दीपावली पर लक्ष्मी कृपा हेतु सरल उपाय

दीपावली के पांच पर्व होते हैं धनतेरस, चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा, यम दितिया । इन पांचों दिन दीपक (चार छोटे और एक बड़ा) जरूर जलाएं। दीपक रखने से पहले उनका आसन बिछाएं फिर खील, चावल कि ऊपर दीपक रखें। इससे घर में धन की सदा आमद बनी रहेगी। 

 दीपावली के दिन प्रातः काल किसी भी लक्ष्मी मंदिर में जाकर माता लक्ष्मी को वस्त्र या चुनरी अर्पण करें और सुगन्धित गुलाब की अगरबत्ती जलाएं, इससे भाग्य चमकता है, धन का आगमन होता है, घर में सुख-समृद्धि और प्रसन्नता आती है । 

 दीपावली के दिन प्रातः पूजा के समय पीतल या तांबे के लोटे में शुद्ध जल भरकर उसमें थोड़ी हल्दी घोल कर उसे पूजा में रखे ,पूजा के उपरांत इस जल को पीले फूल से पूरे घर में थोड़ा थोड़ा छिड़क दें और बचा हुआ जल तुलसी या केले के पौधे में चड़ा दें अब इस क्रिया को नित्य पूजा के बाद किया करें घर पर माँ लक्ष्मी की सदैव कृपा बनी रहेगी 

 दीपावली के दिन रात्रि में घर के प्रत्येक कमरे और मुख्य द्वार में गेंहू की ढेरी बना कर उसके ऊपर शुद्ध घी का दीपक प्रज्ज्वलित करना चाहिए जो रात भर जलता रहे .इससे रात्रि में माँ लक्ष्मी का घर में प्रवेश होता है , यह उपाय बहुत ही कारगर माना जाता है । 

 दीपावली पर व्यापार लक्ष्मी को प्रसन्न करके धन लाभ के लिए यह एक सिद्ध प्रयोग है। दीपावली की रात्रि को कपूर जला कर उसमे शुद्ध रोली+नागकेसर को डाल दें , फिर जो राख प्राप्त होगी उसकी पुडिया बनाकर किसी लाल रुमाल या कपडे में बांधकर उसे तिजोरी/धन स्थान में रखने से व्यापर में सफलता मिलती है ,आय के नवीन स्रोत्र खुल जाते है । इस पर रोज धूप/अगरबत्ती दिखलाते हुए माँ लक्ष्मी से प्रार्थना करें । 

 दीपावली पर एक चांदी की अथवा किसी भी अन्य धातु की एक छोटी-सी डिबिया लें। इस डिबिया को नागकेशर और शहद से पूरी तरह से भरकर बंद कर दें। दीपावली  की रात्रि मे इसे भी पूजा में रखे फिर अगले दिन इसे अपनी तिजोरी इन रख दें। यह धन प्राप्ति का बहुत ही चमत्कारी प्रयोग है। 

दीपावली को संध्या के समय हाथ में एक सुपारी और ताम्बें का सिक्का लेकर पीपल के पेड़ पर जाएँ उनको प्रणाम करके अपनी इच्छा बोलिए फिर सुपारी और ताम्बें का सिक्का अर्पित करके शीश निवा कर घर आ जाएँ । अगले दिन सुबह उसी पीपल का पत्ता लाकर उसे धोकर तिलक लगाकर अपनी गद्दी के नीचे रखेंगे तो व्यापर में किसी भी किस्म की बाधाएं नहीं आएँगी । 

 दीपावली के दिन रात्रि को काले तिल परिवार के सभी सदस्यों के सर से सात बार उसार कर उसे घर के उत्तर दिशा में फेंक दें तो धन हानि बंद हो जाती है । 

 दीपावली की रात्रि में माँ लक्ष्मी पूजन के पश्चात घर के सभी कमरों घर के कोने कोने में शंख और डमरुं बजाना चाहिए ऐसा करने से अलक्ष्मी/दरिद्रता घर से बाहर निकलती है और माँ लक्ष्मी का घर में प्रवेश होता है । 

 अगर लाख प्रयास के बाद भी कार्यो में संतोषजनक सफलता नहीं मिल पा रही है , धन का आभाव लगा रहता है तो दीपावली की शाम को माँ लक्ष्मी की पूजा के समय लक्ष्मीजी पर  चने की दाल चढ़ा दें और माँ से सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें। फिर अगले दिन सुबह उस दाल की खिचड़ी बना कर ग़रीबों में बाँटे । यह बहुत ही अचूक उपाय है इसे पूर्ण श्रद्धा से और बिलकुल चुपचाप करें, अवश्य ही घर में धन की कोई भी कमी नहीं रहेगी । 

राहु ग्रह-ठंडी हवा या आँधी जानिए विस्तार से

राहु ग्रह न होकर ग्रह की छाया है, हमारी धरती की छाया या धरती पर पड़ने वाली छाया। छाया का हमारे जीवन में बहुत असर होता है। 

कहते हैं कि रोज पीपल की छाया में सोने वाले को किसी भी प्रकार का रोग नहीं होता लेकिन यदि बबूल की छाया में सोते रहें तो दमा या चर्म रोग हो सकता है। इसी तरह ग्रहों की छाया का हमारे जीवन में असर होता है। 

राहु ग्रह हमारी बुद्धि का कारण है, लेकिन जो ज्ञान हमारी बुद्धि के बावजूद पैदा होता है उसका कारण राहु है। लाल किताब के अनुसार कुंडली में राहु के दोषपूर्ण या खराब होने की स्थिति के बारे में विस्तार से बताया गया है।

कैसे होता राहु खराब? : 

– गुरु या धर्म का अपमान करना। 

– काल्पनिक बातों में रुचि लेना। 

– तांत्रिक कर्म करना या गड़े धन की इच्छा रखना। 

– शराब पीना और पराई स्त्री से संबंध रखना। 

– झूठ बोलना और धोखा देना। 

– किचन छोड़कर अन्य जगह भोजन करना। 

– कटु वचन बोलते रहना। 

– ब्याज का धंधा करना। 

– निरंतर तामसिक भोजन करते रहना। 

कैसे पहचानें कि राहु खराब है,

राहु खराब होने के निशानियां : 

– ससुर, साले या साली से झगड़ा हो जाएगा। 

– सोचने की ताकत कम हो जाएगी। 

– जीवन में डर और शत्रु बढ़ जाएंगे। 

– स्वयं को लेकर गलतफहमी रहेगी। 

– आपसी तालमेल में कमी होगी। 

– बात-बात पर आपा खो देंगे। 

– वाहन दुर्घटना, पुलिस केस या पत्नी से झगड़ा। 

– आर्थिक नुकसान और मानसिक तनाव। 

– मक्कार, नीच, चालबाज और जालिम व्यक्ति होगा। 

– व्यक्ति बेईमान या धोखेबाज होगा। 

– ऐसे व्यक्ति की तरक्की की शर्त नहीं। 

– राहु का खराब होना अर्थात दिमाग की खराबियां होंगी। 

– व्यर्थ के दुश्मन पैदा होंगे, सिर में चोट लग सकती है। 

– व्यक्ति मद्यपान या संभोग में ज्यादा रत रह सकता है। 

– गैरजिम्मेदारी और लापरवाही राहु के खराब होने की निशानी है। 

राहु शुभ है तो : 

व्यक्ति दौलतमंद होगा। कल्पना शक्ति तेज होगी। रहस्यमय या धार्मिक बातों में रुचि लेगा। राहु के अच्छा होने से व्यक्ति में श्रेष्ठ साहित्यकार, दार्शनिक, वैज्ञानिक या फिर रहस्यमय विद्याओं के गुणों का विकास होता है। इसका दूसरा पक्ष यह कि इसके अच्छा होने से राजयोग भी फलित हो सकता है। आमतौर पर पुलिस या प्रशासन में इसके लोग ज्यादा होते हैं। 

जानिए कौन-सी बीमारी देता है राहु…

राहु की बीमारी : 

– गैस प्रॉब्लम। 

– बाल झड़ना 

– उदर रोग। 

– बवासीर। 

– पागलपन। 

-राजयक्ष्मा रोग। 

– निरंतर मानसिक तनाव बना रहेगा। 

– नाखून अपने आप ही टूटने लगते हैं। 

– मस्तिष्क में पीड़ा और दर्द बना रहता है। 

-राहु व्यक्ति को पागलखाने, दवाखाने या जेलखाने भेज सकता है। 

-राहु अचानक से भी कोई बड़ी बीमारी पैदा कर देता है और व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। 

राहु को सुधारने के तरीके : 

-सरस्वती की पूजा करें।शिक्षा का दान दें 

-बजरंग बाण या हनुमान चालीसा का पाठ प्रतिदिन करें। 

-ससुराल पक्ष से अच्छे संबंध रखें। 

-सिर में चोटी वाले स्थान पर बाल बांधकर रखें। 

-तिल, जौ किसी सुनसान स्थान पर दबाएँ 

-जौ को दूध में धोकर बहते पानी में बहाएं। 

-कोयले को पानी में बहाएं। 

-मूली दान में दें। 

-मेहतर को शराब, तंबाकू दान में दें। 

-सोते समय सिर के पास किसी पत्र में जल भरकर रखें और सुबह किसी पेड़ में डाल दें।

नोट : इनमें से कुछ उपाय विपरीत फल देने वाले भी हो सकते हैं। कुंडली की पूरी जांच किए बगैर उपाय नहीं करना चाहिए। 

