानसिक शांति का अहसास कर सकते हैं।

वृश्चिक – आपकी राशि से शुक्र का परिवर्तन आठवें घर में हो रहा है। शुक्र के आठवें भाव में गोचर करने से आपको अपने जीवन में निराशा के भाव भी नजर आ सकते हैं। उम्मीद के अंतिम दरवाजे भी बंद होने की संभावना है। पारिवारिक एवं दांपत्य जीवन से दूरी या अलगाव रहने की आशंका भी मन में रह सकती है। बेमतलब की यात्राएं न करके आप अपने धन की बचत कर सकते हैं। रोग पर धन खर्च होने के संकेत भी हैं। कुल मिलाकर यह समय आपके लिये थोड़ा संभल कर चलने और हिम्मत और धैर्य से परिस्थितियों का सामना करने का है।

धनु – धनु राशि से शुक्र का परिवर्तन सप्तम घर में हो रहा है। लंबे समय से अगर दांपत्य जीवन में किसी तरह के मतभेद चल रहे हैं या किसी प्रकार का मामला न्यायालय मे विचाराधीन है तो उन्हें सुलझाने के लिहाज से यह उत्तम समय कहा जा सकता है। किसी बड़े बुजूर्ग द्वारा दी गई सलाह को नज़रंदाज न करें यह आपके भविष्य के लिये लाभदायक हो सकती है। छिटपुट धन लाभ के संकेत भी बने रहेंगें। कार्यक्षेत्र में मीठे बोलने वाले व्यक्ति से सतर्क रहें।

मकर – मकर राशि से शुक्र का परिवर्तन छठे घर में हो रहा है। आपका घनिष्ठ मित्र भी आपके शत्रु के साथ मिलकर आपकी योजनाओं का खुलासा कर सकता है। रोग और शत्रु से भय बना रहेगा। प्रेम प्रंसंगों में विशेष ध्यान दें। संतान से संबंधित चिंताएं भी बनी रह सकती हैं। कार्यक्षेत्र में अनावश्यक कार्यों का बोझ भी बढ़ सकता है। निष्ठा और ईमानदारी से इसे निभाएं भविष्य के लिये लाभप्रद रहेगा। छोटे समय के लिये विदेश यात्राओं का योग भी आपके लिये बन सकता है। आर्थिक स्थिति को संतुलित बनाये रखने के लिये अपने खर्चों पर नियंत्रण रखें जो कि बढ़ सकते हैं।

कुंभ – कुंभ राशि से शुक्र का परिवर्तन पंचम घर में हो रहा है। जो अविवाहित जातक अभी तक किसी के प्रेम में नहीं पड़े हैं किसी को अपना बनाने के लिहाज से यह अनुकूल समय है। भाग्य के स्वामी शुक्र का आपके जीवन में प्रबल प्रभाव रह सकता है। कोई नया कार्य करने जा रहे हैं तो उस कार्य का उचित समय यही है। अगर दांपत्य जीवन मे किसी प्रकार का मनमुटाव है तो किसी खास मित्र की सलाह लेना आपके लिये लाभकारी रहे हैं। लंबे समय से अगर कार्य से दूर हैं तो आपको अब अपने कार्य के प्रति समर्पित होना पड़ेगा जो कि आपके भविष्य की योजनाओं के लिये भी अति आवश्यक है। स्वास्थ्य बेहतर रहने की उम्मीद कर सकते हैं।

मीन – मीन राशि से शुक्र का परिवर्तन चतुर्थ घर में हो रहा है जो कि प्रबल राजयोग बनाता है। इस समय आपको कोई बड़ा पद या जिम्मेदारी भी मिल सकती है या फिर अपने कार्यक्षेत्र में आप कोई ब़ी उपलब्धि हासिल कर सकते हैं। राजकीय क्षेत्र में कार्य करने के उत्साहित व्यक्तियों के लिये भी यह समय शुभ समाचार लेकर आ सकता है। किसी पुराने मित्र से मुलाकात होने के संकेत भी हैं। छोटी यात्राओं के योग भी बन सकते हैं जो कि लाभप्रद रह सकती हैं।

शादी कब होगी?

