विवाह पूर्व कुण्डली मिलान कितना ज़रूरी ?

विवाह पूर्व कुंडली मिलान या गुण मिलान को अष्टकूट मिलान या मेलापक मिलान कहते हैं। इसमें लड़के और लड़की केजन्मकालीन ग्रहों तथा नक्षत्रों में परस्पर साम्यता, मित्रता तथा संबंध पर विचार किया जाता है। शास्त्रों में मेलापक के 2 भेद बताएगए हैं। एक ग्रह मेलापक तथा दूसरा नक्षत्र मेलापक। इन दोनों के आधार पर लड़के और लड़की की शिक्षा, चरित्र, भाग्य, आयु तथाप्रजनन क्षमता का आकलन किया जाता है। नक्षत्रों केअष्टकूटतथा 9 ग्रह (परंपरागत) इस रहस्य को व्यक्त करते हैं।

अष्टकूट सूत्र में दोनों के आपसी गुणधर्मों को 8 भागों में बांटा गया है। ये 8 गुण जन्म राशि एवं नक्षत्र पर आधारित हैं। दोनों कीकुंडली में जन्म समय चन्द्र जिस राशि एवं नक्षत्र में होता है उन्हें जातक की व्यक्तिगत राशि एवं नक्षत्र कहा जाता है। 8 गुणों कोक्रमश: 1 से 8 अंक दिए गए हैं, जो कुल मिलाकर 36 होते हैं। प्रत्येक गुण के अलगअलग अंक निर्धारित हैं। इन 36 अंकों में से सेकम से कम 19 अंक मिल जाने से मिलान को ठीक माना जाता है, लेकिन इसके लिए उसका नाड़ी मिलान होना जरूरी होता है।

अष्टकूट मिलान में वर्ण, वश्य, तारा, योनि, राशी (ग्रह मैत्री), गण, भटूक और नाड़ी का मिलान किया जाता है। अष्टकूट मिलान हीकाफी नहीं है। कुंडली में मंगल दोष भी देखा जाता है, फिर सप्तम भाव, सप्तमेश, सप्तम भाव में बैठे ग्रह, सप्तम और सप्तमेश कोदेख रहे ग्रह और सप्तमेश की युति आदि भी देखी जाती है।

1. वर्ण : वर्ण का अर्थ होता है स्वभाव और रंग। वर्ण 4 होते हैंब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। लड़के या लड़की की जाति कुछ भीहो लेकिन उनका स्वभाव और रंग उक्त 4 में से 1 होगा। मिलान में इस मानसिक और शारीरिक मेल का बहुत महत्व है। यहां रंग काइतना महत्व नहीं है जितना कि स्वभाव का है।

 2. वश्य : वश्य का संबंध भी मूल व्यक्तित्व से है। वश्य 5 प्रकार के होते हैंचतुष्पाद, कीट, वनचर, द्विपाद और जलचर। जिसप्रकार कोई वनचर जल में नहीं रह सकता, उसी प्रकार कोई जलचर जंतु कैसे वन में रह सकता है?

 3. तारा : तारा का संबंध दोनों के भाग्य से है। जन्म नक्षत्र से लेकर 27 नक्षत्रों को 9 भागों में बांटकर 9 तारा बनाई गई हैजन्म, संपत, विपत, क्षेम, प्रत्यरि, वध, साधक, मित्र और अमित्र। वर के नक्षत्र से वधू और वधू के नक्षत्र से वर के नक्षत्र तक तारा गिनने परविपत, प्रत्यरि और वध नहीं होना चाहिए, शेष तारे ठीक होते हैं।

 4. योनि : योनि का संबंध संभोग से होता है। जिस तरह कोई जलचर का संबंध वनचर से नहीं हो सकता, उसी तरह से ही संबंधों कीजांच की जाती है। विभिन्न जीवजंतुओं के आधार पर 13 योनियां नियुक्त की गई हैंअश्व, गज, मेष, सर्प, श्‍वान, मार्जार, मूषक, महिष, व्याघ्र, मृग, वानर, नकुल और सिंह। हर नक्षत्र को एक योनि दी गई है। इसी के अनुसार व्यक्ति का मानसिक स्तर बनता है।विवाह में विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण योनि के कारण ही तो होता है। शरीर संतुष्टि के लिए योनि मिलान भी आवश्यक होता है।

5. राशिश या मैत्री : राशि का संबंध व्यक्ति के स्वभाव से है। लड़के और लड़कियों की कुंडली में परस्पर राशियों के स्वामियों कीमित्रता और प्रेमभाव को बढ़ाती है और जीवन को सुखमय और तनावरहित बनाती है।

 6 . गण : गण का संबंध व्यक्ति की सामाजिक स्थिति को दर्शाता है। गण 3 प्रकार के होते हैंदेव, राक्षस और मनुष्य।

7. भकूट : भकूट का संबंध जीवन और आयु से होता है। विवाह के बाद दोनों का एकदूसरे का संग कितना रहेगा, यह भकूट से जानाजाता है। दोनों की कुंडली में राशियों का भौतिक संबंध जीवन को लंबा करता है और दोनों में आपसी संबंध बनाए रखता है।

 8. नाड़ी : नाड़ी का संबंध संतान से है। दोनों के शारीरिक संबंधों से उत्पत्ति कैसी होगी, यह नाड़ी पर निर्भर करता है। शरीर में रक्तप्रवाह और ऊर्जा का विशेष महत्व है। दोनों की ऊर्जा का मिलान नाड़ी से ही होता है।

राहु काल में क्या करें और क्या नहीं

राहु काल में क्या न करें:
1. इस काल में यज्ञ, पूजा, पाठ आदि नहीं करते हैं, क्योंकि यह फलित नहीं होते हैं।
2. इस काल में नए व्यवसाय का शुभारंभ भी नहीं करना चाहिए।
3. इस काल में किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए यात्रा भी नहीं करते हैं।
4. यदि आप कहीं घूमने की योजना बना रहे हैं तो इस काल में यात्रा की शुरुआत न करें। यदि राहु काल के समय यात्रा करना जरूरी हो तो पान, दही या कुछ मीठा खाकर निकलें। घर से निकलने के पूर्व पहले 10 कदम उल्टे चलें और फिर यात्रा पर निकल जाएं।
5. इस काल में खरीदी-बिक्री करने से भी बचना चाहिए क्योंकि इससे हानि भी हो सकती है।
6. राहु काल में विवाह, सगाई, धार्मिक कार्य या गृह प्रवेश जैसे कोई भी मांगलिक कार्य नहीं करते हैं। यदि कोई मंगलकार्य या शुभकार्य करना हो तो हनुमान चालीसा पढ़ने के बाद पंचामृत पीएं और फिर कोई कार्य करें।
7. इस काल में शुरु किया गया कोई भी शुभ कार्य बिना बाधा के पूरा नहीं होता। इसलिए यह कार्य न करें।
8. राहु काल के दौरान अग्नि, यात्रा, किसी वस्तु का क्रय विक्रय, लिखा पढ़ी व बहीखातों का काम नहीं करना चाहिए।
9. राहु काल में वाहन, मकान, मोबाइल, कम्प्यूटर, टेलीविजन, आभूषण या अन्य कोई भी बहुमूल्य वस्तु नहीं खरीदना चाहिए।
10. कुछ लोगों का मानना हैं कि राहु काल के समय में किए गए कार्य विपरीत व अनिष्ट फल प्रदान करते हैं।
क्या कर सकते हैं?
1. राहुकाल से संबंधित कार्य शुरु किए जा सकते हैं।
2. राहु ग्रह की शांति के लिए या दोष दूर करने हेतु कर्मकांड मंत्र पाठ आदि किए जा सकते हैं।
3. कालसर्प दोष की शांति के उपाय किए जा सकते हैं।
4. राहु का यंत्र धारण या राहु यंत्र दर्शन कार्य भी किए जा सकते हैं।
5. ध्यान, भक्ति के अलावा मौन रह सकते हैं।