पितृपक्ष 2018: किसका श्राद्ध किस दिन करें

हिन्दू धर्म में श्राद्ध कर्म को विशेष महत्व दिया गया है। यह कर्म मृत आत्मा एवं पितृपक्ष की शांति के लिए किया जाता है। प्रत्येक वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पितरों को तृप्त करने का विधान किया जाता है।पितृ दोष से मुक्ति पाने का सबसे सही समय होता है पितृपक्ष। इस दौरान किए गए श्राद्ध कर्म और दान-तर्पण से पितृों को तृप्ति मिलती है। वे खुश होकर अपने वंशजों को सुखी और संपन्न जीवन का आशीर्वाद देते हैं। पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म करने की परंपरा हमारी सांस्कृतिक विरासत है। इस साल श्राद्ध 25 सितंबर से शुरू हो रहे हैं।

श्राद्ध कर्म 

श्राद्ध करने के अपने नियम होते हैं। श्राद्ध पक्ष हिंदी कैलेंडर के अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष में आता है। जिस तिथि में जिस परिजन की मृत्यु हुई हो, उसी तिथि में उनका श्राद्ध कर्म किया जाता है।यह काल कुल 15 दिनों का होता है जिसमें शास्त्रानुसार श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। किसी कारणवश यदि किसी परिवार जन का मृत्यु के समय में श्राद्ध नहीं किया गया हो तो 15 दिनों का यह समय उस आत्मा की शांति के लिए सही होता है। श्राद्ध कर्म पूर्ण विश्वास, श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाना चाहिए। पितृों तक केवल हमारा दान ही नहीं बल्कि हमारे भाव भी पहुंचते हैं।

आश्विन कृष्ण प्रतिपदा श्राद्ध

इस तिथि को नाना-नानी के श्राद्ध के लिए उत्तम माना गया है। यदि नाना-नानी के परिवार में कोई श्राद्ध करने वाला न हो तो इस तिथि को श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।

पंचमी श्राद्ध

इस तिथि को उन परिजनों का श्राद्ध किया जाता है जो या तो काफी कम आयु में परलोक सिधार गए हों साथ ही वे मृत्यु के समय अविवाहित भी रहे हों।

नवमी श्राद्ध

शास्त्रानुसार श्राद्ध की नवमी तिथि महत्वपूर्ण मानी गई है। इसे मातृनवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस तिथि पर श्राद्ध करने से कुल की सभी दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध हो जाता है।पति जीवित हो और पत्नी की मृत्यु हो गई हो, ऐसी महिलाओं का श्राद्ध नवमी तिथि को किया जाता है।

एकादशी व द्वादशी श्राद्ध

श्राद्ध की इस तिथि का काफी महत्व है, लेकिन यह हर किसी के नसीब में नहीं होती। क्योंकि इस तिथि को परिवार के उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है, जिन्होंने संन्यास लिया हो।इसके अतिरिक्त जिनकी इस तिथि में मृत्यु हुई हो उनका श्राद्ध इस तिथि में होगा।

चतुर्दशी श्राद्ध

श्राद्ध की इस तिथि को परिवार के उन परिजनों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो जैसे कि दुर्घटना से, हत्या, आत्महत्या, शस्त्र के द्वारा आदि।

सर्वपितृमोक्ष अमावस्या

क्योंकि पूरे श्राद्ध काल में यदि पितरों का श्राद्ध चूक जाए या पितरों की तिथि याद न हो तब इस तिथि पर सभी पितरों का श्राद्ध कर सकते हैं। इस दिन श्राद्ध करने से कुल के सभी पितरों का श्राद्ध हो जाता है।जिन लोगों की मृत्यु के दिन की सही-सही जानकारी न हो, उनका श्राद्ध अमावस्या तिथि को करना चाहिए। सांप काटने से मृत्यु और बीमारी में या अकाल मृत्यु होने पर भी अमावस्या तिथि को श्राद्ध किया जाता है। जिनकी आग से मृत्यु हुई हो या जिनका अंतिम संस्कार न किया जा सका हो, उनका श्राद्ध भी अमावस्या को करते हैं।

2018 में श्राद्ध की तिथियां

25 सितंबर 2018 प्रतिपदा श्राद्ध

26 सितंबर 2018 द्वितीय श्राद्ध

27 सितंबर 2018 तृतिया श्राद्ध

28 सितंबर 2018 चतुर्थी श्राद्ध

29 सितंबर 2018 पंचमी श्राद्ध

30 सितंबर 2018 षष्ठी श्राद्ध

1 अक्टूबर 2018 सप्तमी श्राद्ध

2 अक्टूबर 2018 अष्टमी श्राद्ध

3 अक्टूबर 2018 नवमी श्राद्ध

4 अक्टूबर 2018 दशमी श्राद्ध

5 अक्टूबर 2018 एकादशी श्राद्ध

6 अक्टूबर 2018 द्वादशी श्राद्ध

7 अक्टूबर 2018 त्रयोदशी श्राद्ध, चतुर्दशी श्राद्ध

8 अक्टूबर 2018 सर्वपितृ अमावस्या

एक साल में इतने अवसरों पर कर सकते हैं श्राद्ध

शास्त्रों के अनुसार, अपने पितृगणों का श्राद्ध कर्म करने के लिए एक साल में 96 अवसर मिलते हैं। इनमें साल के बारह महीनों की 12 अमावस्या तिथि को श्राद्ध किया जा सकता है। साल की 14 मन्वादि तिथियां, 12 व्यतिपात योग, 12 संक्रांति, 12 वैधृति योग और 15 महालय शामिल हैं। इनमें पितृपक्ष का श्राद्ध कर्म उत्तम माना गया है।

जीवन की बड़ी-बड़ी परेशानियों का छोटा सा समाधान

पिताजी कोई किताब पढने में व्यस्त थे , पर उनका बेटा बार-बार आता और उल्टे-सीधे सवाल पूछ कर उन्हें डिस्टर्ब कर देता ।पिता के समझाने और डांटने का भी उस पर कोई असर नहीं पड़ता।

तब उन्होंने सोचा कि अगर बच्चे को किसी और काम में उलझा दिया जाए तो बात बन सकती है। उन्होंने पास ही पड़ी एक पुरानी किताब उठाई और उसके पन्ने पलटने लगे। तभी उन्हें विश्व मानचित्र छपा दिखा , उन्होंने तेजी से वो पेज फाड़ा और बच्चे को बुलाया – ” देखो ये वर्ल्ड मैप है , अब मैं इसे कई पार्ट्स में कट कर देता हूँ , तुम्हे इन टुकड़ों को फिर से जोड़ कर वर्ल्ड मैप तैयार करना होगा।”
और ऐसा कहते हुए उन्होंने ये काम बेटे को दे दिया।
बेटा तुरंत मैप बनाने में लग गया और पिता यह सोच कर खुश होने लगे की अब वो आराम से दो-तीन घंटे किताब पढ़ सकेंगे ।
लेकिन ये क्या, अभी पांच मिनट ही बीते थे कि बेटा दौड़ता हुआ आया और बोला , ” ये देखिये पिताजी मैंने मैप तैयार कर लिया है .”
पिता ने आश्चर्य से देखा , मैप बिलकुल सही था, – ” तुमने इतनी जल्दी मैप कैसे जोड़ दिया , ये तो बहुत मुश्किल काम था ?”
” कहाँ पापा, ये तो बिलकुल आसान था , आपने जो पेज दिया था उसके पिछले हिस्से में एक कार्टून बना था , मैंने बस वो कार्टून कम्प्लीट कर दिया और मैप अपने आप ही तैयार हो गया.”, और ऐसा कहते हुए वो बाहर खेलने के लिए भाग गया और पिताजी सोचते रह गए .
Friends , कई बार life की problems भी ऐसी ही होती हैं, सामने से देखने पर वो बड़ी भारी-भरकम लगती हैं , मानो उनसे पार पान असंभव ही हो , लेकिन जब हम उनका दूसरा पहलु देखते हैं तो वही problems आसान बन जाती हैं, इसलिए जब कभी आपके सामने कोई समस्या आये तो उसे सिर्फ एक नजरिये से देखने की बजाये अलग-अलग दृष्टिकोण से देखिये , क्या पता वो बिलकुल आसान बन जाएं !

सृष्टि का अटूट नियम (circle of life)

एक बिजनेसमैन सुबह जल्दी में अपने घर से बाहर आकर अपनी कार का दरवाजा खोलता है। तभी पास बैठे एक आवारा कुत्ते पर उसका पैर पड़ जाता है, कुत्ता उसपर झपटता है और उसके पैर में दाँत गड़ा देता है।

गुस्से में वो 10-12 पत्थर उठाकर कुत्ते को मारता है लेकिन एक पत्थर भी कुत्ते को नहीं लगता और कुत्ता भाग जाता है।

अपने ऑफिस में पहुँचकर वो ऑफिस के सभी पदाधिकारियों की मीटिंग बुलाता है और कुत्ते का गुस्सा उनपर उतारता है।

अपने बॉस का जबरन का गुस्सा झेलकर अधिकारी भी परेशान हो जाते हैं।सारे अधिकारी अपना गुस्सा अपने से नीचे स्तर के कर्मचारियों पर उतारते हैं और इस प्रकार गुस्से का ये दमनचक्र सबसे निचले स्तर के कर्मचारी ऑफिस बॉय और चपरासी तक पहुँचता है।

अब चपरासी के नीचे तो कोई नहीं। इसलिए अपना गुस्सा वो दारू पर उतरता है और घर जाता है।

बीवी दरवाजा खोलती है और शिकायती लहजे में बोलती है—” इतनी देर से आए ?? चपरासी, बीवी को एक झापड़ लगा देता है और बोलता है—” मैं ऑफिस में कंचे खेल रहा था क्या ?? काम था मुझे ऑफिस में, अब भेजा मत खा और खाना लगा। ”

अब बीवी भुनभुनाती है कि, बिना कारण चाँटा खाया।वो अपना गुस्सा बच्चे पर उतारती है और उसकी पिटाई कर देती है।

अब बच्चा क्या करे ??
वो गुस्से में घर से बाहर चला जाता है।
और…….