 शादी कब होगी? 

शादी कब होगी! यह प्रश्न भले है छोटा है लेकिन हमारे समाज के लिए यह एक अहम प्रश्न है. बच्चों के जन्म के साथ ही माता पिता उनकी शादी का सपना संजोने लगते हैं. जब युवावस्था में बच्चे पहुंचते हैं तो माता पिता अपने बच्चों के लिए योग्य जीवनसाथी की तलाश करने लगते हैं. यह तलाश जब लम्बी होने लगती है तो मन में प्रश्न उठने लगता है शादी कब होगी?

विवाह के कारक ग्रह और स्थिति (Marriage Karakas and Planetary Positions)

पति पत्नी का रिश्ता ईश्वर तय करता है. ईश्वर द्वारा निर्धारत समय में ही विवाह सम्बन्ध होता है लेकिन अपने कर्तव्य से बंधकर हर माता पिता अपने बच्चों का घर बसाने के लिए चिंतित होते हैं. इस चिंता का निवारण तब होता है जब ग्रह की स्थिति अनुकूल होती है. ज्योतिषीय विधान में विवाह के विषय में सप्तम भाव और सप्तमेश के साथ विवाह के कारक बृहस्पति और शुक्र की स्थिति को देखा जाता है (The karakas for marriage are seventh house, seventh lord, Jupiter and Venus). सप्तम भाव और सप्तमेश अशुभ ग्रहों के द्वारा पीड़ित हो अथवा कमजोर स्थिति में हो तो विवाह में विलम्ब की संभावना रहती है. लग्न और लग्नेश भी इस विषय में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं.

प्रश्न कुण्डली में विवाह समय का निर्घारण (Ascertaining the time of marriage through the Prashna Kundali)

अगर विवाह में विलम्ब हो रहा है और इसका कारण जानने के लिए प्रश्न कुण्डली देखते हैं तो पाएंगे कि गुरू जिस भाव में है उस भाव से चौथे घर में क्रमश: चन्द्रमा और शुक्र स्थित होंगे (There’s a delay if Moon or Venus are placed in fourth house from Jupiter). अगर इस प्रकार की स्थिति नहीं है तो कई अन्य स्थितियों का भी जिक्र प्रश्न कुण्डली में किया गया है जिनसे मालूम होता है कि व्यक्ति की शादी में अभी विलम्ब की संभावना है जैसे लग्न से अथवा चन्द्र राशि से पहले, तीसरे, पांचवें, सातवें और दसवें घर में शनि बैठा हो. प्रश्न कुण्डली के छठे, आठवें अथवा द्वादश भाव में अशुभ ग्रहो की उपस्थिति भी इस बात का संकेत होता है कि जीवनसाथी को पाने के लिए अभी इतजार करना होगा. सप्तम भाव में अशुभ ग्रह विराजमान हो और शनि अथवा मंगल अपने ही घर में आसन जमाकर बैठा हो तो यह समझना चाहिए कि जीवनसाथी की तलाश अभी पूरी नहीं हुई है यानी अभी विवाह में विलम्ब की संभावना है. सातवें घर में राहु और आठवें घर में मंगल भी इस तरह का परिणाम दिखाता है.

प्रश्न कुण्डली विवाह के विषय में सप्तम भाव के साथ ही द्वितीय और एकादश भाव से भी विचार करने की बात करता है. यही कारण है कि जब चन्द्रमा और शनि की युति प्रथम, द्वितीय, सप्तम अथवा एकादश भाव में होता है (Conjunction of Moon and Saturn in 1st, 2nd, 7th or 11th house causes a delay) तो प्रश्न कुण्डली विवाह में विलम्ब की संभावना को दर्शाता है. ज्योतिष की इस शाखा में मंगल को भी स्त्री की कुण्डली में विवाह कारक ग्रह के रूप में देखा जाता है. अगर कुण्डली में मंगल और शुक्र की युति पंचवे, सातवें अथवा ग्यारहवें भाव में बनती है और शनि उसे देखता है तो निकट भविष्य में विवाह की संभावना नही बनती है.