Covid-19(करोना वायरस) ज्योतिष की नजर से

ज्योतिषीय गणना के मुताबिक भी यह समय संक्रमण काल है-वेदों में उल्लेख है-कलयुग में ऐसी भारी व्याधि, वायरस/संक्रमण उत्पन्न होंगे कि मनुष्य का पल में प्रलय हो जाएगा। इस संक्रमित काल में एक-दूसरे को छूने मात्र से मनुष्य तत्काल संक्रमित होकर छुआछूत से मर जाएगा। रोगों को ठीक करने का मौका नहीं मिलेगा।

ज्योतिष या एस्ट्रोलॉजी में कोरोना वायरस के कारण

अथर्ववेद सूक्त-२५ के अनुसार-
अधरांच प्रहिणोमि नमः कृत्वा तक्मने।
मकम्भरस्य मुष्टि हा पुनरेतु महावृषान्।।

अर्थात-
कलयुग में कोई-कोई संक्रमण बड़ा भयानक विकार होगा। यह शक्तिशाली देश और पुष्ट मनुष्य को भी मुट्ठियों से
मारने वाला सिद्ध होगा।

यह वायरस अति वर्षा या सर्वाधिक जल भरे देशों में हर साल, बार-बार आएगा।

शनि से जब हो अन्याय की तना-तनी

5 नवंबर 2019 को शनि देव 30 साल बाद पुनः अपनी स्वयं की मकर राशि में विराजमान हुए हैं। मकर पृथ्वी तत्व की राशि है। जब-जब शनि देव पृथ्वी तत्व की राशि में आते हैं, तब-तब पृथ्वी पर भूचाल मचा देते हैं। सूर्य के नक्षत्र में आने पर शनियह विकार प्रदाता ग्रह हो जाते हैं।

कब-कब चली शनि की छैनी

सन् 547 में शनिदेव इसी मकर राशि में जब आए और राहु मिथुन राशि में थे। गुरु-केतु की युति ने दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी को परेशान कर दिया था। मिस्र/इजिप्ट से फैला बुबोनिक नामक वायरस जिसे ‘फ्लैग ऑफ जस्टिनयन’ कहा गया।

बाद में इसने रोमन साम्राज्य की नींव हिला दी थी।इससे पहले भी ऐसे ग्रह योग ने मचाई थी तबाही…इतिहासकार प्रोसोपियस के अनुसार यहां एक घंटे में 10 से 15 हजार लोगों को इस वायरस ने मौत की नींद सुला दिया था।

हिस्ट्री ऑफ डेथ नामक किताब के हिसाब से सन 1312 के आसपास शनिदेव जब अपनी ही स्वराशि मकर
में आए, संयोग से राहु तब भी आद्रा नक्षत्र के मिथुन राशि में वक्री गति से परिचालन कर रहे थे, तब 75 लाख लोग फ्लैग वायरस की वजह से कुछ ही दिन में मर गए थे। यह विभत्स दिन आज भी ब्लेक डेथ के नाम से कलंकित है।

सन 1343 से 1348 के मध्य भी अपनी खुद की राशि मकर-कुंभ में आए, तो फ्लैग वायरस ने 25 से 30 हजार
लोगों को फिर मौत की नींद सुला दिया था।

शनि करते हैं पिता सूर्य का सम्मान

दरअसल शनि के पिता सूर्य हैं और सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है।

जब लोग नियम-धर्म या प्रकृति के विपरीत चलते हैं,तो सूर्य की शक्ति क्षीण और आत्मा कमजोर हो जाती है।

शनि, गुरु, केतु यह तीनों भौतिकता या एशोआराम के विपरीत ग्रह हैं। दुनिया जब अपनी मनमानी करने
लगती है, तब शनि कष्ट देकर, निखारकर लोगों को धर्म, ईश्वर, सद्मार्ग, अध्यात्म से जोड़कर धार्मिक बना देते हैं।

शनि उन्हीं को पीड़ित करते हैं,जो धर्म या ईश्वर को नहीं मानते। प्रकृति के खिलाफ चलने वालों को शनिदेव नेस्तनाबूद करके ही दम लेते हैं।

बिना स्नान किए अन्न ग्रहण, बिस्कुट आदि का सेवन करने से यह बहुत ज्यादा परेशान करते हैं।

शनि को सीधा निशाना उन लोगों पर भी होता है, जो शनिवार के पूरे शरीर में तेल नहीं लगाकर स्नान करते हैं।

शनिदेव को खुशबूदार इत्र, गुलाब,चन्दन, अमॄतम कुंकुमादि तेल,जैतून, बादाम तेल अतिप्रिय हैं।

शनि की मार से मरा, फिर संसार

सन् 1667 के आरंभ में शनिदेव जब मकर राशि में आए, तो एक दिन में लाखों लोगों को लील गए, जिसे फ्लैग ऑफ लंदन कहते हैं।

10 फरवरी 1902 के दिन शनि ने पुनः मकर राशि के उत्तराषाढ़ा सूर्य के नक्षत्र में आकर दुनिया में बीमारियों का कहर बरपा दिया था, जब अमेरिका के सनफ्रांसिको में लाखों लोग पल में प्रलय को प्राप्त हुए।

गुजरात के सूरत शहर में जब एक रहस्यमयी बीमारी के चलते लाखों लोग संक्रमित हुए थे तब भी शनिदेव अपनी ही स्वराशि मकर में गोचर कर रहे थे।

केतु का काला करिश्मा

सन 1991 में ऑस्ट्रेलिया में माइकल एंगल नाम का बड़ा कम्प्यूटर वायरस सामने आया था जिसने इंटरनेट और कम्यूटर फील्ड में वैश्‍विक स्‍तर पर बड़े नुकसान किये थे और उस समय भी गोचर में गुरु-केतु का चांडाल योग बना हुआ था।

अभी 15 वर्ष पूर्व सन 2005 में एच-5 एन-1नाम से एक बर्डफ्लू फैला था और उस समय में भी गोचर में बृहस्पति-केतु चांडाल का योग बना हुआ था।

ऐसे में जब भी गुरु-केतु एक ही राशि में एक साथ होते हैं, तो इस तरह की महामारी फैलती है। उस समय में बड़े संक्रामक रोग और महामारियां सामने आती हैं।

2005 में जब गुरु चांडाल योग (बृहस्पति-केतु युति) के दौरान बर्डफ्लू सामने आया था।

कोरोना वायरस का कारक शनि भी हो सकता है

सन 2019 नवम्बर में शनि मकर राशि के उत्तराषाढा नक्षत्र में प्रवेश करते ही दुनिया धधक उठी। उत्तराषाढा नक्षत्र के अधिपति भगवान सूर्य हैं। जब तक शनि इस नक्षत्र में रहेंगे,तब तक प्रकार से दुनिया त्रस्त और तबाह
हो जाएगी। अभी जनवरी 2021 तक शनि, सूर्य के नक्षत्र रहेंगे। अभी यह अंगड़ाई है। 22 मार्च 2020 को शनि के साथ मंगल भी आ जाएंगे। मंगल भूमिपति अर्थात पृथ्वी के स्वामी है। इन दोनों का गठबंधन और भी नए गुल खिलाएगा। मकर मंगल की उच्च राशि भी है।

अनेक अग्निकांडों से, जंगल में आग आदि विस्फोटों से सृष्टि थरथरा जाएगी। इस समय कोई देश परमाणु हमले भी कर सकता है। शनि-मंगल की युति यह बुद्धिहीन योग भी कहलाता है।