और……..

और………

बच्चा, एक पत्थर उठाता है और सामने से गुजरते एक कुत्ते को मारता है, पत्थर लगते ही कुत्ता बिलबिलाता, काऊँ काऊँ करता भागता है।

मित्रों, ये सुबह वाला ही कुत्ता था !!!
उसे पत्थर लगना ही था, सिर्फ बिजनेसमैन वाला नहीं लगा, बच्चे वाला लगा। उसका सर्कल कम्पलीट हुआ।
इसलिए आप कभी भी चिंता ना करें।
अगर किसी ने आपको परेशान किया है तो, उसे पत्थर लगेगा……..अवश्य लगेगा……बराबर लगेगा।।

इस कारण आप निश्चिन्त रहो।

आपका बुरा करने वाले का,
बुरा अवश्य ही होगा।

ये सृष्टि का नियम है…..

नाम में छिपा भाग्य उदय का रहस्य

आम तौर पर हर व्यक्ति कर्म तो करता है लेकिन उसका भाग्य नहीं बदल पाता क्योंकि उसे नामांक की शक्ति पता नहीं होता। मूलांक और भाग्यांक तो अपरिवर्तनशील हैं लेकिन योजनाबद्ध ढंग से यदि नामांक, मूलांक और भाग्यांक का मेल हो जाये तो व्यक्ति का भाग्य बदलने में देर नहीं लगती। आजमाकर देखें तो सहीं। वेदशास्त्र एवं धर्म ग्रंथ कहते हैं, मनुष्य का भाग्य नहीं बदला जा सकता। मनुष्य जीवन की तीन मुखय घटनाएं यथा जन्म, विवाह एवं मृत्यु तो बिल्कुल भी नहीं बदली जा सकती क्योंकि विवाह के जोड़े आदि सब पहले से निश्चित होते हैं तथा जन्म और मृत्यु की तारीख भी नहीं बदली जा सकती। जन्म समय के ग्रह-नक्षत्र मनुष्य का भाग्य दर्शाते हैं जो उसके पूर्व जन्मों के कर्मों के अनुसार बनता है। परंतु जन्म राशि, जन्म लग्न एवं अंक ज्योतिष का मूल आधार मूलांक व भाग्यांक तो जन्म की तारीख से बनते हैं जिसको बदला नहीं जा सकता। लेकिन नाम में परिवर्तन करके आप अपने जीवन की रूपरेखा में कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन अवश्य ला सकते हैं। अपना मूलांक और भाग्यांक जानने की सरल विधि यह है कि जन्म तारीख का योग करें वह आपका मूलांक और जन्म तारीख, माह और सन् के अंक का योग भाग्यांक कहलाता है। जैसे 3, 12, 21, 30 जन्म तारीख वाले का मूलांक 3 होगा और 18/01/1980 जन्म तारीख वाले का भाग्यांक 1 होगा। इसमे जन्म तारीख माह और सन् का योग करने से 28 अंक आया। इस का योग 2+8 = 10, यानि मूलांक 1 । अधिकतर जीवन के मूलांक और भाग्यांक वाले माह, तारीख तथा सन लाभकारी रहते हैं। यदि राशि के हिसाब से भी योगकारी ग्रह का अंक, मूलांक या भाग्यांक से मेल खाता है तो वह अंक बहुत लाभकारी रहेगा। इसी के साथ यदि व्यक्ति के नाम का अंक भी भाग्यांक या मूलांक से मेल खावे तो वह व्यक्ति जीवन में बहुत उन्नति करता है। नाम भी भाग्यांक के अनुसार रखें तो वह लाभकारी सिद्ध होगा। जो लोग जीवन में झंझावातों से जूझते देखे गये, उनमें प्रायः यह पाया गया कि उनके इन तीनों अंकों में तालमेल नहीं था। यदि मूलांक, भाग्यांक और नामांक में तालमेल न हो तो हम नामांक बदल सकते हैं, क्योंकि जन्मांक और भाग्यांक तो जन्म लेते ही निश्चित हो जाते हैं। ये भगवान के दिये होते हैं। केवल नाम ही है, जिसे मनुष्य देता है- उसे बदला जा सकता है- यदि आवश्यक हो तो अपना नाम बदलें और उसका लाभ उठायें। कुछ व्यक्ति इतने भाग्यशाली होते हैं कि उनके मूलांक तथा भाग्यांक और नामांक में समन्वय रहता है और वे सुखी जीवन व्यतीत करते हैं। अंक ज्योतिष अंकों का गणित नहीं, बल्कि अंकों का विज्ञान है। यह ज्योतिष व हस्तरेखा जैसी ही विद्या है। अंक ज्योतिष का आधार वास्तव में नौ ग्रह ही हैं। अंग्रेजी के प्रत्येक अक्षर का तथा प्रत्येक ग्रह का भी एक अंक निर्धारित किया गया है। जो इस प्रकार है :- हिंदी के अक्षरों को भी अंक शास्त्र में नंबर दियें गये हैं। अ से अं, अः तक 1 से 24 अंक सीरियल में तथा क, ख से ह तक 1 से 36 अंक सीरियल में दिये गये हैं। इन्हें भी आजमा कर देखें। यदि मूलांक या भाग्यांक के अनुसार नामांक भी हो तो जीवन में उन्नति की संभावना अधिक रहती है। इसके अतिरिक्त यदि जन्म/राशि लग्न के योगकारी ग्रह का अंक मूलांक या भाग्यांक से मिलता है तो उस अंक के अनुसार नामांक बना लें तो बहुत उन्नति होगी। कुछ वर्तमान प्रसिद्ध लोगों के इन अंकों के परीक्षण से सिद्ध होता है कि अंक शास्त्र उपयोगी है। 1. श्रीमती सोनिया गांधी जी की जन्म तारीख 9.12.1946 है। इनका मूलांक नौ (9) है और भाग्यांक पांच (5) है। इन की राशि मिथुन और जन्म लग्न कर्क है। इनके जन्म लग्न के हिसाब से मंगल योगकारी है। मंगल का अंक 9 है। इनके नामांक का अंक भी 9 है। इसी कारण इन्हें इतनी प्रसिद्धि मिली। इनकी राशि का स्वामी बुध है और बुध का अंक 5 है जो इनका भाग्यांक है। इन्हीं कारणों से इन्होंने प्रसिद्धि अर्जित की। 2. फिल्म स्टार शाहरूख खान की जन्म तारीख 2.11.65 है। उसका मूलांक 2 है और भाग्यांक 7 है तथा नामांक 6 है। इनकी राशि मकर के लिए शुक्र योगकारी ग्रह है और शुक्र का अंक 6 है। नामांक 6 इसी कारण लाभकारी है और उसको बहुत प्रसिद्धि मिली तथा धन-दौलत मिली। यह जन्म राशि के योगकारी ग्रह के अनुसार नामांक होने से उन्नति का प्रत्यक्ष प्रमाण है। (इनकी जन्म पत्रिका में शश व रूचक नामक दो पंच महापुरुष राजयोग भी हैं॥ 3. प्रसिद्ध फिल्म स्टार हेमा मालिनी की जन्म तारीख 16.10.48 होने से भाग्यांक 3 है और उनका नामांक भी 3 है। यह अंक 3 गुरु का अंक है। उनका लग्न कर्क एवं राशि मीन होने से गुरु योगकारी है। उनका स्वभाव रहन-सहन गुरु प्रधान होने से उनका जीवन सुखी है। उनकी प्रवृत्ति भी सात्विक बनी। गुरु ने जन्मपत्री में हंस नामक पंच महापुरूष राजयोग भी बनाया। यह भी जन्म तारीख और जन्मपत्रिका के अनुसार नामांक से उन्नति + प्रसिद्धि का उत्तम उदाहरण है। 4. रितिक रोशन ने फिल्म जगत में एक ही फिल्म से धूम मचा दी। इसका कारण हम अंक शास्त्र के नजरिये से देखें तो उसकी जन्म तारीख 10.01.1974 है- उसका मूलांक एक सूर्य का अंक है और उसका भाग्यांक पांच बुध का नंबर है- उसकी जन्म राशि कर्क है उसके लिए योगकारी ग्रह मंगल का अंक नौ है- उसका नामांक दो है। उसका मूलांक सूर्य का अंक एक और नामांक चंद्र का अंक दो होने से वह सूर्य +चंद्र की भांति जगत में वर्षों तक जगमगाता रहेगा। उसके मूलांक और नामांक के स्वामी एक एवं दो अंक परम मित्र – रायल ग्रह होने से उसका नाम तीव्र गति से रोशन हुआ। जैसे सूर्य और चंद्र के उदय होने पर अंधेरा दूर हो जाता है और प्रकाश चारों और फैल जाता है। उसके नामांक दो का स्वामी चंद्र होने से जीवन में सामन्जस्य बना रहेगा- मेष राशि के स्वग्रही मंगल ने केंद्र में रूचक नामक पंच महापुरुष राजयोग बनाया है और चंद्र-मंगल राजयोग, गजकेसरी जैसे राजयोगों के कारण उसकी बहुत उन्नति होगी। परंतु हम अंक शास्त्र के अनुसार देखें तब भी उसकी उन्नति बहुत होगी क्योंकि मूलांक एक और नामांक दो के स्वामी सूर्य और चंद्र ज्योतिष में राजा रानी कहलाते हैं। इस अंक वाले को शिखर पर पहुंचा देते हैं- भगवान श्रीराम की कर्क राशि थी। श्री रितिक की राशि भी कर्क होने से वह अपना नाम रोशन करेगा। व्यापार के लिये, व्यापार संस्थान का नाम यदि हम इस शास्त्र के अनुसार रखें तो व्यापार में अच्छी उन्नति की संभावना बनती है। कई व्यापार संस्थाओं के नाम बदलने से उन्हें लाभ हुआ है।