Know about your love life

प्रेम सम्बन्ध

प्रेम सम्बन्ध पर भविष्य की पूरी बागडोर टिकी होती है I यदि संबंधों में दरार आ जाए तो जीवन नीरस लगने लगता है I ज्योतिष द्वारा संबंधों में मधुरता लम्बे समय तक बनाए रखने के लिए उपाय भी उपलब्ध हैं परन्तु केवल अनुरोध पर I केवल आवश्यकता है समझने की कि कब क्या करना है I
आइये जानते हैं कुंडली में छिपे कुछ राज जो आप अपने जीवन साथी के विषय में नहीं जानते I

कुंडली में पंचम स्थान और शुक्र से प्रेम के विषय में जाना जा सकता है I प्रेम संबंधों से जुड़े सभी सूत्रों का पता पंचमेश यानी पंचम भाव में जो राशि है उसके स्वामी से लगाया जा सकता है I यूं तो बारीकी से केवल ज्योतिषी ही देख सकता है परन्तु ऐसी भी कुछ ग्रह स्थिति होती है जिसके आधार पर हम पता लगा सकते हैं कि प्रेम में हम कहाँ तक सफल रहेंगे I

पंचम भाव में सूर्य का होना प्रेम में असफलता दिलाता है I लाख कोशिश के बाद भी कोई सम्बन्ध सफल नहीं हो पाता Iपंचम पर किसी भी शुभ ग्रह की दृष्टि होने पर प्रेम सम्बन्ध बनते हैं और उस ग्रह पर किसी अशुभ ग्रह का प्रभाव पड़ने पर प्रेम सम्बन्ध बिगड़ जाते हैं Iपंचमेश शुभ ग्रह हो और शुभ स्थिति में हो तो प्रेम में सफलता मिलती है I

पंचम भाव में चन्द्र होने पर व्यक्ति प्रेम में अस्थिर होता है I किसी एक ही व्यक्ति के साथ लम्बे समय तक सम्बन्ध बने रहना मुश्किल होता है परन्तु चन्द्र उच्च का या स्वगृही हो तो प्रेम में सफलता दिलाता है I

मंगल के पंचम में होने से प्रेम में केवल असफलता ही मिलती है I लाख कोशिश करने के बाद भी प्रेम में निराशा ही हाथ लगती है I प्रेम विवाह में वाद विवाद अधिक होते हैं I

बुध के पंचम भाव में हो तो व्यक्ति प्रेम में चतुराई का इस्तेमाल अधिक करता है I झूठ को सच साबित करना जातक अच्छी तरह जानता है I बुध पर यदि राहू, मंगल या शनि का प्रभाव हो तो ऐसा व्यक्ति विश्वासपात्र नहीं होता I

एक से अधिक शुभ ग्रह पंचम भाव में संकेत देते हैं कि सम्बन्ध भी एक से अधिक रहेंगे I शुक्र बुध दोनों पंचम में हों तो जातक जातिका के एक ही समय में अनेक लोगों से सम्बन्ध हो सकते हैं I
गुरु के पंचम भाव में होने से व्यक्ति नेकदिल और विश्वासपात्र होता है परन्तु गुरु यदि अकेला हो तो प्रेम सम्बन्ध नहीं बन पाते या फिर सफलता नहीं मिल पाती I