2020 में क्लेश ही क्लेश

गुरु-केतु की युति से निर्मित चांडाल योग राजनीति में बम विस्फोट करता रहेगा। राज्य सरकारों की अदला-बदली का रहस्यमयी खेल चलता रहेगा।कुछ बड़े राजनेताओं, पुलिस अधिकारीयों,न्यायधीशों के जेल जाने से देश में अफरा-तफरी का माहौल बनेगा।

दुनिया के कई देशों में बमबारी हो सकती है। गृहयुद्ध, कर्फ्यू आदि लग सकता है। कुछ देश अपने ही नागरिकों को मारने का भरसक प्रयास करेंगे। मानव संस्कृति के लिए ये वक्त बहुत भयानक होगा। शनि के संग मंगल की युति किसी अप्रिय घटना का इतिहास बनाता है।

इस समय ऐसी घटनाएं उन फर्जी लोगों के साथ ज्यादा होंगी, जो बाला जी की अर्जी लगाकर, अपनी मनमर्जी से चलते हैं। यह समय बहुत भय-भ्रम, आकस्मिक दुर्घटनाओं के वातावरण से भरा होगा। किसी-किसी देश में इमरजेंसी जैसा माहौल हो सकता है। कुछ देश टूट भी सकते हैं। बंटवारे की भी संभावना है।

कोरोना वायरस जैसी महामारी के साथ-साथ और भी बीमारियां मानव जाति को खत्म कर सकती हैं,जो लोग अधार्मिक हैं।

वेद एवं ज्योतिष कालगणना अनुसार कलयुग में जब सूर्य-शनि एक साथ शनि की राशि मकर में होंगे। राहु स्वयं के नक्षत्र आद्रा में परिभ्रमण करेंगे और विकार या विकारी नाम संवत्सर होगा।

क्या है विकार नामक संवत्सर-
जैसे साल में बारह महीने होते हैं, वैसे ही संवत्सर 60 होते हैं। यह वर्ष में 2 आते हैं। तीस साल बार पुनः प्रथम संवत्सर
का आगमन होता है। विकार या विकारी नामक हिन्दू धर्म में मान्य संवत्सरों में से एक है।

यह 60 संवत्सरों में तेतीसवां है। इस संवत्सर के आने पर विश्व में भयंकर विकार या वायरस फैलते हैं। इसीलिए इसे
विकारी नाम संवत्सर कहा जाता है। जल वृष्टि या वर्षा अधिक होती है। मौसम में ठंडक रहती है। इस समय
पृथ्वी/प्रकृति के स्वभाव को समझना मुश्किल होता है।

विकार नामक संवत्सर के लक्षण/फल :
मांस-मदिरा सेवन करने वाले दुष्ट व शत्रु कुपित दुःखी या बीमार रहते हैं और श्लेष्मिक यानि कफ, सर्दी-खांसी,
जुकाम का पुरजोर संक्रमण होता है। पित्त रोगों की अधिकता रहती है। चंद्रमा को विकारी संवत्सर का स्वामी कहा गया है।

सन 2019 के अंत के दौरान गुरु-केतु की युति से चांडाल योग निर्मित हुआ। यह बड़े-बड़े चांडाल, फ्रॉड, बेईमान
दयाहीन, अहंकारी लोगों को सड़कों पर लाकर खड़ा कर देगा।

भयानक गरीबी, मारकाट फैलने का भय हो सकता है। एक आंख में सूरज थामा, दूसरे में चंद्रमा आधा। चारों वेदों में सूर्य को ऊर्जा का विशालस्त्रोत और महादेव की आंख माना है।

दीर्घमायुर्बलं वीर्यं व्याधि शोक विनाशनम्
सूर्य पादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम्।।

भावार्थ: सूर्य ही एक मात्र ऐसी शक्ति है,जो देह को रोगरहित बनाकर लंबी उम्र,बल-बुद्धि एवं वीर्य की वृद्धि कर
सभी व्याधि-विकार, रोग-बीमारी,शोक-दुःख का विनाश कर देते हैं।

संक्रमण/वायरस प्रदूषण नाशक सूर्य
सूर्य एक चलता-फिरता, मोबाइल प्राकृतिक चिकित्सालय है। सूर्य की सप्तरंगी किरणों में अद्भुत रोगनाशक शक्ति होती है।

अथर्ववेद (3.7) में वर्णित है-
‘उत पुरस्तात् सूर्य एत, दुष्टान् च ध्नन्
अदृष्टान् च, सर्वान् च प्रमृणन् कृमीन्।’
अर्थात-
सूर्य के प्रकाश में, दिखाई देने या न
दिखने वाले सभी प्रकार के प्रदूषित जीवाणुओं-कीटाणुओं और रोगाणुओं को नष्ट करने की क्षमता है। सूर्य की सप्त किरणों में औषधीय गुणों का अपार भंडार है।

13 जून 2020 इस विश्वव्यापी महामारी के विघटन का समय बनेगा 2020 अन्य प्राकृतिक आपदाओं का भी साक्षी बनेगा ईश्वरीय वंदन एक महत्वपूर्ण औषधि है जिससे इस मुश्किल समय में आने वाली चिन्ताओं से मानसिक रूप से मुक्ति पाई जा सकती है

जानिए क्या हैं रक्षा सूत्र बांधने के फायदे

हमारी भारतीय संस्कृति में धार्मिक अनुष्ठान हो या पूजा-पाठ हो या कोई मांगलिक कार्य हो या फिर देवों की आराधना हो, सभी शुभ कार्यों में हाथ की कलाई पर लाल धागा यानी कि मौली बांधने की परंपरा होती है, परन्तु क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर मौली यानि कलावा क्यों बांधते हैं? आखिर इसकी वजह क्या है? आइये आपको बताते हैं कलावा यानी रक्षा सूत्र बांधने के वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों महत्व के बारे में ।

कलावे को बांधने का वैज्ञानिक व धार्मिक महत्व –

कलावा यानि ‘मौली’ का शाब्दिक अर्थ है ‘सबसे ऊपर’, और मौली का तात्पर्य सिर से भी होता है, और मौली को कलाई में बांधने के कारण इसे कलावा भी कहते हैं और इसका वैदिक नाम उप मणिबंध भी है।

शंकर भगवान के सिर पर चन्द्रमा विराजमान हैं, इसीलिए उन्हें चंद्रमौली भी कहा जाता है.

मौली कच्चे धागे से बनाई जाती है, इसमें मूलत: 3 रंग के धागे होते हैं, लाल, पीला और हरा परन्तु कभी-कभी ये 5 धागों की भी बनती है जिसमें नीला और सफेद भी होता है, 3 और 5 का मतलब कभी त्रिदेव के नाम की, तो कभी पंचदेव होता है।

कलावा बांधने से त्रिदेव, ब्रह्मा, विष्णु व महेश तथा तीनों देवियों लक्ष्मी, पार्वती व सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है।

ब्रह्मा जी की कृपा से कीर्ति की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु जी की अनुकंपा से रक्षा बल मिलता है और भगवान शिव जी दुर्गुणों का विनाश करते हैं।

कलावा बांधने से दूर होती हैं बीमारियां भी –

स्वास्थ्य के अनुसार रक्षा सूत्र बांधने से कई बीमारियां दूर होती है, जिसमें कफ, पित्त आदि शामिल है, क्योंकि शरीर की संरचना का प्रमुख नियंत्रण हाथ की कलाई में होता है इसलिए कलाई में रक्षा सूत्र बांधने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है।

और ऐसी भी मान्यता है कि रक्षा सूत्र बांधने से बीमारी भी अधिक नहीं बढ़ती है जैसे कि ब्लड प्रेशर, हार्ट अटेक, डायबिटीज और लकवा जैसे रोगों से बचाव के लिये मौली बांधना लाभकारी बताया गया है।