ग्रह गोचर ! बदलते ग्रह क्यों है आपके लिय ख़ास

ग्रहों का गोचर हर समय आप पर प्रभाव डालता है बदलते ग्रहों के कारण आपके जीवन पर होने वाले प्रभावों को अपनी राशि अनुसार जानिए। सभी 12 राशियों के लिए मिलेजुले परिणाम लेकर आ सकता है।

मेष :   विद्यार्थियों के लिए समय लाभदायक रहने के आसार बन रहे हैं। मान-सम्मान में वृद्धि के योग बन रहे हैं। जो विवाहित जातक लंबे समय से संतान प्राप्ति के लिये प्रयासरत हैं उन्हें भी सफलता मिल सकती है।

वृषभ :समय आपके लिए घर, वाहन आदि का सुख मिलने के योग बना रहा है। यदि पिछले कुछ समय से नया घर या नई गाड़ी लेने का विचार बना रहे हैं तो इस समय बात बन सकती है। राजनीति से जुड़े जातकों के लिए भी समय अच्छे संकेत कर रहा है।

मिथुन :आपकी राशि अनुसार यह समय अपनी कार्यक्षमता का प्रदर्शन करने का है। साथ ही पारिवारिक जीवन में भी छोटे भाई-बहनों के साथ आपके रिश्ते मधुर रहने के आसार हैं।

कर्क :ग्रहों का परिवर्तन धनवृद्धि के संकेत कर रहा है। परिवार से मिलने का शुभ अवसर आ सकता है। संपत्ति संबंधी लेन-देन आपके लिए लाभकारी रहने के आसार हैं। संगीत के क्षेत्र से जुड़े जातकों के लिए भी यह समय कल्याणकारी रह सकता है।

सिंह :नए लोगों से दोस्ती बनाने, अपने व्यक्तिगत व व्यावसायिक संबंधों को बेहतर बनाने के लिए यह समय बहुत ही अनुकूल रहने के आसार हैं। किसी नई वस्तु की खरीददारी भी कर सकते हैं। समय सौभाग्यशाली रहने के आसार हैं।

कन्या :आपके खर्चों में बढ़ोतरी हो सकती है। विशेषकर अपनी सुख-सुविधा को बढ़ाने के लिये किसी वस्तु की खरीददारी कर सकते हैं। खर्च किसी मांगलिक कार्य के लिये भी हो सकता है। यदि पिछले कुछ समय से कहीं घुमने का कार्यक्रम बना रहे हैं तो ग्रहों  का परिवर्तन आपके लिए ऐसे शुभ योग बना रहा है।

तुला :लाभ वृद्धि के संकेत हैं। दरअसल ग्रह आपकी  राशि से लाभ स्थान में  गोचर कर रहे हैं। हालांकि आमदनी में इजाफे के साथ-साथ आपके खर्चों में भी वृद्धि होने के आसार हैं। फिजूल खर्ची की संभावनाएं प्रबल हैं बचने का प्रयास करें। मेहमान नवाजी भी आपको करनी पड़ सकती है।

वृश्चिक :कार्यक्षेत्र में नई जिम्मेदिरयां मिल सकती हैं। व्यवसायी जातक भी किसी नई परियोजना की शुरुआत कर सकते हैं। आय प्राप्ति के नये स्त्रोत ढ़ूंढ सकते हैं। ग्रहों के राशि परिवर्तन से पैतृक संपत्ति से लाभ मिलने के आसार भी आपके लिए बन रहे हैं।

धनु :गोचर आपकी राशि से भाग्य स्थान में गोचर करेंगे। यदि पिछले कुछ समय से किसी वस्तु को खरीदने के लिए प्रयासरत हैं तो इस समय आप उसे घर ला सकते हैं। भाग्य का साथ मिलने से सुख-समृद्धि, धन व पराक्रम में वृद्धि के आसार भी हैं। धार्मिक कार्यों की ओर भी आपका रूझान रह सकता है।

मकर :कामकाजी जीवन की दिक्कतों से भी आपकी परेशानी बढ़ सकती है। खर्चों में भी बढ़ोतरी के आसार हैं। धन की हानि होने के भी संकेत हैं। आपके लिए सलाह है कि किसी भी परिस्थिति में अपना आपा न खोएं, संयमित व्यवहार, कड़ी मेहनत और विवेकशीलता से आप इन स्थितियों से पार पा सकते हैं।

कुंभ :अविवाहित जातकों के लिये विवाह के योग बन सकते हैं। जो जातक अपने किसी खास से दिल की बात कहना चाहते हैं उन्हें भी अपनी बात कहने का वातावरण उपलब्ध हो सकता है। इस समय आपको अपने साथी पर विश्वास रखने की आवश्यकता होगी किसी अन्य व्यक्ति द्वारा आपके बीच दरार पैदा करने के प्रयास हो सकते हैं। व्यवसाय के मामले में समय आपके लिए लाभकारी रहने के योग हैं।

मीन : तमाम परेशानियों से पार पाते हुए कार्यक्षेत्र में उन्नति कर सकते हैं। वर्तमान नौकरी या कार्य से असंतुष्ट जातक करियर में परिवर्तन का विचार भी बना सकते हैं। आपके रोमांटिक जीवन के लिहाज से यह समय मिलाजुला रहने के आसार हैं।

ग्रहों का दिग्बल

ग्रहों का दिग्बल –

दिग्बली ग्रह जातक को अपनी दिशा में ले जाकर कई प्रकार से लाभ देने में सहायक बनते हैं. यह जातक को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने में सहायक होते हैं तथा आभूषणों, भूमि-भवन एवं वाहन सुख देते हैं. व्यक्ति को वैभवता की प्राप्ति हो सकती है. जातक यशस्वी तथा सम्मानित व्यक्ति बनता है.

सूर्य
सूर्य के दिगबली होने पर व्यक्ति को आत्मिक रूप से मजबूत अंतर्मन की प्राप्ति होती है. वह अपने फैसलों के प्रति काफी सदृढ़ होता है. व्यक्ति में कार्यों को पूर्ण करने की जो स्वेच्छा उत्पन्न होती है वह बहुत ही महत्वपूर्ण होती है. व्यक्ति अन्य लोगों के लिए भी मार्गदर्शक बनकर उभरता है. सभी के लिए एक बेहतर उदाहरण रूप में वह समाज के लिए सहायक सिद्ध होता है. जन समाज कल्याण की चाह उसमें रहती है. व्यक्ति अपने निर्देशों का कडा़ई से पालन कराने की इच्छा रखता है. वह अपने कामों में सुस्ती नहीं दिखाता है उसकी यह प्रतिभा उसे आगे रखते हुए सभी के समक्ष सम्मानित कराती है.

चंद्रमा
चंद्रमा के दिग्बली होने पर व्यक्ति का मन शांत भाव से सभी कामों को करने की ओर लगा रहता है. जातक के मन में अनेक भावनाएं हर पल जन्म लेती रहती हैं. वह अपने मन को नियंत्रित करना जानता है जिस कारण वह उचित रूप से दूसरों के समक्ष स्वयं को प्रदर्शित करने की कला का जानकार होता है. जातक धन वैभव से युक्त होता है. रत्नों एवं वस्त्राभूषणों का सुख प्राप्त होता है. सरकार की कृपा प्राप्त होती है तथा समानित स्थान मिलता है. व्यक्ति का आकर्षण एवं दूसरों के साथ आत्मिक रूप से जुड़ जाना बहुत प्रबल होता है, इसी कारण यह जल्द ही दूसरों के चहेते बन जाते हैं. बंधु-बांधवों के चहेते होते हैं उनसे स्नेह प्राप्त करते हैं. जातक मान मर्यादा का पालन करने वाला होता है.

मंगल
मंगल ग्रह के दिग्बली होने पर व्यक्ति का साहस और शौर्य बढ़ता है. व्यक्ति भय की भावना से मुक्त होता है और वह किसि भी कार्य को करने से भय नहीं खाता है. जातक अपने मार्ग को स्वयं सुनिश्चित करने वाला होता है वह अपने नियमों तथा वचनों का पक्का होता है. वह विद्वान लोगों का आदर करने वाला होता है तथा दूसरों के लिए मददगार सिद्ध होता है. उसके कामों में स्वेच्छा अधिक झलकती है. किसी अन्य के कथनों को मानने में उसे कष्ट होता है. वह अपने नेतृत्व क चाह रखने वाला होता है वह चाहता है की दूसरे भी उसकी इच्छा का आदर करें और उसके निर्देशों का पालन करने वाले हों. जातक में धर्मिकता का आचरण करने की इच्छा रहती है वह अनेक व्यक्तियों को आश्रय देने वाला होता है.