शुक्र का पंचम में होना व्यवहारिक रूप से शुभ नहीं होता I हालांकि अनेक स्त्रियों के साथ सम्बन्ध बनते हैं यदि जातिका हो तो अनेक पुरुषों के साथ सम्बन्ध होते हैं I शुक्र अशुभ ग्रहों से युक्त या दृष्ट हो तो ऐसे व्यक्ति के प्रेम में विशवास न करना ही ठीक रहता है I शुक्र के इस भाव में होने पर शुभ या अशुभ कुछ भी हो सकता है I इस विषय पर बहुत कुछ लिखा जा सकता है परन्तु समयाभाव के कारण केवल इतना कहना ही काफी होगा कि शुक्र की इस स्थान में स्थिति कुल मिलाकर अच्छी नहीं कही जा सकती इसलिए प्रेम में सावधान रहें I

शनि के इस स्थान में होने से प्रेम के प्रति रुझान कम रहता है या न के बराबर होता है I शनि बड़े लक्ष्य का निर्देश देता है इसलिए यदि पंचम में शनि होगा और उस पर शुभ ग्रह की दृष्टि होगी तो ऐसा प्रेम पूजा बन जाता है I

राहू या केतु का इस स्थान पर होना निस्संदेह प्रेम में उतार चढ़ाव का संकेत देता है I कुल मिलाकर यही ठीक रहता है कि प्रेम में झगडे और समस्याएं ही अधिक होंगी I

प्रेम विवाह के लिए पंचमेश का जो कि प्रेमी या प्रेमिका का प्रतिनिधित्व करता है, सप्तमेश यानी विवाह करने वाला ग्रह, इन दोनों का साथ बैठे होना जरूरी है I यदि दोनों जन्म लग्न में साथ न हों तो नवमांश चक्र में देखें और यदि वहां भी दोनों का कोई सम्बन्ध नहीं है तो इस योग को प्रेम विवाह का योग न समझें I

पंचमेश यदि शुक्र के साथ हो तो प्रेम विवाह हो सकता है I यह योग केवल पुरुषों के लिए है स्त्रियों के लिए गुरु का पंचमेश के साथ होना जरूरी है I

इसके अतिरिक्त भी कुंडली में देख कर पता लगाया जा सकता है कि प्रेम की राह पर आप कैसे रहेंगे I

Tel: +919914144100,9814844100

पति- पत्नी में आपसी मधुरता हेतु  सरल उपाय-

पति- पत्नी में आपसी मधुरता हेतु  सरल उपाय-

यदि पति-पत्नी में तनाव बढ़ रहा हो तो दोनों की फ़ोटो के पीछे एक-दुसरे का नाम लिखकर शुद्ध शहद में शुद्ध चादीं की गोली के साथ डूबो देने से तनाव कम होगा और सम्बन्ध में मधुरता आएगी

क़र्ज़ की परेशानियों से मुक्ति हेतु-

यदि आप पर क़र्ज़ा दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है और क़र्ज़े की चिन्ता आपको परेशान करती है तो ये उपाय करें। कर्जे सम्बन्धी परेशानी में राहत मिलेगी।अमावस की रात्रि को 12 बजे 1-1 मुठ्ठी काली सरसों चारों दिशाओं में फैंके। धन लाभ होगा और क़र्ज़े से सम्बन्धित आ रही परेशानियों में लाभ मिलेगा क़र्ज़ा बढ़ना रूकेगा और धीरे- धीरे उतरना शुरू होगा

पलाट/ज़मीन न बिक रही हो तो करे ये उपाय-

यदि लाख कोशिशों के बावजूद आपकी ज़मीन न बिक रही हो तो मंगलवार वाले दिन मिट्टी के कुज्जे में जौ+ काले तिल+ सफ़ेद तिल बराबर मात्रा में मिलाकर ढक्कन लगाकर बेचने  वाली ज़मीन में दबाए। कुज्जे के मुँह पर मालिक की लम्बाई जितना सूत का धागा लपेट कर 11 दिन धर्म स्थान का जल गिराए। शीघ्र ही ज़मीन बिकने की स्थिति में होगी

 