 रक्षा सूत्र का महत्व –

कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने से जीवन में आने वाले संकट से यह आपकी रक्षा करता है और वेदों में भी इसके बारे में बताया गया है कि जब वृत्रासुर से युद्ध के लिए इंद्र जा रहे थे तब इंद्राणी ने इंद्र की रक्षा के लिए उनकी दाहिनी भुजा पर रक्षासूत्र बांधा था, जिसके बाद वृत्रासुर को मारकर इंद्र विजयी बने और तभी से यह परंपरा चलने लगी है।

रक्षा सूत्र को कब और कैसे धारण करना चाहिए –

पुरुषों व अविवाहित कन्याओं के दाएं हाथ में और विवाहित महिलाओं के बाएं हाथ में रक्षा सूत्र बांधी जाती है।

जिस हाथ में कलावा या मौली बांधें उसकी मुट्ठी बंधी हो एवं दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए।

कलावा को हमेशा पांच या सात बार घूमाकर हाथ में बांधना चाहिए।

मंगलवार और शनिवार के दिन पुरानी मौली उतारकर नई मौली बांधना चाहिए।

कभी भी पुरानी मौली का फेंकना नहीं चाहिए बल्कि इसे किसी पीपल के पेड़ के नीचे डाल देना चाहिए।

जानिए राशि अनुसार किस राशि के लोगों को कौन सा धागा धारण करना चाहिए-

मौली यानी रक्षा सूत्र शत प्रतिशत कच्चे धागे ,सूत, की ही होनी चाहिए।मौली बांधने की प्रथा तब से चली आ रही है जब दानवीर राजा बलि के लिए वामन भगवान ने उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था।

मेष और वृश्चिक- मंगल और हनुमान – भगवान हनुमान जी या मंगल ग्रह की कृपा पाने के लिए लाल रंग का धागा हाथ में बांधना चाहिए।

वृषभ और तुला- शुक्र और लक्ष्मी – शुक्र या माँ लक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए सफेद रेशमी धागा बांधना चाहिए।

मिथुन और कन्या- बुध – बुध के लिए हरे रंग का सॉफ्ट धागा बांधना चाहिए।

कर्क- चंद्र और शिव – भगवान शिव जी की कृपा या चंद्र के अच्छे प्रभाव को पाने के लिए भी सफेद धागा बांधना चाहिए।

धनु और मीन- गुरु और विष्णु – गुरु के लिए हाथ में पीले रंग का रेशमी धागा बांधना चाहिए।

मकर और कुंभ- शनि – शनि जी की कृपा पाने के लिए नीले रंग का सूती धागा बांधना चाहिए।

राहु- केतु और भैरव – राहु-केतु और भैरव जी की कृपा पाने के लिए काले रंग का धागा बांधना चाहिए।

सकारात्मक जीवन के लिए टिप्स

आज के युग में औरतों को अपने घर और बाहर, दोनों जगह कई काम निपटाने होते हैं, जिसके कारण उनके ऊपर अत्यधिक तनाव का बोझ रहता है। औरतें एक बहन, मां और पत्नी के तौर पर अपने पारिवारिक सदस्यों की देखभाल करती हैं। जीवन के हर बदलते पड़ाव के साथ-साथ एक महिला को जीवन भर अपने स्वास्थ्य के बेहद सावधानी से ध्यान रखना चाहिये। उसे नियमित व्यायाम, स्वस्थ खान-पान और योग आदि भी करना चाहिये। कामकाज़ी महिलाओं का सारा वक़्त, घर और ऑफिस के बीच तालमेल बिठाने की जद्दोज़हत में निकल जाता है और सेहत पर ध्यान देना सबसे गैरज़रूरी बात हो जाती है।

घर की महिलाओं का भी फिट रहना उतना ही ज़रूरी जितना की पुरुषों का। लेकिन अकसर घर या ऑफिस के कामों में उलझी महिलाओं को अपनी फिटनेस पर ध्यान देने का मौका या फिर यूँ कहें समय नहीं मिलता। हमें इस बात को स्वीकार करना होगा की यदि वह स्वस्थ रहेगी तभी अपने परिवार को स्वस्थ रख सकेंगी।

इस बात में कोई संदेह नहीं की घर की बेटी सेहतमंद होगी तो आनेवाली पीढियां भी स्वस्थ होंगी। महिलाएं घर चलाती हैं, उनका फिट रहना सबसे ज्यादा ज़रूरी है, फिर चाहे वो हाउस वाइव्स हों या कामकाजी। हमने अपने घर में भी माँ और मेरी नानी को हर तरह की मुश्किलों का सामना करते देखा है। हमारा मानना है कि स्वस्थ और सुखी महिला ही एक खुशहाल परिवार बना सकती है। इसलिए हमें यह स्वीकार करना ही होगा की हम स्वस्थ तो पूरा परिवार स्वस्थ रहेगा। आज हम आपको स्वयं को स्वस्थ और सकारात्मक बनाए रखने के लिए उपयोगी टिप्स दे रहे हैं-

तन-मन को रखे स्वस्थ

यह बात ध्यान रखे की अच्छी सेहत ही जीवन की कुंजी है। बीते वर्ष में आपकी सेहत जैसी भी रही हो, अपनी सेहत को बेहतर बनाने का संकल्प इस बार जरुर ले। खुद और परिवार के अन्य लोगो की हेल्थ के प्रति alert रहे। यह भी संकल्प ले। तन का ही नहीं, मन का भी ध्यान रखे। याद रखे की यदि आप शरीर से पूरी तरह फिट है, लेकिन अगर मन में शांति नहीं है, तो स्वस्थ तन को भी बीमार होते देर नहीं लगती। थोडा बहुत तनाव लेना ठीक है, पर ज्यादा तनाव लेने से अनिद्रा, तनाव, मोटापा, हृदय से सम्बन्धित बिमारियां होने लगती है। इसलिए आने वाले साल में स्वस्थ रहने का प्लान करे। नियमित रूप से व्यायाम करे।

मशीन के बजाय हाथ से घर का काम निपटाए। अच्छा खाना खाए, भरपूर नीद ले। ऐसे लोगो के संपर्क में रहे, जो सकारात्मक विचारधारा के हो। प्रेरक किताबे पढ़े। नियमित योग के साथ दिमागी कसरत वाले खेल खेले, ताकि आपका ध्यान फिजूल की बातो पर न लगे।

खुद से करे प्यार

इस दुनिया में कोई भी व्यक्ति 100% परफेक्ट नहीं है। उसमे कुछ न कुछ कमी तो होती ही है। याद रखिये रंग रूप, कद-काठी यह सब बाहरी चीजे है। असली व्यक्तित्व की रौशनी तभी नजर आती है, जब आपका मन, आपका स्वभाव भी चारो तरफ रौशनी फैलाये। इसलिए आपके अन्दर जो भी कमी है, उसे स्वीकार करे और उसे दूर करने का प्रयास करे। खुद से प्यार करना एक बहुत अच्छा कदम है।

रिश्तो में मीठापन रखे

यह बात कभी न भूले की हमारे रिश्ते रिटर्न बैक पालिसी की तरह होते है, जो मौका पड़ने पर आपके किये गये अच्छे व्यवहार के बदले आपका सहारा बनते है। आपके जीवन के खालीपन को भरते है और रोजाना के stress से आपको दूर रखते है। जिंदगी में खुश रहने के हमेशा दो स्तम्भ है- परिवार और दोस्त। इसलिए परिवार और दोस्तों का मजबूत होना बहुत जरुरी है। संकल्प ले अपने दोस्तों, परिवार के लोगो और पड़ोस से बेहतर रिश्ते करने की।

अगर रिश्तो में कड़वाहट या ग़लतफ़हमीयां है, तो उसे भी बातचीत से दूर करे। अपने परिवार के लिए समय निकाले, हो सके तो हर हफ्ते कही घुमने बाहर जाये। दोस्तों से जब भी मौका मिले फ़ोन से भी बात कर ले। office में सहकर्मियों के प्रति सहयोगात्मक रवैया बनाये रखे। पड़ोसियों की छोटी-छोटी बातो को नजरअंदाज करे। इससे रिश्तो में मिठास आएगी।