बुध
बुध के दिग्बली होने पर जातक का स्वभाव काफी प्रभावशाली बनता है. उसमें स्वयं के लिए विशेष अनुभूति प्रकट होती है. वह अपने अनुसार जीवन जीने की चाह रखने वाला होता है तथा किसी के आदेशों को सुनने की चाह उसमें नहीं होती है. व्यक्ति में चातुर्य का गुण प्रबल होता है, अपनी वाणी के प्रभाव द्वारा लोगों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है. जातक में स्नेह और सौहार्दय भी होता है वह दूसरों को अपने साथ जोड़ने वाला होता है तथा प्रेम की चाह रखता है. जातक जीवन में सुख सुविधाओं की चाह रखने वाला होता है वह जीवन को सामर्थ्य पूर्ण जीना चाहता है. हास-परिहास में पारंगत होता है और प्रसन्नचित रहने वाला वाक-कुशलता से युक्त होता है.

बृहस्पति
बृहस्पति के दिग्बली होने पर जातक को सुखों की प्राप्ति होती है. देह से स्वस्थ रहता है तथा मन से मजबूत होता है. हितकारी होता है तथा विद्वेष की भावना से मुक्त रहते हुए काम करने वाला होता है. जातक दूसरों के सहयोग के लिए प्रयासरत रहता है और मददगार होता है. जातक को विद्वान लोगों की संगति मिलती है तथा गुरूजनों की सेवा करके प्रसन्न रहता है. अन्न वस्त्र इत्यादि का सुख भोगने वाला होता है आर्थिक रूप से संतुष्ट रहता है. शत्रुओं के भय से मुक्त रहता है तथा निर्भयता से काम करने वाला होता है. जातक के विचारों को सभी लोग बहुत सम्मान देते हैं तथा प्रजा की दृष्टि में उसे सम्मान की प्राप्ति होती है.

शुक्र
शुक्र के दिगबली होने पर जातक के जीवन में सौंदर्य का आकर्षण प्रबल होता है. साजो सामान के प्रति उसे बहुत लगाव रहता है तथा वह अपने रहन सहन को भी बहुत उन्नत किस्म का जीने की चाहत रखने वाला होता है. व्यक्ति को स्वयं को सजाने संवारने की इच्छा खूब होती है वह अपने बनाव श्रृंगार पर खूब समय व्यतीत कर सकता है. जातक दूसरों के आकर्षण का आधार भी होता है. लोग इनकी ओर स्वत: ही खिंचे चले आते हैं. जातक देश-विदेश में प्रतिष्ठित होता है और धनार्जन करता है. उदार मन का तथा दूसरों के लिए समर्पण का भाव भी रखता है.

शनि
शनि के दिग्बली होने पर जातक ब्राह्मण व देवताओं का भक्त तथा सेवक होता है. वह दूसरों के लिए सेवाकार्य करने वाला होता है. सहायक बनता है. भोग-विलास की इच्छा करने वाला होता है. गीत संगीत तथा नृत्य इत्यादि में व्यक्ति की की रूचि होती है. चतुरता पूर्ण कार्यों को अंजाम देने की कला का जानकार होता है तथा व्यापार कार्यों में निपुण रहता है.

पूर्व दिशा लग्न बुध व गुरु को दिग्बली हो जाते है बौधिक क्षमता ज्यादा होगी व्यकित्व अच्छा होगा /

दशम भाव में सूर्य व मंगल को दिग्बल प्राप्त है जो कैरियर के लिए है

सप्तम भाव शनि को दिग्बल प्राप्त है विवाह के लिए

चतुर्थ भाव चन्द्र व शुक्र को दिग्बल प्राप्त है भौतिक सुख के लिए

अखरोट अमृत है लेकिन 99 प्रतिशत लोग नहीं जानते इसे खाने का सही तरीका

अखरोट भी हमारे लिए बहुत ही फायदेमंद है इसकी दो जातियां पाई जाती हैं जंगली अखरोट 100 से 200 फीट तक ऊंचाई पर अपने आप उगते हैं और इसके फल का छिलका मोटा होता है। लेकिन कृषिजन्य अखरोट (Walnut) का पेड़ 40 से 90 फुट तक ऊंचा होता है और इसके फलों का छिलका पतला होता है इसे हम कागजी अखरोट कहते हैं। पर्वतीय देशों में होने वाले पीलू को ही अखरोट कहते हैं इसका नाम कर्पपाल भी है । इसकी मींगी मीठी बादाम के समान पुष्टकारक और मजेदार होती है।

अखरोट में मौजूद तत्व हमारे सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। साथ ही इसमें ओमेगा 3 भी पाया जाता है, जो हमारे दिल को स्वस्थ रखता है। अखरोट में मैगनीज , मैग्नीशियम, फास्फोरस, विटामिन E, विटामिन C, विटामिन A , विटामिन K तथा आयरन भी भी पाया जाता है।

अखरोट (Walnut) की तुलना चिलगोजा और चिरौंजी से की जा सकती है अखरोट गरम व खुष्क प्रकृति का होता है अखरोट पित्त प्रकृति वालों के लिए हानिकारक होता है अनार का पानी अखरोट के दोषों को दूर करता है।

अखरोट बहुत ही बलवर्धक है हृदय को कोमल करता है हृदय और मस्तिष्क को पुष्ट करके उत्साही बनाता है इसकी भुनी हुई गिरी सर्दी से उत्पन्न खांसी में लाभदायक है और यह वात, पित्त, टी.बी, हृदय रोग, रुधिर दोष वात, रक्त और जलन को नाश करता है आप अखरोट का सेवन 10 ग्राम से 20 ग्राम तक की मात्रा में कर सकते हैं।

अखरोट खाने की सही विधि :

1. 20 ग्राम अखरोट को एक गिलास दूध में डालकर उबाल लें, उबलने के बाद इसमें मिश्री डालकर अच्छी तरह से मिला लें। फिर थोड़ी देर बाद इस मिश्रण का सेवन करें।
अखरोट के 33 अद्भुत फायदे :