घर परिवार के झगडें की शान्ति हेतु कुछ सरल उपाय-

घर में कई अलग-अलग स्वभाव लोग रहते हैं। ऐसे में कई बार एक-दूसरे से आदतें और विचार मेल नहीं खाते हैं। जिससे अक्सर घर के लोगों में मन-मुटाव और झगड़े होने लगते हैं। इन झगड़ों की वजह से घर में हमेशा ही अशांति और क्लेश का माहौल बना रहता है। कुछ छोटे-छोटे उपायों को अपना कर इन झगड़ों से छुटकारा पाया जा सकता है।

1. यदि घर में अक्सर तनाव की स्थिति बनी रहती है तो सफेद चंदन की बनी कोई भी मूर्ति ऐसे स्थान पर रखें, जहां से सभी सदस्यों की नजर उस पर पड़े। इससे पारिवारिक तनाव खत्म होगा और सदस्यों में आपसी विश्वास बढ़ेगा।

2. यदि घर के पुरुष सदस्यों के बीच तनाव और विवाद की स्थिति रहती हो तो ऐसे घर में कदम्ब के पेड़ की डाली रखनी चाहिए। इससे शांति का वातावरण बनता है।

3. घर के अन्य स्थानों की बजाए रसोई घर में बैठकर खाना खाने से घर में राहु का प्रभाव कम होता है और सुख-शांति बनी रहती है।

4. यदि परिवार की महिलाओं में अक्सर अशांति, तनाव और मनमुटाव रहता है तो ऐसे परिवार में सभी महिलाओं को एक साथ लाल रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए।

5. यदि किसी महिला की वजह से घर में अशांति रहती हो तो सफेद मोती की अंगूठी बनवाकर उस महिला को दाहिने हाथ की अनामिका उंगली (छोटी उंगली के पास वाली उंगली) में पहनानी चाहिए।

6. जिस घर में बिना कारण के तनाव और अशांति का वातावरण बनता हो, उस घर के लोगों को गुरुवार को बाल और दाढ़ी-मूंछ नहीं कटवाना चाहिए।

7. हर महीने में घर के सदस्यों की संख्या और घर में आए सभी अतिथियों की संख्या के बराबर मीठी रोटियां बनाकर जानवरों को खिलाना चाहिए। इससे घर में बीमारी, झगड़े और फिजूल खर्च से छुटकारा मिलेगा।

8. परिवार के सदस्यों के बीच के झगड़ों को कम करके घर में शांति बनाए रखने के लिए रोज सुबह नहाने के बाद पूरे घर में गंगाजल/धर्म स्थान का जल छिड़के।

9. घर की उत्तर-पूर्व दिशा में कूड़ेदान बनाने या कचरा रखने से भी घर के लोगों में मन-मुटाव और जलन आदि भावना रखते हैं। इस दिशा में कूड़ादान भूलकर भी नहीं रखना चाहिए।

 

जानिए आपके भाग्य में सरकारी नौकरी है या नही ?

जानिए आपके भाग्य में सरकारी नौकरी है या नही ?

-यदि कुण्डली के 10 वें भाव में मंगल हो या इस भाव पर मंगल की दृष्टि हो तो सरकारी नौकरी का योग बनता है।

-यदि मंगल 8वें भाव के इलावा किसी अन्य भाव में उच्च राशि मकर में हो तो सरकारी नौकरी मिलने की प्रबल संभावनाएँ होती है।

-कुण्डली के लग्न यानि प्रथम भाव के स्वामी ग्रह की दृष्टि लग्न भाव पर हो तो सरकारी नौकरी का योग बनता है।

-मंगल/सूर्य कुण्डली के केन्द्र भाव – 1,4,7,10 या त्रिकोण 5,9 में हो तो व्यक्ति को सरकारी लाभ प्राप्त होता है।

-यदि 10 वें भाव में सूर्य-मेष राशि, गुरू-कर्क राशि का हो या स्वराशि का हो तो सरकारी नौकरी मिलती है।

-लग्न और दशम भाव के स्वामी की आपस में युति हो तो सरकारी नौकरी मिलती है ।

Ask Your Question