ना खोएं आत्मविश्वास

भले ही आपके पास कितनी ही डिग्रियां एवं योग्यताएं क्यों न हों, यदि आप में आत्मविश्वास नहीं है, तो सब बेकार है। आत्मविश्वास आपका जीवन ही नहीं बनाता, बल्कि आपके व्यक्तित्व को दोगुना बल भी देता है। आत्मविश्वास से किसी भी काम को करने और उस तक पहुंचने की एक साफ तस्वीर उभर के सामने आने लगती है। इससे कामयाबी के प्रति मन में भरोसा पैदा होता है। आत्मविश्वास एक ऐसा हथियार है, जो विपरीत परिस्थितियों में आपको कमजोर नहीं होने देता। यह विश्वास आपको सामर्थ्य देता है और सफलता की ओर अग्रसर करता है। इसलिए विपरीत परिस्थितियों में भी अपने आत्मविश्वास को डगमगाने न दें।

अपना नजरिया बदलें

आपका चीजों को देखने का नजरिया आपके जीवन की गुणवत्ता निर्धारित करता है। जैसा हमारा नजरिया होता है, वैसी ही हमारी सोच बनती है। किसी विषय पर संकुचित एवं छोटी सोच से हमेशा निराशा ही हाथ्‍ा लगती  है। अगर आपको अपना नजरिया बदलने में दिक्कत हो रही है, तो परेशान न हों, क्योंकि मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि आपके शरीर को किसी नई चीज से सामंजस्य बैठाने में कम से कम 40 दिन लगते हैं। फिर देर किसी बात की, अभी से इस पर काम करना शुरू कर दीजिए।

परीक्षा में बेहतर परिणाम के लिए आज़माएं ये उपाय

अक्सर देखा गया है कि कुछ मां बाप अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर कुछ ज्यादा ही चिंचित रहते हैं। उनकी यह चिंता बच्चों को चिंता में डाल देती है। बच्चा अगर रात दिन मेहनत करे लेकिन फिर भी अच्छे अंक न आएं तो मां बाप को लगता है कि उनका बच्चा ठीक से पढ़ाई नहीं कर रहा है! अगर बच्चा पढ़ाई में ध्यान न लगा पाए तो उसे डांटते हैं। सज़ा देते हैं। उसे कोसते हैं। लेकिन उसकी दिक्कत समझने की कोशिश नहीं करते! ज़रूरी नहीं कि हमेशा आपके बच्चे में कमी हो। हो सकता है उसकी दिक्कत कुछ और हो!

अगर आपका बच्चा ठीक से पढ़ाई नहीं कर पा रहा, पढ़ा हुआ भूल जाता है, रात दिन पढ़ाई करने के बावजूद भी अच्छे अंक नहीं ला पा रहा तो इसका अर्थ है कि आपके बच्चे को स्कूल और कॉलेज की किताबों के अलावा एक और किताब की ज़रूरत है। 19वीं शताब्दी की इस किताब को लाल किताब कहते हैं। इस किताब में वित्त, स्वास्थ्य, विवाह, प्रेम, व्यवसाय के साथ-साथ शिक्षा और करियर संबंधी समस्याओं के भी समाधान मौजूद हैं। हर मां बाप को चाहिए कि वह इस किताब को खरीदे और अपने बच्चों के लिए पढ़े।

यहां हम आपको बच्चों की शिक्षा को लेकर लाल किताब के कुछ उपाए बता रहे हैं…

  • बच्चे को ध्यान लगाने में दिक्कत हो तो: अगर आपका बच्चा पढ़ाई करते वक्त ध्यान नहीं लगा पाता। उसका मन इधर उधर भटकता है तो उसके पढ़ने के कमरे में हरे रंग के पर्दे लगाएं। हरा रंग प्रगति, नवीनता, ताज़गी और समृद्धि का प्रतीक है। कमरे में इस रंग के पर्दे लगाने से उसका मन बाहर की ओर नहीं भटकेगा और एकाग्रता से पढ़ाई करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा बच्चे को गले में तांबे का लॉकेट पहनने को कहें।
  • मां सरस्वती की आराधना करें: अपने बच्चे को रोज़ मां सरस्वती की आराधना और बीज मंत्र का जाप करने को कहें। बच्चे को प्रत्येक दिन 21 दफा इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
  • पीपल के वृक्ष की पूजा: गुरुवार के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करें और उसे पांच अलग-अलग प्रकार की मिठाईयां और दो हरी इलायची अर्पित करें। ऐसा लगातार 3 गुरुवार को करें।
  • यादाश्त तेज़ करने के लिए: यादाश्त कमज़ोर होने के कारण कई दफा बच्चे पढ़ा हुआ भी भूल जाते हैं। इसके लिए आप अपने बच्चे को हर रोज़ नाश्ते के बाद तुलसी के जूस में शहद मिलाकर दें। इससे आपके बच्चे की स्मरण शक्ति मज़बूत होगी और वह पढ़ा हुआ भूलेगा नहीं।
  • गरीब बच्चों को दान करें: यदि आप दान करते हैं तो उससे आपका भला होता है। परीक्षा में बेहतर परिणाम के लिए गरीब बच्चों को लाल चीज़ें दान करें। अगर किसी गरीब बच्चे की पढ़ाई का खर्च उठा सकें तो यह और भी बढ़िया रहेगा।
  • गायत्री मंत्र का जाप करें: अपने बच्चे को रोज़ाना 21 बार गायत्री मंत्र (ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्) का जाप करने को कहें। इससे बच्चे को एकाग्रता से पढाई करने में मदद मिलेगी और उसकी स्मरण शक्ति मजबूत होगी।
  • सूर्यदेव को प्रसन्न करें: सूर्यदेव को तांबे के बर्तन में रोली, चीनी और गुलाब की पंखुड़ियां अर्पित करें। इससे बच्चे की एकाग्र शक्ति में वृद्धि होगी।
  • बिना नमक का भोजन करें: प्रत्येक रविवार बिना नमक का भोजन करें। इसके साथ ही मंदिर में दो माचिस की डिबियां भी दान करें।
  • श्रीगणेश की पूजा करें: बच्चे को कहें की वह भगवान गणेश की आराधना करे। इसके लिए मंदिर जाकर श्रीगणेश की पूजा करें और उन्हें हरे वस्त्र में थोड़ी सी मूंग दाल, ध्रुव और कुछ हरी इलायची डालकर अर्पित करें। ऐसा करने से भगवान गणेश प्रसन्न होंगे और बच्चे को सद्बुद्धि प्रदान करेंगै।
  • बुद्ध ग्रह की स्थिति: बुद्ध ग्रह बुद्धि का कारक ग्रह है। अगर बच्चे की कुंडली में बुद्ध की स्थिति शुभ नहीं है तो उसके शिक्षा और करियर में अनेक बाधाएं आएंगी। अगर आपका बच्चा ठीक से पढ़ाई नहीं कर पा रहा तो किसी अच्छे ज्योतिषी से उसकी जन्म कुंडली दिखाएं।

लाल किताब के वास्तु उपाय

बच्चे के कमरे को इस तरह व्यवस्थित करें कि पढ़ाई का माहौल बने। इसके लिए लाल किताब में अनेक उपाय दिए गए हैं:

  • बच्चे के कमरे में उसका बिस्तर दक्षिण- पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए जिससे कि सोते समय बच्चे का सिर पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर हो।
  • बच्चे के कमरे में फर्नीचर दीवार से सटाकर न रखें। ध्यान रहे कि वह दीवार से कुछ इंच की दूरी पर हो। इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बाधित नहीं होगा।
  • बच्चे के स्टडी टेबल को कुछ इस तरह रखें कि पढ़ते समय उसका मुख पूर्व, उत्तर या उत्तर पूर्व दिशा की ओर हो।
  • दीवार पर मां सरस्वती की तस्वीर या कमरे में मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें।
  • बच्चे में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए कमरे में कोई अनावश्यक वस्तु न रखें, जैसे कि दीवार पर लटकने वाले सजावटी सामान, फर्नीचर, खेल के उपकरण आदि।

परीक्षा में सफलता के लिए सरस्वती मंत्र

पढ़ाई में ध्यान लगाने और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए आपको रोज़ाना कुछ मंत्रों का जाप करना चाहिए। परीक्षा में सफल होने के लिए आप इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं:

    • बीज मंत्र: बीज मंत्र का जाप मां सरस्वति की आराधना के लिए किया जाता है: ॐ ऎं सरस्वत्यै ऎं नमःll
    • स्मरण शक्ति मज़बूत करने के लिए: इस मंत्र का जाप उन बच्चों को करना चाहिए जो बहुत मेहनत करने के बावजूद परीक्षा में बेहतर परिणाम हासिल नहीं कर पाते। इस मंत्र का जाप करने से आपकी स्मरण शक्ति मज़बूत होगी और आपको पढ़ा हुआ याद रहेगा।

सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि ।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥

    • परीक्षा में अंच्छे अंक प्राप्त करने के लिए: परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करके अगर टॉप करना चाहते हैं तो इस मंत्र का जाप करें:

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः ll

    • घबराहट दूर करने के लिए: कई बार घबराहट के कारण बच्चे परीक्षा में अच्छा नहीं कर पाते। मां सरस्वती के इस मंत्र का जाप करने से आपका सारा डर दूर हो जाएगा:

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वीणा पुस्तक धारिणीम् मम् भय निवारय निवारय अभयम् देहि देहि स्वाहा।

इस तरह करें मंत्रों का जाप

सबसे पहले मां सरस्वती की आराधना करें। मां सरस्वती की आराधना करते समय बीज मंत्र का जाप करें। उसके बाद ऐच्छिक परिणाम हेतु अन्य मंत्रों का जाप करें। प्रत्येक मंत्र का 108 बार जाप करें। ध्यान रहे आपको स्फटिक या रूद्राक्ष माला के साथ ही इन मंत्रों का जाप करना है।

रंक से राजा बनना है तो घर में ज़रूर लगाएं ये पौधे

फेंग शुई के इन पौधों को लगाने से आती है सुख समृद्धि

  1. मनी प्लांट (Golden Pathos): यह एक समृद्धि सूचक पौधा है जिसकी हरी पत्तियां बीच में कुछ-कुछ सफेद भी हो सकती हैं। इस पौधे को बढ़ने के लिए किसी विशेष देख भाल की आवश्यकता नहीं होती। किसी जार या बोतल में पानी डाल कर भी इसे उगाया जा सकता है। मनी प्लांट का संपूर्ण विकास समृद्धि का सूचक है। लेकिन ज़मीन पर फैलकर बढ़ने वाला मनी प्लांट दोषकारक होता है। इसलिए अगर आप इसे किसी गमले या ज़मीन में लगा रहे हैं तो इसे किसी ऊंचे स्थान पर रखें। आपका मनी प्लांट अगर ऊपर की ओर बढ़ता है और आस पास की चीज़ों से लिपट जाता है तो यह शुभ संकेत है। यह पौधा टूटे हुए रिश्तों को जोड़ता है और वातावरण को स्वच्छ और शुद्ध करने के लिए जाना जाता है।
  2. बांस (Lucky Bamboo): बांस का पौधा घर में शांति बनाए रखता है और सकारात्मक ऊर्जा लाता है। यह पौधा बुद्धि, स्वास्थ्य और प्रेम का प्रतीक है। इसके अलावा यह घर में आने वाले किसी भी तरह के संकट को दूर रखता है। आप घर में इसे अलग अलग तरह से लगा सकते हैं। घर में अगर धन और शांति चाहिए तो इसे पूर्व या दक्षिण दिशा में रखें। अगर आप सादा जीवन पसंद करते हैं तो कांच के बर्तन में इसके डंठल को रखें। वैवाहिक जीवन में रोमांस बरकरार रखने के लिए दो बांस के डंठल का प्रयोग करें। लंबी उम्र के लिए तीन बांस के बीच में एक टेढ़ा बांस लगाएं। लेखन और अधय्यन से जुड़े लोग चार बांस लगाएं। बेहतर होगा कि आप इसे अपने स्टडी टेबल पर रखें। रिश्तों में मधुरता और स्वास्थ्य लाभ के लिए 7 बांस के डंठल का प्रयोग करें।
  3. जेड प्लांट (Crassula ovata): गोल पत्ते वाला यह पौधा भी बेहद शुभ माना जाता है। कार्यस्थल पर इसे लगाने से धन की कमी नहीं होती। इस पौधे को आपको मुख्य दरवाज़े पर लगाना चाहिए। इससे शांति और संपन्नता बनी रहती है। क्योंकि यह पौधा आकार में छोटा और इसे उगाना आसान होता है इसलिए इसे दोस्तों, रिश्तेदारों को तोहफ़े में भी दिया जाता है और इसी कारण इसे फ्रेंडशिप प्लांट भी कहा जाता है।
  4. कमल (Lotus): क्योंकि यह पौधा दलदल या पानी में उगने के बावजूद ऊपर की ओर बढ़ता है इसलिए फेंग शुई में इसे पवित्रता का प्रतीक माना गया है। घर में इसे लगाने से शुद्धता और सकारात्मकता बनी रहती है। दफ्तर में कमल को लिली के साथ लगाने से गुडलक बना रहता है और कारोबार में तरक्की होती है। लेकिन ध्यान रहे यह पौधा सूखे ना! समय-समय पर इसकी सूखी पंखुड़ियों को काटते रहें। इस पौधे की एक ख़ासियत यह भी है कि इसका हर एक अंग उपयोग में लाया जा सकता है। आप इसके डंठल से सब्ज़ी बना सकते हैं। इसके पत्तों को व्यंजनों में इस्तेमाल कर सकते हैं। इसकी जड़ का प्रयोग सूप में और फूल का प्रयोग दवाइयों में किया जाता है।
  5. रबड़ (Ficus Elastica): इस पौधे को धन-वृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसलिए इसे आपको उस जगह के पास रखना चाहिए जहां आप अपना धन रखते हैं। इसकी बड़ी और गोलाकार पत्तियां अशुद्धियों को दूर कर हवा को साफ और स्वच्छ बनाती हैं। इस पौधे को आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को उपहार में भी दे सकते हैं। यकीनन यह पौधा उनके जीवन में सुख- समृद्धि लाएगा।
  6. तुलसी (Ocimum Sanctum): भारत के लगभग हर एक घर में आपको यह पौधा मिल जाएगा। औषधीय गुणों वाले इस पौधे को हिंदू धर्म में पूजनीय माना गया है। इसे मां लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। घर में इस पौधे को लगाने से धन और समृद्धि बनी रहती है। नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। अपने कई औषधीय गुणों के साथ-साथ यह विटामिन्स और मिनरल से भी भरपूर होता है। ऐसा माना जाता है कि घर में इस पौधे को लगाने भर से ही कई बीमारियों से दूर रहा जा सकता है। इसकी पत्तियों से बनी चाय आपकी रोग प्रतिरोधक प्रणाली को मज़बूत करती है। आपको अस्थमा जैसे श्वसन रोग से दूर रखती है। इसके अलावा आप इसकी पत्तियों को व्यंजनों में स्वाद के लिए भी प्रयोग कर सकते हैं।
  7. नाग पौधा (Snake Plant): इस पौधे को घर या बाहर दोनों जगह लगाया जा सकता है। लेकिन इसे सही जगह पर लगाना ज़रूरी है। क्योंकि इसे बेहद आक्रामक प्रवृत्ति का माना जाता है इसलिए इसे किसी शांत जगह पर रखना चाहिए। बेहतर होगा अगर आप इसे दक्षिण-पूर्व, दक्षिण या पूर्व दिशा में रखें। इससे नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं कर पाएंगी और सकारात्मकता बनी रहेगी। यह पौधा आपके स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है क्योंकि यह हवा में मौजूद अशुद्धियों को दूर करता है। इसे ऑक्सीजन का महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता है। आप इसे अपने सोने के कमरे में भी लगा सकते हैं। इससे आपको नींद अच्छी आएगी।
  8. लेमन बाम (Mellissa Officinalis): लेमन बाम पुदीने की प्रजाति का एक पौधा है जिसमें कई औषधीय गुण होते हैं। यह डायबिटीज़ और थायरॉइड के रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद हैं। इसके अलावा यह सिरदर्द, तनाव और बेचैनी को भी दूर करता है। आपकी रोग प्रतिरोधक प्रणाली को मज़बूत करता है। फेंग शुई (Feng Shui) के अनुसार घर में इसे लगाने से शांति और खुशहाली आती है।
  9. लिली प्लांट (Lilium): फेंग शुई के अनुसार लिली का पौधा शांति, समृद्धि और शुद्धता का प्रतीक है। इसलिए इसे ऑफिस और घर में लगाना बेहद शुभ माना जाता है। इससे परिवार के सदस्यों में कलह की स्थिति नहीं उत्पन्न होती और आपस में प्रेम बना रहता है। घर में सकारात्मक ऊर्जा के लिए आप इसे अपने लिविंग या स्टडी रूम में लगा सकते हैं।
  10. ऑर्किड (Orchids): फेंग शुई के अनुसार घर में ऑर्किड का पौधा लगाते समय उसके रंग पर विशेष ध्यान देना चाहिए। गुलाबी या नारंगी रंग का ऑर्किड जुनून और रचनात्मकता का प्रतीक है जबकि सफेद ऑर्किड स्पष्टता और शांति का प्रतीक है। अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय के बनाने के लिए आप अपने बेडरूम में गुलाबी या नारंगी रंग का ऑर्किड लगा सकते हैं जबकि स्टडी रूम में सफेद ऑर्किड लगाना बेहतर होगा।