2. अखरोट के सेवन से स्मरण शक्ति बढ़ती है। इसमें मौजूद विटामिन इ, ओमेगा 3, तथा एंटीऑक्सीडेंट तत्व मस्तिष्क को स्वस्थ बनाने में मदद करते है। अखरोट में मौजूद विटामिन और खनिज तत्व उम्र के साथ होने वाली दिमागी कमजोरी को भी दूर रखने का काम करता है।
ओमेगा 3 की कमी से तनाव, गुस्सा और चिड़चिड़ापन भी हो सकता है, लेकिन अखरोट के सेवन से इन सभी परेशानियों से बचा जा सकता है। अखरोट के सेवन से डिप्रेशन से भी राहत मिलती है।
3. अखरोट के सेवन से हमारा ह्रदय स्वस्थ रहता है। नियमित अखरोट के सेवन से रक्त में थक्के बनने की सम्भावना कम हो जाती है। यह अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है और हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने का काम करता है।
अगर आपको पथरी की शिकायत है तो साबुत (छिलके और गिरी सहित) अखरोट को कूट-छानकर एक चम्मच सुबह-शाम ठंडे पानी में कुछ दिनों तक नियमित रूप से सेवन कराने से पथरी मूत्र-मार्ग से बाहर निकल जाती है।
4. अखरोट को छिलके समेत पीसकर चूर्ण बनाकर रखें एक-एक चम्मच चूर्ण ठंडे पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम खायें इससे पेड़ू का दर्द और पथरी दोनों ठीक होती है।
5. जिन लोगों को फुन्सियां अधिक निकलती हो तो एक साल तक रोजाना प्रतिदिन सुबह के समय 5 अखरोट सेवन करते रहने से हमेशा के लिए लाभ हो जाता है।
6. जिन लोगों को टी.बी. रोग की शिकायत है तो इस के लिए तीन अखरोट और 5 कली लहसुन पीसकर एक चम्मच गाय के घी में भूनकर सेवन कराने से टी.बी. में लाभ होता है।
7. जिन माँ में दूध की कमी होती है तो गेहूं की सूजी एक ग्राम, अखरोट के पत्ते 10 ग्राम को एक साथ पीसकर दोनों को मिलाकर गाय के घी में पूरी बनाकर सात दिन तक खाने से माँ के दूध की वृद्धि होती है।
8. खांसी होने पर अखरोट गिरी को भूनकर चबाने से लाभ होता है छिलके सहित अखरोट को आग में डालकर राख बना लें और इस राख की एक ग्राम मात्रा को पांच ग्राम शहद के साथ चटाने से भी लाभ होता है।
9. बवासीर होने पर-वादी बवासीर में अखरोट के तेल की पिचकारी को गुदा में लगाने से सूजन कम होकर पीड़ा मिट जाती है तथा अखरोट के छिलके की राख दो से तीन ग्राम को किसी दस्तावर औषधि के साथ सुबह,दोपहर तथा शाम को खिलाने से खूनी बवासीर में खून का आना बंद हो जाता है।
मासि-क धर्म की रुकावट में अखरोट के छिलके का काढ़ा 40 से 60 मिलीलीटर की मात्रा में लेकर दो चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन-चार बार पिलाने से अदभुत लाभ होता है।
10. जिसका मासि-क धर्म बंद हो तो अखरोट का छिलका, मूली के बीज, गाजर के बीज, वायविडंग, अमलतास, केलवार का गूदा सभी को 6-6 ग्राम की मात्रा में लेकर लगभग 2 लीटर पानी में पकायें फिर इसमें 250 ग्राम की मात्रा में गुड़ मिला दें और जब यह 500 मिलीलीटर की मात्रा में रह जाए तो इसे उतारकर छान लेते हैं फिर इसे सुबह-शाम लगभग 50 ग्राम की मात्रा में मासि-क स्राव होने के एक हफ्ते पहले पिलाने से बंद हुआ मासि-क धर्म खुल जाता है।
11. सुबह खाली पेट 5 ग्राम अखरोट की गिरी और 5 ग्राम पिसी हुई सोंठ को एक चम्मच एरंड के तेल में पीसकर गुनगुने पानी से लें। इससे रोगी के घुटनों का दर्द दूर हो जाता है तथा घुटने दर्द को दूर करने के लिए अखरोट का तेल जोड़ों पर लगाने से रोगी को लाभ मिलता है अखरोट का तेल आपको किसी भी आयुर्वेद दवा बेचने वाले पंसारी से मिल जाएगा।
12. अखरोट को गर्म दूध के साथ सेवन करने से बच्चों के पेट में मौजूद कीड़े मर जाते हैं तथा पेट के दर्द में आराम देता है। कुछ दिनों तक शाम को दो अखरोट खिलाकर ऊपर से दूध पिलाने से बच्चों के पेट के कीडे़ मल के साथ बाहर निकल जाते हैं अखरोट की छाल का काढ़ा 60 से 80 मिलीलीटर पिलाने से आंतों के कीड़े मर जाते हैं।
हृदय की दुर्बलता होने पर अखरोट खाने से दिल स्वस्थ बना रहता है रोज एक अखरोट खाने से हृदय के विकार 50 प्रतिशत तक कम हो जाते हैं और इससे हृदय की धमनियों को नुकसान पहुंचाने वाले हानिकारक कॉलेस्ट्राल की मात्रा नियंत्रित रहती है इस अखरोट के असर से शरीर में वसा को पचाने वाला तंत्र कुछ इस कदर काम करता है कि हानिकारक कॉलेस्ट्राल की मात्रा कम हो जाती है हालांकि रक्त में वसा की कुल मात्रा में कोई परिवर्तन नहीं होता है लेकिन अखरोट में कैलोरी की अधिकता होने के बावजूद इसके सेवन से वजन नहीं बढ़ता और ऊर्जा स्तर बढ़ता है।
13. हमारे शरीर का कोई अंग जिस आकार का होता है ठीक उसी आकार का फल खाने से उस अंग को मजबूती मिलती है चूँकि अखरोट की बनावट हमारे दिमाग की तरह होती है इसलिए अखरोट खाने से दिमाग की शक्ति बढ़ती है तथा याददाश्त मजबूत होती है अखरोट की गिरी को 25 से 50 ग्राम तक की मात्रा में प्रतिदिन खाने से मस्तिष्क शीघ्र ही सबल हो जाता है अखरोट खाने से मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है।
14. कुछ बच्चों को बिस्तर में पेशाब करने की शिकायत हो जाती है ऐसे बाल रोगियों को दो अखरोट और 20 किशमिश प्रतिदिन दो सप्ताह तक सेवन करने से यह शिकायत दूर हो जाती है।
आठ अखरोट की गिरी और चार बादाम की गिरी और दस मुनक्का को रोजाना सुबह के समय खाकर ऊपर से दूध पीने से वृद्धावस्था की निर्बलता भी दूर हो जाती है।
15. दो अखरोट और तीन हरड़ की गुठली को जलाकर उनकी भस्म के साथ चार कालीमिर्च को पीसकर अंजन करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
16. अखरोट की छाल को मुंह में रखकर चबाने से दांत स्वच्छ होते हैं तथा अखरोट के छिलकों की भस्म से मंजन करने से दांत मजबूत होते हैं।
अखरोट की गिरी 50 ग्राम,छुहारे 40 ग्राम और बिनौले की मींगी 10 ग्राम एक साथ कूटकर थोड़े से घी में भूनकर बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर रखें अब इसमें से 25 ग्राम प्रतिदिन सेवन करने से प्रमेह में लाभ होता है बस ध्यान रहे कि इसके सेवन के समय दूध न पीयें।
17. अखरोट का 10 से 40 मिलीलीटर तेल 250 मिलीलीटर गौमूत्र मिलाकर पिलाने से सभी प्रकार की सूजन में लाभ होता है वात-जन्य सूजन में इसकी 10 से 20 ग्राम अखरोट की गिरी को कांजी में पीसकर लेप करने से लाभ होता है।
सुबह-सुबह बिना मंजन कुल्ला किए बिना 5 से 10 ग्राम अखरोट की गिरी को मुंह में चबाकर लेप करने से कुछ ही दिनों में दाद मिट जाती है।
अखरोट को पीसकर पानी के साथ मिलाकर नाभि पर लेप करने से पेट में मरोड़ और दस्त का होना बंद हो जाता है तथा अखरोट के छिलकों को पानी के साथ पीसकर पेट की नाभि पर लगाने से पेट में होने वाली मरोड़ के साथ आने वाले दस्त तुरंत बंद हो जाते हैं।
18. जिन लोगों को लकवे की शिकायत है रोगी को रोजाना सुबह अखरोट का तेल नाक के छिद्रों में डालने से लकवा ठीक हो जाता है और अखरोट के निरन्तर सेवन से सफेद दाग भी ठीक हो जाते हैं तथा रोजाना अखरोट खाने से श्वेत कुष्ठ सफेद दाग का रोग नहीं होता है।
19. अखरोट के तेल को 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में 250 मिलीलीटर दूध के साथ सुबह देने से मल मुलायम होकर बाहर निकल जाता है।
किसी भी कारण या चोट के कारण हुए सूजन पर अखरोट के पेड़ की छाल पीसकर लेप करने से सूजन कम होती है।
20. हिस्टीरिया में अखरोट और किसमिस को खाने और ऊपर से गर्म गाय का दूध पीने से लाभ मिलता है।
21. अखरोट की मिंगी(बीज)को लगातार खाने से होठ या त्वचा के फटने की शिकायत दूर हो जाती है।
22. वात रोग में अखरोट की 10 से 20 ग्राम की ताजी गिरी को पीसकर दर्द वाले स्थान पर लेप करें तथा ईंट को गर्मकर उस पर जल छिड़ककर कपड़ा लपेटकर उस स्थान पर सेंक देने से शीघ्र पीड़ा मिट जाती है लेकिन गठिया पर इसकी गिरी को नियमपूर्वक सेवन करने से रक्त शुद्धि होकर लाभ होता है।
23. यदि नासूर है तो अखरोट की 10 ग्राम गिरी को महीन पीसकर मोम या मीठे तेल के साथ गलाकर लेप करें।
24.अखरोट के पत्तों का काढ़ा 40 से 60 मिलीलीटर पीने से व उसी काढ़े से गांठों को धोने से कंठमाला मिटती है।
25. अखरोट की छाल को पीसकर लेप करने से नाड़ी की सूजन,जलन व दर्द मिटता है।

अक्षर ज्योतिष विज्ञान-जानिये आपके नाम के पहले अक्षर से जुड़े रहस्य

जानिये आपके नाम के पहले अक्षर से जुड़े रहस्य                   

A- अक्षर से नाम वाले लोग काफी मेहनती और धैर्य वाले होते हैं। इन्हें अट्रैक्टिव दिखना और अट्रैक्टिव दिखने वाले लोग ज्यादा पसंद होते हैं। ये खुद को किसी भी परिस्थिति में ढाल लेने की गजब की क्षमता रखते हैं। इन्हें वैसी चीज ही भाती है, जो भीड़ से अलग दिखता हो अध्ययन या करियर की बात करें तो किसी भी काम को अंजाम देने के लिए चाहे जो करना पड़े ये करते हैं, लेकिन लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ये कभी हारकर बैठते नहीं।  ए से नाम वाले लोग रोमांस के मामले में जरा पीछे रहना ही पसंद करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे प्यार और अपने करीबी रिश्तों को अहमियत नहीं देते। बस, इन्हें इन चीजों का इजहार करना अच्छा नहीं लगता।चाहे बात रिश्तों की हो या फिर काम की, इनका विचार बिल्कुल खुला होता है। सच और कड़वी बात भी इन्हें खुलकर कह दी जाए तो ये मान लेते हैं, लेकिन इशारों में या घुमाकर कुछ कहना-सुनना इन्हें पसंद नहीं।ए से नाम वाले लोग हिम्मती भी काफी होते हैं, लेकिन यदि इनमें मौजूद कमियों की बात करें तो इन्हें बात-बात पर गुस्सा भी आ जाता है।

B- जिनका नाम बी अक्षर से शुरू होता है वे अपनी जिंदगी में नए-नए रास्ते तलाशने में यकीन रखते हैं। अपने लिए कोई एक रास्ता चुनकर उसपर आगे बढ़ना इन्हें अच्छा नहीं लगता।  बी अक्षर वाले लोग ज़रा संकोची स्वभाव के होते हैं। काफी सेंसिटिव नेचर के होते हैं ये। जल्दी अपने मित्रों से भी नहीं घुलते-मिलते। इनकी लाइफ में कई राज होते हैं, जो इनके करीबी को भी नहीं पता होता। ये ज्यादा दोस्त नहीं बनाते, लेकिन जिन्हें बनाते हैं उनके साथ सच्चे होते हैं।रोमांस के मामले में ये थोड़े खुले होते हैं। प्यार का इजहार ये कर लेते हैं। प्यार को लेकर ये धोखा भी खूब खाते हैं। इन्हें खुद पर कंट्रोल रखना आता है। खूबसूरत चीजों के ये दीवाने होते हैं।

C- सी नाम के लोगों को हर क्षेत्र में खूब सफलता मिलती है। एक तो इनका चेहरा-मोहरा भी काफी आकर्षक होता है और दूसरा कि काम के मामले में भी लक इनके साथ हमेशा रहता है। इन्हें आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता है। अच्छी सूरत तो भगवान देते ही हैं इन्हें, अच्छे दिखने में ये खुद भी कभी कोई कसर नहीं छोड़ते। सी नाम वाले दूसरों के दुख-दर्द के साथ-साथ चलते हैं। खुशी में ये शरीक हों या न हों, लेकिन किसी के ग़म में आगे बढ़कर ये उनकी मदद करते हैं। सी नाम वालों के लिए प्यार के महत्व की बात करें तो ये जिन्हें पसंद करते हैं उनके बेहद करीब हो जाते हैं। यदि इन्हें अपने हिसाब के कोई न मिले तो मस्त होकर अकेले भी रह लेते हैं। वैसे स्वभाव से ये काफी इमोशनल होते हैं।

D- डी नाम वाले लोगों को हर मामले में अपार सफलता हाथ लगती है। कभी भाग्य साथ न भी दे तो उन्हें विचलित नहीं होना चाहिए, क्योंकि उनकी जिंदगी में आगे चलकर सारी खुशियां लिखी होती हैं। लोगों की बात पर ध्यान न देकर अपने मन की करना ही इन्हें भाता है। जो ठान लेते हैं ये, उसे कहके ही मानते हैं। इन्हें सुंदर या आकर्षक दिखने के लिए बनने-संवरने की जरूरत नहीं होती। ये लोग बॉर्न स्मार्ट होते हैं।  किसी की मदद करने में ये कभी पीछे नहीं रहते। यहां तक ये भी नहीं देखते कि जिनकी मदद के लिए उन्होंने अपना हाथ आगे बढ़ाया है वह उनके दुश्मन की लिस्ट में हैं या दोस्त की लिस्ट में। डी नाम के लोग प्यार को लेकर काफी जिद्दी होते हैं। जो इन्हें पसंद हो, उन्हें पाने के लिए या फिर उनसे रिश्ता निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ते।

E- ई या इ से नाम वाले मुंहफट किस्म के होते हैं। हंसी-मजाक की जिंदगी जीना इन्हें पसंद है। इन्हें अपने इच्छा अनुरूप सारी चीजें मिल जाती हैं। जो इन्हें टोका टाकी करे, उनसे किनारा भी तुरंत हो लेते हैं। ई या इ नाम वाले लोग जिंदगी को बेतरतीव जीना पसंद नहीं करते। इन्हें सारी चीजें सलीके और सुव्यवस्थित रखना ही पसंद है।  ई या इ से नाम वाले लोग प्यार को लेकर उतने संजीदा नहीं रहते, इसलिए इनसे रिश्ते पीछे छूटने का किस्सा लगा ही रहता है। शुरुआत में ये दिलफेंक आशिक की तरह व्यवहार करते हैं, क्योंकि इनका दिल कब किसपर आ जाए कह नहीं सकते। लेकिन एक सच यह भी है कि जिन्हें ये फाइनली दिल में बिठा लेते हैं उनके प्रति पूरी तरह से सच्चे हो जाते हैं।

F- नाम वाले लोग काफी जिम्मेदार किस्म के होते हैं। हां, इन्हें अकेले रहना काफी भाता है। ये स्वभाव से काफी भावुक होते हैं। हर चीज को लेकर ये बेहद कॉन्फिडेंट होते हैं। सोच-समझकर ही खर्च करना चाहते हैं ये। जीवन में हर चीज इनका काफी बैलेंस्ड होता है।F से शुरू होने वाले नाम के लोगों के लिए प्यार की काफी अहमियत होती है। ये खुद भी  आकर्षक होते हैं और ऐसे लोगों को पसंद भी करते हैं। रोमांस तो समझिए कूट-कूटकर इनमें भरा होता है।

G- से शुरू होनेवाले नाम वाले लोग दूसरों की मदद के लिए हमेशा ही खड़े होते हैं। ये खुद को हर परिस्थितियों में ढाल लेते हैं। ये चीजों को गोलमोल करके पेश करना पसंद नहीं करते, क्योंकि इनका दिल बिल्कुल साफ होता है। अपने किए से जल्द सबक लेते हैं और फूंत-फूंककर कदम आगे बढ़ाते हैं ये।G से नाम वाले प्यार को लेकर ईमानदार होते हैं। प्यार के मामले में ये समझदारी और धैर्य से काम लेते हैं। कमिटमेंट से पहले किसी पर बेवजह खर्च करना इनके लिए बेकार का काम है।

H- से नाम वाले लोगों के लिए पैसे काफी मायने रखते हैं। ये काफी हंसमुख स्वभाव के होते हैं और अपने आसपास का माहौल भी एकदम हल्का-फुल्का बनाए रखते हैं। ये लोग दिल के सच्चे होते हैं। काफी रॉयल नेचर के होते हैं और मस्त मौला होकर जीवन गुजारना पसंद करते हैं। झटपट निर्णय लेना इनकी काबिलियत है और दूसरों की मदद के लिए आधी रात को भी ये तैयार होते हैं।प्यार का इजहार करना इन्हें नहीं आता, लेकिन जब ये प्यार में पड़ते हैं तो जी जीन से प्यार करते हैं। उनके लिए कुछ भी कर गुजरते हैं ये। इन्हें अपने मान-सम्मान की भी चिंता होती है।

I -से शुरू होने वाले नाम के लोग कलाकार किस्म के होते हैं। न चाहते हुए भी ये लोगों के आकर्षण का केन्द्र बने रहते हैं। हालांकि मौका पड़े तो इन्हें अपनी बात पलटने में पल भर भी नहीं लगता और इसके लिए वे यह नहीं देखते कि सही का साथ दे रहे हैं या फिर गलत का। इनके हाथ तो काफी कुछ लगता है, लेकिन उन चीजों के हाथ से फिसलने में भी देर नहीं लगती। I से नाम वाले लोग प्यार के भूखे होते हैं। आपको वैसे लोग अपनी ओर खींच पाते हैं जो हर काम को काफी सोच-विचार के बाद ही करते हैं। स्वभाव से संवेदनशील और दिखने में बेहद आकर्षक  होते हैं।

J- से नाम वाले लोगों की बात करें तो ये स्वभाव से काफी चंचल होते हैं। लोग इनसे काफी चिढ़ते हैं, क्योंकि इनमें अच्छे गुणों के साथ-साथ खूबसूरती का भी सामंजस्य होता है। जो करने की ठान लेते हैं, उसे करके ही मानते हैं ये। पढ़ने-लिखने में थोड़ा पीछे ही रहते हैं, लेकिन जिम्मेदारी की बात करें तो सबसे आगे खड़े रहेंगे ये। J से नाम वाले लोगों के चाहने वाले कई होते हैं। हमसफर के रूप में ये जिन्हें मिल जाएं समझिए खुशनसीब हैं वह। जीवन के हर मोड़ पर ये साथ निभानेवाले होते हैं।

K- से नाम वाले लोगों को हर चीज में परफेक्शन चाहिए। चाहे बेडशीट के बिछाने का तरीका हो या फिर ऑफिस की फाइलें, सारी चीजें इन्हें सेट चाहिए। दूसरों से हटकर चलना बेहद भाता है इन्हें। ये अपने बारे में पहले सोचते हैं। पैसे कमाने के मामले में भी ये काफी आगे चलते हैं।स्वभाव से ये रोमांटिक होते हैं। अपने प्यार का इजहार खुलकर करना इन्हें खूब आता है। इन्हें स्मार्ट और समझदार साथी चाहिए और जब तक ऐसा कोई न मिले तब तक किसी एक पर टिकते नहीं हैं  ।

L- से शुरू होने वाले नाम के लोग काफी चार्मिंग होते हैं। इन्हें बहुत ज्य़ादा पाने की तमन्ना नहीं होती, बल्कि छोटी-मोटी खुशियों से ये खुश रहते हैं। पैसों को लेकर समस्या बनती है, लेकिन किसी न किसी रास्ते इन्हें हल भी मिल जाता है। लोगों के साथ प्यार से पेश आते हैं ये। कल्पनाओं में जीते हैं और फैमिली को अहम हिस्सा मानकर चलते हैं ये।प्यार की बात करें तो इनके लिए इस शब्द के मायने ही सबकुछ हैं। बेहद ही रोमांटिक होते हैं ये। वैसे सच तो यह है कि अपनी काल्पनिक दुनिया का जिक्र ये अपने हमसफर तक से करना नहीं चाहते। प्यार के मामले में भी ये आदर्शवादी किस्म के होते हैं।

M-नाम से शुरू होनेवाले लोग बातों को मन में दबाने वाली प्रवृत्ति के होते हैं। कहते हैं ऐसा नेचर कभी-कभी दूसरों के लिए खतरनाक भी साबित हो जाता है। चाहे बात कड़वी हो, यदि खुलकर कोई कह दे तो बात वहीं खत्म हो जाती है, लेकिन बातों को मन रखकर उस चलने से नतीजा अच्छा नहीं रहता। ऐसे लोगों से उचित दूरी बनाए रखना बेहतर है। इनका जिद्दी स्वभाव कभी-कभार इन्हें खुद परेशानी में डाल देता है। वैसे अपनी फैमिली को ये बेहद प्यार करते हैं। खर्च करने से पहले ज्यादा सोच-विचार नहीं करते।

N- से शुरू होनेवाले नाम के लोग खुले विचारों के होते हैं। ये कब क्या करेंगे इसके बारे में ये खुद भी नहीं जानते। बेहद महत्वाकांक्षी होते हैं। काम के मामले में परफेक्शन की चाहत इनमें होती है। आपके व्यक्तित्व में ऐसा आकर्षण होता है, जो सामने वालों को खींच लाता है। ये दूसरों से पंगे लेने में ज्यादा देर नहीं लगाते। इन्हें आधारभूत चीजों की कभी कोई कमी नहीं रहती और आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न होते हैं ये।कभी-कभार फ्लर्ट चलता है, लेकिन प्यार में वफादारी करना इन्हें आता है। स्वभाव से रोमांटिक और रिश्तों को लेकर बेहद संवेदनशील होते हैं ये।