फेंग शुई (Feng Shui) के इन पौधों को लगाने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह ज़रूर लें। वे आपको सही तरह से गाइड कर पाएंगे कि इन पौधों को घर के किन हिस्सों में लगाने से बेहतर परिणाम मिलेंगे।

धन और वैभव का कारक शुक्र का 15 दिसंबर को राशि परिवर्तन,जानिए आपकी राशि पर प्रभाव

ज्योतिष में शुक्र को धन, वैभव, कला, कामवासना, ऐश्वर्य आदि का कारक माना जाता है। यह 15 दिसंबर को शनि ग्रह की राशिमकर में प्रवेश कर रहा है जो 8 जनवरी तक इसमें रहेगा। शुक्र एक शुभ ग्रह है, लेकिन इस गोचर का प्रभाव सभी राशियों परशुभाशुभ रूप में पड़ेगा। आइए जानते हैं शुक्र के गोचर का सभी 12 राशियों पर प्रभाव

मेष

किसी भी तरह की सरकारी सर्विस में आवेदन करना चाह रहे हों तो अच्छा अवसर है। विदेशी व्यक्ति अथवा विदेशी कंपनियों से भीलाभ होगा। 

वृष

कामयाबी के नए अवसर तो उपलब्ध होंगे ही, साथ में भाग्य वृद्धि के भी द्वार खुलेंगे। विदेश यात्रा हेतु वीजा आदि आवेदन करना चाहरहे हो तो संयोग अच्छा है। स्वास्थ्य अनुकूल रहेगा और कार्य बाधाओं से मुक्ति मिलेगी। 

मिथुन

कार्यक्षेत्र में षड्यंत्र का शिकार होने से बचे और व्यर्थ के विवादों में उलझें। यहां पर शुक्र प्रतापी योग भी बनाएंगे जिसके परिणामस्वरूप आपके मान सम्मान की वृद्धि भी होगी।

कर्क

विलासिता संबंधी वस्तुओं की पूर्ति तो होगी ही साथ ही मकान अथवा वाहन का क्रय भी करना चाह रहे हों तो अवसर अच्छा है, व्यापारिक वर्ग के लिए यह परिवर्तन अति अनुकूल रहेगा। 

सिंह

आपके अपने ही लोग आप को नीचा दिखाने की कोशिश करेंगे इसलिए विवादों से बचते रहें और कोर्ट कचहरी के मामले बाहर हीनिपटा लें तो बेहतर रहेगा।

कन्या

शुक्र का गोचर कार्यव्यापार की दृष्टि से बेहतर परिणाम वाला सिद्ध होगा। नवदंपत्ति के लिए संतान संबंधी चिंता तो दूर होगी साथही प्राप्ति अथवा प्रादुर्भाव का भी योग बन रहा है। विदेश यात्रा से संबंधित संकल्प पूर्ण होंगे।

तुला

आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। किसी भी महंगी वस्तु अथवा हीरे जवाहरात का क्रयविक्रय करना चाह रहे हों तोपरिस्थितियां अनुकूल है माता पिता के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें

वृश्चिक

अपनी ऊर्जा शक्ति का पूर्ण उपयोग करते हुए कार्य में लगे रहेंगे तो किसी बड़ी कामयाबी से आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।अत्यधिक यात्रा और अपव्यय के योग बन रहे हैं, सावधान रहें अन्यथा आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है।

धनु

आपको लेनदेन में डूबा पैसा भी वापस मिल सकता है। लाभ के एक से अधिक साधन बनेंगे किंतु आपके द्वारा कुछ ऐसे निर्णय लिएजा सकते हैं जिसके कारण आपके अपने ही लोग विरोध के लिए आगे सकते हैं।

मकर

काफी दिनों से प्रतीक्षित पड़े हुए कार्यो का निपटारा होगा। केंद्र अथवा राज्य सरकार से संबंधित कोई भी कार्य होगा तो उसमें हीसफलता मिलेगी। महिला वर्ग के लिए यह परिवर्तन और भी शुभ फलदाई सिद्ध होगा। 

कुंभ

विलासिता संबंधी वस्तुओं एवं यात्राओं पर अत्यधिक व्यय होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। किसी भी तरह का चुनाव आदि भीलड़ना चाह रहे हों तो उसमें भी सफलता के योग बनेंगे।

मीन

आपके स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ सकता है इसलिए सजग रहें। कार्यक्षेत्र में भी षड्यंत्र का शिकार होने से भी बचें। शासन सत्ताका भरपूर सहयोग मिलेगा फिर भी उच्चाधिकारियों से भी मेलजोल बनाकर रखें। 

26 दिसंबर को सूर्य ग्रहण,जानें इससे जुड़ी धार्मिक, वैज्ञानिक और ज्योतिषीय मान्यताएं

वैज्ञानिक नजरिए से जानते हैं कैसे लगता है सूर्य ग्रहण

विज्ञान के अनुसार पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करता है जबकि चंद्रमा पृथ्वी के चारो ओर घूमती है। पृथ्वी और चंद्रमा घूमते-घूमते एक समय पर ऐसे स्थान पर आ जाते हैं जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा तीनो एक सीध में रहते हैं। जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाती है और वह सूर्य को ढ़क लेता है तो इसे सूर्य ग्रहण कहते हैं।