O- अक्षर से नाम के लोगों के स्वभाव की बात करें तो बता दें कि इनका दिमाग काफी तेज दौड़ता है। ये बोलते कम हैं और करते ज्यादा हैं, शायद यही वजह है कि ये जल्दी ही उन हर ऊंचाइयों को छू लेते हैं जिनका ख्वाब ये देखा करते हैं। इन सबके बावजूद समाज के साथ चलना इन्हें पसंद है। जीवन के हर क्षेत्र में सफल होते हैं।प्यार की बात करें तो ये ईमानदार किस्म के होते हैं। साथी को धोखा देना इन्हें पसंद नहीं और ऐसा ही उनसे भी अपेक्षा रखते हैं। जिससे कमिटमेंट हो गया, बस पूरी जिंदगी उसपर न्योछावर करने को तैयार रहते हैं ये।

P- से शुरू होनेवाले नाम के लोग उलझनों में फंसे रहते हैं। वैसे, ये चाहते कुछ हैं और होता कुछ अलग ही है। काम को परफेक्शन के साथ करते हैं। इनके काम में सफाई और खरापन साफ झलकती है। खुले विचार के होते हैं ये। अपने आसपास के सभी लोगों का ख्याल रखते हैं और सबको साथ लेकर चलना चाहते हैं। हां, कभी-कभार अपने विचारों के घोड़े सबपर दौड़ाने की इनकी कोशिश इन्हें नुकसान भी पहुंचाती है।प्यार की बात करें तो सबसे पहले ये अपनी छवि से प्यार करते हैं। इन्हें खूबसूरत साथी खूब भाता है। कभी-कभार अपने साथी से ही दुश्मनी भी पाल लेते हैं, लेकिन चाहे लड़ते-झगड़ते सही साथ उनका कभी नहीं छोड़ते।

Q-से नाम वाले लोगों को जीवन में ज्यादा कुछ पाने की इच्छा नहीं होती, लेकिन नसीब इन्हें देता सब है। ये स्वभाव से सच्चे और ईमानदार होते हैं। नेचर से काफी क्रिएटिव होते हैं। अपनी ही दुनिया में खोए रहना इन्हें अच्छा लगता है।प्यार की बात करें तो ये अपने साथी के साथ नहीं चल पाते। कभी विचारों में तो कभी काम में असमानता इन्हें झेलना ही पड़ता है। वैसे, आपके प्रति आकर्षण आसानी से हो जाता है।

R- से नाम वाले लोग ज्यादा सोशल लाइफ जीना पसंद नहीं करते। हालांकि, फैमिली इनके लिए मायने रखती है और पढ़ना-लिखना इन्हें नहीं भाता। जो भीड़ करे, उसे करने में इन्हें मजा नहीं आता। ये तो वह काम करना चाहते हैं, जिसे कोई नहीं कर सकता। R से नाम वाले लोग काफी तेजी से आगे बढ़ते हैं और धन-दौलत की कोई कमी नहीं रहती।अपने से ऊपर सोच-समझ और बुद्धि वाले लोग इन्हें आकर्षित करते हैं। दिखने में खूबसूरत और कोई ऐसा जिसपर आपको गर्व हो उनकी ओर आप खिंचे चले जाते हैं। वैसे वैवाहिक जीवन में उठा-पटक लगा ही रहता है।जिन्हें ये फाइनली दिल में बिठा लेते हैं उनके प्रति पूरी तरह से सच्चे हो जाते हैं।

S- से नाम वाले लोग काफी मेहनती होते हैं। ये बातों के इतने धनी होते हैं कि सामने वाला इनकी और प्रभावित हो ही जाता है। दिमाग से तेज और सोच-विचार कर काम करते हैं ये। इन्हें अपनी चीजें शेयर करना पसंद नहीं। ये दिल से बुरे नहीं होते, लेकिन उनके बातचीत का अंदाज़ इन्हें लोगों के सामने बुरा बना देती है। बिजनेस व्यापार में अनेकों बार बदलाव भी आते हैं l पेट संबंधी रोग जल्दी कर लेते हैं l

T- से शुरू होनेवाले नाम के लोग खर्च के मामले में एकदम खुले हाथ वाले होते हैं। चार्मिंग दिखने वाले ये लोग खुशमिजाज भी खूब रहते हैं। मेहनत करना इन्हें उतना अच्छा नहीं लगता, लेकिन पैसों की कभी कमी नहीं होती इन्हें। अपने दिल की बात किसी से जल्दी शेयर नहीं करते ये।प्यार की बात करें तो रिश्तों को लेकर काफी रोमांटिक होते हैं। लेकिन बातों को गुप्त रखने की आदत भी इनमें होती है।

U- से शुरू होनेवाले नाम के लोग कोशिश तो बहुत-कुछ करने की करते हैं, लेकिन इनका काम बिगड़ते भी देर नहीं लगती। किसी का दिल कैसे जीतना है, वह इनसे सीखना चाहिए। दूसरों के लिए किसी भी तरह ये वक्त निकाल ही लेते हैं। ये बेहद होशियार किस्म के होते हैं। तरक्की के मार्ग आगे बढ़ने पर ये पीछे मुड़कर नहीं देखते।आप चाहते हैं कि आपका साथी हमेशी भीड़ में अलग नज़र आए। वह साथ न भी हो तो आप हर वक्त उन्ही के ख्यालों में डूबे रहना पसंद करते हैं। अपनी खुशी से पहले साथी की खुशियों का ध्यान रखते हैं ये।

V- से शुरू वाले नाम के व्यक्ति स्वभाव से थोड़े ढीले होते हैं। इन्हें जो मन को भाता है वही काम करते हैं। दिल के साफ होते हैं, लेकिन अपनी बातें किसी से शेयर करना इन्हें अच्छा भी नहीं लगता। बंदिशों में रखकर इनसे आप कुछ नहीं करा सकते।बात प्यार की करें तो ये ये अपने प्यार का इजहार कभी नहीं करते। जिन बातों का कोई अर्थ नहीं या यूं कहिए कि हंसी-ठहाके में कही गई बातों से भी आप काफी गहरी बातें निकाल ही लेते हैं। कभी-कभीर ये बाते आपके लिए ही मुसीबत खड़ी कर देती हैं।

W से शुरू होनेवाले नाम के लोग संकुचित दिल के होते हैं। एक ही ढर्रे पर चलते हुए ये बोर भी नहीं होते। ईगो वाली भावना तो इनमें कूट-कूटकर भरी होती है। ये जहां रहते हैं वहीं अपनी सुनाने लग जाते हैं, जिससे सामने वाला इंसान इनसे दूर भागने लगता है। हालांकि, हर मामले में सफलता इनकी मुट्ठी तक पहुंच ही जाती है।प्यार की बात करें तो ये न न करते हुए ही आगे बढ़ते हैं। हालांकि, इन्हें ज्यादा दिखावा पसंद नहीं और अपने साथी को उसी रूप में स्वीकार करते हैं जैसा वह वास्तव में है।

X- से नाम वाले लोग जरा अलग स्वभाव के होते हैं। ये हर मामले में परफेक्ट होते हैं, लेकिन न चाहते हुए भी गुस्से के शिकार हो ही जाते हैं ये। इन्हें काम को स्लो करना पसंद नहीं, फटाफट निपटाने में ही यकीन रखते हैं ये। बहुत जल्दी चीजों से बोरियत हो जाती है इन्हें। ये क्या करने वाले हैं इस बात का पता इन्हें खुद भी नहीं होता।प्यार के मामले में फ्लर्ट करना इन्हें ज्यादा पसंद है। कई रिश्तों को एकसाथ लेकर आगे चलने की हिम्मत इनमें होती है।

Y-से शुरू होनेवाले नाम के लोगों से कभी भी सलाह लें, आपकी सही रास्ता दिखाएंगे वह। खर्च के लिए कभी सोचते नहीं, बस खाना अच्छा मिले तो हमेशा खुश रहेंगे। अच्छी पर्सनैलिटी के बादशाह होते हैं। लोगों को दूर से ही पढ़ लेते हैं ये। इन्हें ज्यादा बातचीत करना पसंद नहीं। धन-दौलत नसीब तो होती है, लेकिन इन्हें पाने में वक्त लग जाता है।बात प्यार की करें तो इन्हें अपने साथी की कोई बात याद नहीं रहती। हालांकि सच्चे, खुले दिल और रोमांटिक नेचर के होने के कारण इनकी हर गलती माफ भी हो जाती है।

Z- से नाम वाले लोग दूसरों से काफी जल्दी घुल-मिल जाते हैं। गंभीरता इनके स्वभाव में है, लेकिन बड़े ही कूल अंदाज में ये सारे काम करते हैं। जो बोलते हैं साफ बोलते हैं और जिंदगी को इंजॉय करना इन्हें आता है। न मिलने वाली चीजों पर रोने की बजाय उसे छोड़कर आगे बढ़ना इन्हें पसंद है। इन्हें दिखावा नहीं पसंद। इनकी सादगी को देख इन्हें बेवकूफ समझना बहुत बड़ी बेवकूफी होगी। स्वभाव से ये रोमांटिक होते हैं। आपकी ओर कोई भी बड़ी आसानी से अट्रैक्ट हो जाता है। अपने प्यार के सामने आप किसी को अहमियत नहीं देते।