ग्रहण की धार्मिक मान्यताएं

पौराणिक मान्यता के अनुसार जब समुद्र मंथन चल रहा था तब उस दौरान देवताओं और दानवों के बीच अमृत पान के लिए विवाद पैदा शुरू होने लगा, तो इसको सुलझाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया। मोहिनी के रूप से सभी देवता और दानव उन पर मोहित हो उठे तब भगवान विष्णु ने देवताओं और दानवों को अलग-अलग बिठा दिया। लेकिन तभी एक असुर को भगवान विष्णु की इस चाल पर शक पैदा हुआ। वह असुर छल से देवताओं की लाइन में आकर बैठ गए और अमृत पान करने लगा।देवताओं की पंक्ति में बैठे चंद्रमा और सूर्य ने इस दानव को ऐसा करते हुए देख लिया। इस बात की जानकारी उन्होंने भगवान विष्णु को दी, जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से दानव का सिर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन उस दानव ने अमृत को गले तक उतार लिया था, जिसके कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई और उसके सिर वाला भाग राहू और धड़ वाला भाग केतू के नाम से जाना गया। इसी वजह से राहू और केतु सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मानते हैं। इसलिए राहु केतु सूर्य और चंद्रमा का ग्रास कर लेते हैं। इस स्थिति को ग्रहण कहा जाता है।

ग्रहण को क्यों अशुभ कहा जाता है 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के समय हमारे देव कष्ट में होते हैं और राहु ब्रह्मांड में अपना पूरा जोर लगा रहा होता है, इसलिए ग्रहण को देखने से विपरीत प्रभाव पड़ते हैं।

ज्योतिष में राहु और केतु को छाया ग्रह माना जाता है।

अगर किसी की कुंडली में राहु- केतु बुरे भाव में जाकर बैठ जाता है तो उसको जीवन में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इनकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सूर्य और चंद्रमा भी इसके प्रभाव से नहीं बच पाते।

सौंदर्य वॄद्धि का अचूक उपाय

सुंदर दिखने की चाह भला किसे नहीं होती। प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि वो खूबसुरत दिखे, जहां भी जाए सभी के आकर्षण का केंद्र बना रहा। महिलाएं तो विशेष रुप से सुंदर दिखना चाहती है। इसके लिए महिलाएं जो संभव हो वह करती भी हैं। अपने सौंदर्य की प्रशंसा सुनने के लिए सदैव आतुर रहती हैं। अगर यह कहा जाए कि महिलाओं का सबसे पसंदीदा कार्य अपनी प्रशंसा सुनना है तो अतिशोक्ति नहीं होगी। महंगे से महंगे सौंदर्य सामग्रियों का प्रयोग और सोलह श्रृंगार कर स्वयं को सुंदर बनाए रखती हैं।

आज के आधुनिक समय में स्वयं को सुंदर और आकर्षक बनाए रखना सहज कार्य नहीं है, एक तो समय की कमी दूसरे उपलब्ध सामग्री में शुद्धता का अभाव होने के कारण सौंदर्य में बढ़ोतरी कम, कमी अधिक होती है। सुंदर छवि के साथ लोगों के दिलों में घर करने की चाह लिए इधर उधर प्रयासरत रहते हैं। बहुत प्रयास करने पर भी यदि यह संभव न हो पा रहा हो तो निराशा और हताशा होना स्वभाविक है। आज हम आपको कुछ ऐसे ही ज्योतिषीय उपायों की जानकारी देने जा रहे हैं जिनके द्वारा आप अपने खूबसूरती में चार चांद लगाने में सफल रहेंगे। इन उपायों से आप अपने रुप में निखार करने में सफल रहेंगे।

जन्मपत्री का पहला भाव जिसे लग्न भाव के नाम से जाना जाता है। लग्न भाव व्यक्तित्व और शारीरिक रचना का भाव है। व्यक्ति के रुप, सौंदर्य और चेहरे का विश्लेषण लग्न भाव से ही किया जाता है। पहला भाव मुख, मुखाकॄति, सिर, मस्तिष्क और रुप का प्रतिनिधित्व करता है। लग्न भाव का शुभ ग्रहों से युक्त होना जातक को सौंदर्यपूर्ण बनाता है। इस भाव के ग्रह स्वामी की वस्तुओं को धारण करना और उपाय करना व्यक्तित्व और रुप में सुधार करता है।

जन्मकुंडली के आधार पर स्वास्थ्य सुख और सुंदरता पाने के लिए लग्न भाव को बल दिया जाता है। लग्न भाव मजबूत हो जाए तो व्यक्ति का सौंदर्य स्वयं खिल उठता है। लग्न भाव को बल्देने के लिए लग्नेश ग्रह का मंत्रोच्चारण, हवन, अभिषेक और यंत्र पूजन किया जाता है। इन उपायों से व्यक्तित्व उभर कर आता है और व्यक्ति प्रत्येक स्थान पर प्रशंसा का पात्र बनता है। सुंदरता और लोकप्रियता दोनों का प्रत्यक्ष संबंध है। सुंदर व्यक्ति को सहजता के साथ लोकप्रियता प्राप्त होती है।
सौंदर्य वॄद्धि का अचूक उपाय – देवी लक्ष्मी का पूजन

देवी लक्ष्मी न केवल धन की देवी हैं, अपितु उन्हें सौंदर्य के लिए भी जाना जाता है और नवग्रहों में शुक्रवार का दिन साज-सज्जा और सौंदर्य प्रसाधन प्रयोग करने का दिन है। जो व्यक्ति शुक्रवार के दिन सुसज्जित होकर मां लक्ष्मी का पूजन और श्रृंगार करता है उसे देवी धन, सुख और सौंदर्य सभी कुछ प्रदान करती है। मां लक्ष्मी को गुलाबी रंग के वस्त्र अतिप्रिय है। धन की देवी का प्रतिदिन गुलाबी रंग के वस्त्र पहन कर करने से मुख पर तेज और सुंदरता का भाव विराजित होता है। सौंदर्य से जुड़े सभी कार्य करने के लिए शुक्रवार के दिन का प्रयोग विशेष माना गया है।

शुक्र ग्रह को सौंदर्य प्रदान करने वाले ग्रह हैं। शुक्र ग्रह से संबंधित उपाय करने से न केवल खूबसूरती में निखार आता है अपितु वैवाहिक और प्रेम संबंधों में भी स्नेह बढ़ता है। किसी के दिल में जगह बनाने के लिए शुक्र ग्रह के उपाय करना कारगर उपाय है। इसके लिए शुक्र ग्रह की वस्तुओं का प्रयोग किया जा सकता है साथ ही शुक्र ग्रह का मंत्र जाप भी करना चाहिए।

शुक्रवार के दिन सफेद वस्त्र और दही धारण करना भी सौंदर्य वृद्धि करने में सहयोगी साबित होता है। ये सभी वस्तुएं क्योंकि शुक्र ग्रह से संबंधित है अत: यह रुप निखार करने के साथ साथ भाग्य और धन बढ़ाने का कार्य भी करती हैं।

शुक्रवार के व्रत का पालन करने से भी धन की देवी लक्ष्मी जी प्रसन्न होती है और सौंदर्य में चमत्कारिक निखार आता है।

6 मुखी रुद्राक्ष भी सौंदर्य के कारक ग्रह शुक्र ग्रह का रुद्राक्ष है। इस रुद्राक्ष को नियमित रुप से धारण करने पर धारक के व्यक्तित्व बेहतर होता है।

शुक्र रत्न ओपल अपने खूबसूरती के लिए जाना जाता है। 84 रत्नों में यह एकमात्र रत्न है जो आकर्षण में वॄद्धि करने के लिए जाना जाता है। इस रत्न के विषय में कहा जाता है कि जो व्यक्ति इसे धारण करता है उसके रुप, रंग और व्यक्तित्व में एक नई छ्टा देखने में आती है।